इंडक्शन मोटर में स्लिप टॉर्क कर्व क्या होता है? (Induction Motor Slip Torque Curve In Hindi)
इस आर्टिकल में इंडक्शन मोटर में स्लिप टॉर्क कर्व क्या होता है, इसके बारे में बताया गया है तथा इंडक्शन मोटर में टॉर्क किन-किन कारकों पर निर्भर करता है इसकी जानकारी दी गई है।
स्लिप टॉर्क कर्व (Induction Motor Slip Torque Curve)
इंडक्शन मोटरों में स्लिप दो प्रकार की होती है।
1. इकाई स्लिप
2. शून्य स्लिप
यदि रोटर गति शून्य है, तो स्लिप इकाई होगा तथा यदि रोटर गति सिंक्रोनस गति के बराबर है तो स्लिप शून्य होगा।
लो स्लिप (low slip) पर टॉर्क स्लिप के समानुपाती होता है।
T∝ S
उच्च स्लिप पर टॉर्क स्लिप के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
T∝ 1/S
High Slip में स्लिप बढ़ने से टॉर्क घटेगा जबकि Low Slip में स्लिप घटने से टॉर्क घटेगा।
एक मोटर को 3 तरह से ऑपरेट (operate) कराते है।
(i) मोटरिंग मोड: मोटर की तरह (as a motor)
(ii) जनरेटिंग मोड: जनरेटर की तरह (as a generator)
(iii) ब्रेकिंग मोड या प्लगिंग मोड (as a break)
मोटरिंग मोड (Motoring Mode): मोटरिंग मोड में जब मोटर को प्रचालित करते है तो इस समय मोटर की स्लिप 0–1 के बीच होती है।
एक स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर में 2–5% स्लिप होता है। इसका स्लिप 0 से अधिक तथा 1 से कम होता है। चूंकि स्लिप 0 तब होता है जब Ns और Nr बराबर हो जबकि इंडक्शन मोटर में ऐसा कभी नहीं होता है। तथा इकाई स्लिप तब होता है जब Nr= 0 हो हालांकि यह मोटर की स्टैंड स्टील कंडीशन (stand still condition) में होता है।
जनरेटिंग मोड (Generating Mode): इस मोड में मोटर को जनरेटर की तरह (as a generator) चलाते हैं। as a generator चलाने का अर्थ है कि इस समय मोटर की रोटर गति (Nr) सिंक्रोनस गति की दोगुनी होती है।
Nr= 2 × Ns
इंडक्शन मोटर का रोटर सदैव सिंक्रोनस गति से कम गति पर चलता है। रोटर की गति सिंक्रोनस गति से ज्यादा होने की संभावना नहीं है। ऐसा केवल एक ही स्थिति में हो सकता है जब रोटर को बाहर से चलाए।
इस समय रोटर किसी न किसी बाहरी प्राइम मूवर के साथ जुड़ा रहता है। प्राइम मूवर रोटर को यांत्रिक शक्ति देता है। जिससे रोटर रोटेट (rotate) करता है और मोटर as a induction generator चलने लग जाती है। लेकिन ध्यान रखे इंडक्शन जनरेटर के रूप में कभी भी इंडक्शन जनरेटर का उपयोग नहीं किया जाता है। ac में जिस जनरेटर का उपयोग किया जाता है वह सिंक्रोनस जनरेटर होता है जिसे अल्टरनेटर (alternator) कहां जाता है।
इंडक्शन जनरेटर काम में इसलिए नहीं लेते हैं क्योंकि यह heat loss बहुत ज्यादा उत्पन्न करता है। जब रोटर गति सिंक्रोनस गति से ज्यादा आएगी तो ऋणात्मक स्लिप (negative slip) आता है।
ब्रेकिंग मोड (Breaking Mode): ब्रेकिंग मोड वास्तव में मोटर को रोकने का तरीका है इसे प्लगिग विधि भी कहते है। इस विधि में मोटर के स्टेटर के दो फेज की अचानक ध्रुवता बदल दी जाती है।
स्टेटर को 3Φ की सप्लाई देते हैं तो वह एक रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड बनाता है। रोटर के घूमने को दिशा इसी पर निर्भर करती है। रोटर हमेशा घूमने वाले चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में घूमता है। अगर अचानक से स्टेटर के घूमने वाले चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बदल दी जाए तो रोटर अभी भी उसी दिशा में घूम रहा है। जबकि रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड उल्टा हो गया।
इस ब्रेकिंग मोड के अन्दर रोटर विपरीत दिशा में चल रहा होता है यदि तुलनात्मक रूप से मिलान करवाए तो गति में जो अन्तर आता है। बहुत ज्यादा अन्तर होता है यानी बैकवर्ड स्लिप (backword slip) हैं। जब अचानक मोटर को रोकना हो तो इसी विधि का उपयोग किया जाता है। इस समय मोटर as a break काम करती हैं। यहां रोटर गति सिंक्रोनस गति के माइनस (minus) में चली जाती है इस सिस्टम में स्लिप का मान इकाई से अधिक होता है।
इंडक्शन मोटर में टॉर्क किन–किन कारकों पर निर्भर करता है?
इंडक्शन मोटर में टॉर्क 3 कारकों पर निर्भर करता है।
1. स्टेटर का फ्लक्स: इंडक्शन मोटर का टॉर्क इस बात पर निर्भर करता है की स्टेटर में जो रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड बन रहा था वो कितना है।
T= Stator Flux × Rotar Current × Rotar Power Factor
2. रोटर करंट पर: रोटर में करंट induce करंट होती है जो रोटर चालकों में प्रेरित ईएमएफ के कारण (बन्द परिपथ) चलती है।
3. रोटर पावर फैक्टर: कभी–कभी स्टेटर को प्राइमरी तथा रोटर को सेकेंडरी कहां जाता है। इसलिए रोटर को 2 से तथा स्टेटर को 1 से दर्शाते है। अर्थात यदि I1 लिखा हुआ है तो स्टेटर की करंट है तथा I2 लिखा हुआ है तो रोटर की करंट है।
इसी प्रकार से यदि E1 लिखा हुआ है तो स्टेटर पर आरोपित वोल्टेज है तथा E2 लिखा हुआ है तो रोटर में इंड्यूस वोल्टेज है।
T= Φs × I2 × CosΦ2
नोट: इंडक्शन मोटर का प्रारंभिक टॉर्क (starting torque) रोटर प्रतिरोध के समानुपाती होता हैं। अर्थात जिन मोटरो के रोटर में उच्च प्रतिरोध (high resistance) होगा उनका स्टार्टिंग टॉर्क अधिक होगा यही कारण है कि स्क्विरल केज मोटर की अपेक्षा स्लिप रिंग मोटर का टॉर्क उच्च होता है। क्योंकि इसमें मोटी-मोटी चालक छड़े होती है। इसलिए प्रतिरोध कम होता है।
सिंगल केज मोटर की अपेक्षा डबल केज मोटर का टॉर्क उच्च होता है।
इंडक्शन मोटर का टॉर्क सप्लाई वोल्टेज के वर्ग के समानुपाती होता है।
T∝ V²
टॉर्क स्टेटर के फ्लक्स, रोटर की करंट तथा रोटर के पावर फैक्टर के समानुपाती होता है।
टॉर्क लो स्लिप (low slip) के समानुपाती तथा उच्च स्लिप (high slip) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
जहां:
S= भिन्नात्मक स्लिप
K= ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात
E1= स्टेटर पर आरोपित वोल्टेज
R2= रोटर का प्रतिरोध
SX2= स्लिप पर प्रतिघात (क्योंकि स्लिप के अनुसार प्रतिघात में परिवर्तन आता है)
टॉर्क इंपेडेंस (impedance) के व्युत्क्रमानुपाती होता है क्योंकि इंपेडेंस जितना अधिक होगा पावर फैक्टर उतना ही कम होगा।
अधिकतम टॉर्क (Maximum Torque): एक इंडक्शन मोटर में अधिकतम टॉर्क की शर्त
S= R2/X2
जब स्लिप का मान R2/X2 के अनुपात के बराबर होगा तो अधिकतम टॉर्क मिलेगा।
FAQs:
प्रश्न: जनरेटिंग मोड में स्लिप का मान होता है?
उत्तर: ऋणात्मक
प्रश्न: इंडक्शन मोटर में टॉर्क स्लिप कर्व की आकृति कैसी होती है?
उत्तर: हाइपरबोला (hyperbola)
प्रश्न: इंडक्शन मोटर का टॉर्क सप्लाई वोल्टेज के होता है?
उत्तर: वर्ग के समानुपाती
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