फ्यूज की परिभाषा, गुण और परिभाषिक शब्द (Fuses Definition, Property And Terminology)
इस आर्टिकल में फ्यूज से सम्बन्धित परिभाषा (definition of fuses), फ्यूज के गुणधर्म (property of fuses) और फ्यूज से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण परिभाषा के बारे में बताया गया है।
फ्यूज क्या है? (Fuses In Hindi)
फ्यूज एक प्रकार की सुरक्षा युक्ति (protective device) है। यह नियंत्रक युक्ति (controlling device) की श्रेणी में नहीं आता है।
घरेलू वायरिंग (domestic wiring) में फ्यूज ओवरलोड और
शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा देता है। जबकि मोटर में फ्यूज सेकेंडरी प्रोटेक्शन (secondary protection) के रूप में कार्य करता है। अतः केवल शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा देता है।
अतिरिक्त धारा होने पर फ्यूज सर्किट को ब्रेक (break) कर देता है।
फ्यूज का कार्यकारी सिद्धांत विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव (thermal effect) पर आधारित होता है।
फ्यूज एसी सप्लाई (ac supply) में सदैव फेज तार के श्रेणी (series) में लगता है जबकि न्यूट्रल पर लिंक लगता है। डीसी में फ्यूज पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों पर श्रेणी में लगाया जाता है।
फ्यूज फुल लोड करंट (full load current) का लगभग 1.5 गुना लगाया जाता है। फ्यूज अपने क्रान्तिक मान का 40% लगाया जाता है। (40% of critical value)
फ्यूज के गुण (Property of Fuses)
एक फ्यूज के निम्नलिखित गुण होना चाहिए।
1. कम लागत (Low Cost): फ्यूज का चयन करते समय निम्न लागत को ध्यान में रखा जाता है जब निम्न लागत में समान क्वालिटी मिल रही हो तो कम मूल्य को ध्यान में रखकर फ्यूज का चयन किया जाता है। लेकिन सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता इसलिए हमेशा गुणवत्ता को भी ध्यान में दिया जाता है।
2. निम्न गलनांक (Low Melting Point): फ्यूज के लिए इस तरह की धातु का चयन किया जाना चाहिए जिसका गलनांक निम्न हो इसके लिए फ्यूज बनाते वक्त उसमे टीन की मात्रा ज्यादा मिला दी जाती हैं क्योंकि टीन नरम धातु होती है इसलिए जितनी ज्यादा टीन की मात्रा रहेगी उतना ही गलनांक नीचा रहेगा।
3. चालकता (Conductivity): एक फ्यूज परिपथ की चालकता उच्च होनी चाहिए। फ्यूज के लिए आदर्श चालक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
फ्यूज के लिए ऐसे कंडक्टिंग मैटेरियल का चुनाव नहीं कर सकते जो पूरी तरह से आइडियल (ideal) हो क्योंकि आदर्श चालक का प्रतिरोध शून्य (0) होता है। लेकिन फ्यूज में हमें कुछ ऊष्मा चाहिए होती है इसलिए फ्यूज के लिए इस तरह का कंडक्टिंग सामग्री का चुनाव करना चाहिए जिसमे निश्चित रूप से ऊष्मा उत्पन्न हो। अन्यथा ओवरलोड होने पर ऊष्मा उत्पन्न नहीं होगी और ऊष्मा उत्पन्न नहीं होगी तो फ्यूज नही उड़ेगा। क्योंकि फ्यूज उष्मीय सिद्धांत पर ही कार्य करता है।
4. कम प्रतिरोध (Low Resistance): लो रजिस्टेंस का अर्थ है कि फ्यूज के लिए इस तरह रजिस्टेंस का चुनाव करना चाहिए जो उस सर्किट के लिए negligible हो। फ्यूज के लिए उपयुक्त हो ऐसा रेजिस्टेंस लेना चाहिए ताकि ऊष्मा भी उत्पन्न कर सके।
5. विशिष्ट प्रतिरोध (Specific Resistance): फ्यूज की रेजिस्टिविटी उच्च होनी चाहिए।
6. ओमीय हानियां कम हो (Low Ohmic Losses): फ्यूज के लिए ऐसे पदार्थ का चयन करना चाहिए जिसमे ओमीय हानियां कम हो अर्थात फ्यूज खुद ही कोई वोल्टेज ड्रॉप न कराए फ्यूज के लिए ऐसे मैटेरियल का चुनाव करना चाहिए।
7. आयनीकरण का प्रभाव कम (Low Ionization Effect): फ्यूज मैटेरियल बाहरी वातावरण से मुक्त होना चाहिए।
फ्यूज से संबंधित परिभाषिक शब्द (Fuses Related Terminology)
(i). फ्यूज घटक (Fuses Elements): फ्यूज का वह भाग जिसका डिजाइन परिपथ को पिघलाने और खोलने के लिए किया जाता है अर्थात फ्यूज का वह हिस्सा जो अत्यधिक धारा होने पर पिघलाकर टूट जाता है फ्यूज घटक कहलाता है।
"वह भाग जो अधिक करंट (excessive current) होने पर पिघलकर टूट जाता है फ्यूज घटक कहलाता है"।
फ्यूज घटक सामान्यतः टीन व सीसा की मिश्र धातु का बना होता है सामान्यतः 60% टीन व 40% सीसा का अनुपात मिलाकर फ्यूज घटक बनाया जाता है। फ्यूज घटक बनाते वक्त गलनांक कम करने के लिए टीन की मात्रा बढ़ाया जाता है। वैसे फ्यूज घटक बनाने के लिए तांबा या एल्युमिनियम का भी उपयोग किया जाता है।
(ii). फ्यूज वाहक (Fuses Carrier): संक्षेप में इसे कैप (cap) कहा जाता है यह वह हिस्सा होता है जिसमें फ्यूज घटक लगा होता है।
(iii). फ्यूज आधार (Fuses Base): टर्मिनल युक्त फ्यूज का स्थिर भाग जो परिपथ से संबंधित करने के लिए होता है और फ्यूज वाहक को ग्रहण करने के लिए होता है फ्यूज आधार कहलाता है।
(iv). धारा निर्धारण (Current Rating): यह वह अधिकतम सुरक्षित करंट होती है जिसे फ्यूज बिना गर्म हुए सहन कर जाता है। यह सदैव एंपियर में होती है और यह फुल लोड धारा पर भी निर्भर करती है।
(v). फ्यूजिंग धारा (Fusing Current): वह धारा जिस पर फ्यूज घटक पिघलकर टूट जाता है। फ्यूजिंग करंट कहलाता है। फ्यूजिंग करंट हमेशा रेटेड करंट से अधिक होती है।
करंट रेटिंग < फ्यूजिंग करंट (current rating < fusing current)
(vi). क्रियान्त गुणक (Cut off Factor): परिपथ में दोष उत्पन्न होने पर फ्यूज द्वारा परिपथ को ब्रेक करने में लिया गया समय कट ऑफ फैक्टर कहलाता है।
(vii). प्री आर्किंग समय (Pre Arcing Time): आर्क उत्पन्न होने से पूर्व का समय प्री आर्किंग समय कहलाता है।
(viii). फ्यूजिंग गुणक (Fusing Factor): यह न्यूनतम फ्यूजिंग करंट और निर्धारित धारा का अनुपात होता है।
- फ्यूजिंग फैक्टर का मान सदैव इकाई से अधिक होता है। फ्यूजिंग फैक्टर का मान जो इकाई के समीप हो वह अधिक उत्तम होता है।
- एचआरसी फ्यूज (HRC Fuses) का फ्यूजिंग फैक्टर 1.11 होता है।
- रिवायरेबल फ्यूज (Rewirable Fuses) का फ्यूजिंग फैक्टर 1.4 से 1.7 तक होता है। जोकि अधिकतम 2 तक हो सकता है।
FAQs:
प्रश्न: यदि फ्यूज एलॉय में टीन की मात्रा बढ़ जाती है तो क्या होगा?
उत्तर: गलनांक कम हो जायेगा।
प्रश्न: एक मोटर में सेकेंडरी या बैकअप फ्यूज किससे सुरक्षा देता है?
उत्तर: शॉर्ट सर्किट से
प्रश्न: रिवायरेबल फ्यूज का फ्यूजिंग फैक्टर कितना होता है?
उत्तर: 1.4 से 1.7
प्रश्न: फ्यूज अपने क्रान्तिक मान का कितना लगाया जाता है?
उत्तर: क्रान्तिक मान का 40%
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