अल्टरनेटर का वोल्टता नियमन (Voltage Regulation of Alternator)
"वोल्टता नियमन (Voltage Regulation) नो लोड (no load) से फुल लोड (full load) तक वोल्टेज के मान में कितना उतार–चढ़ाव आया वोल्टेज रेगुलेशन कहलाता है।"
वोल्टेज रेगुलेशन सदैव फुल लोड के सापेक्ष दिया जाता है, फुल लोड के प्रतिशत के रूप में।
वोल्टेज रेगुलेशन उपभोक्ता (consumer) पर निर्भर करता है तथा प्रत्येक उपभोक्ता का वोल्टेज रेगुलेशन अलग-अलग हो सकता है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उपभोक्ता के द्वारा लोड कितना डाला गया और लोड की प्रकृति कैसी थी?
अल्टरनेटर का वोल्टेज रेगुलेशन भार के मान और भार की प्रकृति दोनों के आधार पर परिवर्तित होती है।
एक आदर्श जनरेटर का वोल्टेज रेगुलेशन सदैव शून्य (0) होता है। तथा एक सामान्य जनरेटर का वोल्टेज रेगुलेशन (VR) जितना हो सके न्यूनतम होना चाहिए।
वोल्टेज रेगुलेशन भार के आधार पर देखा जाता है इसलिए वोल्टेज रेगुलेशन ज्ञात करने के लिए दो शर्ते हैं।
(i) नियत गति (constant speed) पर चलाया जाना चाहिए अर्थात भार के अलावा ऐसे सभी कारक स्थिर रहने चाहिए जो वोल्टेज को बदलते हैं। (E= BLVSin)
(ii) फील्ड की एक्साइटेशन (field excitation) में भी परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
एक अल्टरनेटर में टर्मिनल वोल्टेज चार कारकों पर निर्भर करता है।
1. आर्मेचर का प्रतिरोध (Ra Resistance)
2. आर्मेचर की प्रतिक्रिया (Ar Reaction)
3. आर्मेचर का रिएक्टेंस (Xa Reactance)
4. आर्मेचर का पॉवर फैक्टर (Resistive Load, Capacitive Load, Inductive Load)
भार (load) पर एक अल्टरनेटर की वोल्टेज में परिवर्तन कैसा होगा?
1. जब इकाई पावर फैक्टर (unity power factor) हो अर्थात रजिस्टिव लोड हो— लगभग स्थिर रहती है। (slightly less then no load voltage)
वोल्टेज रेगुलेशन VR= 0 (आदर्श) और VR= पॉजिटिव
2. जब पावर फैक्टर पश्चगामी (lagging) हो अर्थात इंडक्टिव लोड हो— भार बढ़ने पर वोल्टेज घटता है।
वोल्टेज रेगुलेशन VR= पॉजिटिव (decrease then no load)
3. जब भार का पावर फैक्टर अग्रगामी (leading) हो अर्थात भार की प्रकृति कैपेसिटी हो— भार बढ़ने पर वोल्टेज बढ़ती है।
वोल्टेज रेगुलेशन VR= निगेटिव
वोल्टेज रेगुलेशन ज्ञात करने की विधियां (Method to calculate voltage regulation)
वोल्टेज रेगुलेशन ज्ञात करने की निम्नलिखित विधियां प्रचलित है।
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method): वोल्टेज रेगुलेशन ज्ञात करने की यह सबसे सस्ती विधि है।
इस विधि में वोल्टमीटर का उपयोग करते हैं पहले वोल्टमीटर से नो लोड पर वोल्टेज और फिर भार का स्विच ऑन करके फुल लोड पर वोल्टेज का मापन किया जाता है।
वोल्टमीटर से नो लोड और फुल लोड वोल्टेज का मापन कर लिया जाता है।
2. अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method): अप्रत्यक्ष विधि के द्वारा वोल्टेज रेगुलेशन ज्ञात करने की कई विधियां है।
i. तुल्यकालिक प्रतिबाधा विधि (Synchronous Impedance Method): तुल्यकालिक प्रतिबाधा विधि को ईएमएफ विधि (विद्युत वाहक बल विध भी कहते हैं। इस विधि में सबसे पहले सिंक्रोनस प्रतिबाधा ज्ञात करते हैं। (सिंक्रोनस प्रतिबाधा एक maximum value होती है)
ii. मैग्नेटो मोटिव फोर्स (एमएमएफ) या फील्ड एम्पीयर टर्न विधि (Magneto Motive Force (mmf) or Field Ampere Turn Method): यह विधि दो तरह से तुलना करवाती है।
A. नो लोड पर कितने फील्ड एम्पीयर टर्न की आवश्यकता थी। नो लोड पर फील्ड एम्पीयर टर्न
B. भार पर विचुंबकन प्रभाव को खत्म करने के लिए एम्पीयर टर्न का मान कितना था।
3. पोसियर विधि या शून्य पावर फैक्टर विधि (Potier Method or Zero Power Factor Method)
FAQs:
प्रश्न: किसमे पावर फैक्टर का मान (value) शून्य आने की संभावना हो सकती है?
उत्तर: रजिस्टिव लोड में
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