स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर का परिचय (Introduction Of Squirrel Cage Induction Motor)
यह मोटर इंडक्शन के सिद्धांत पर कार्य करती है। इस मोटर को स्क्विरल केज (squirrel cage) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस मोटर के रोटर की संरचना 'गिलहरी के पिंजरे'के समान होती है। चूंकि इंडक्शन मोटरो के प्रकार के नाम मोटर के रोटर की संरचना के आधार पर रखा जाता है। इस इंडक्शन मोटर में रोटर की संरचना गिलहरी के पिंजरे के समान होती है। अतः इसे 'स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर' कहते हैं।
इस मोटर में दो मुख्य भाग होते हैं।
(1) स्टेटर
(2) रोटर
1. स्टेटर (Stator): स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर में 3Φ की वाइंडिंग एक दूसरे से 120° वैद्युतिक अंतर पर होती है। 3 वाइंडिंग के 6 सिरे U1, U2, V1, V2 और W1, W2 बाहर निकलते हैं। टर्मिनल बॉक्स पर इन्हें स्टार या डेल्टा में जोड़कर 3Φ की सप्लाई दी जाती है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर, स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर, 3Φ अल्टरनेटर और 3Φ सिंक्रोनस मोटर इन चारों मोटरों का स्टेटर एक समान होता है। जब मोटर के स्टेटर को 3Φ की सप्लाई दी जाती है तो एक रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (rotating magnetic field) बनता है। तथा इस रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड में चालक कार्य करता है।
2. रोटर (Rotar): इस मोटर का रोटर केज टाइप होता है। केज टाइप का अर्थ होता है, एल्युमिनियम की चालक छड़े या कॉपर की चालक छड़े इन चालक छड़ों को दोनों एंड (end) पर एंड रिंग (end ring) ब्रास (brass) से शॉर्ट कर देते हैं। जिसे शॉर्ट सर्किटेड चालक (short circuited conductor) कहा जाता है।
यह छड़े कॉपर की भी हो सकती है, लेकिन 95% तक संभावना होती है की मोटर में चालक छड़े एलमुनियम की ही ली जाती है। एंड रिंग के लिए उसी धातु का प्रयोग करना चाहिए जिस धातु का चालक है लेकिन ज्यादातर ब्रास की होती है। कॉपर या एल्युमिनियम से भी कर सकते हैं लेकिन ज्यादातर सामान धातु की होनी चाहिए क्योंकि बाईमेटेलिक (bimettalic) हो जाने से वहां पर कार्बन जमने (corrosion) की संभावना हो जाती है। क्योंकि एंड रिंग पर ज्वाइंट (joint) बन जाता है। तो उच्च करंट (high current) के कारण ज्वाइंट पिघलकर टूट न जाए इसके लिए ज्यादातर ब्रास का उपयोग करते हैं।
इस मोटर के रोटर पर कोई वाइंडिंग नहीं होती रोटर को किसी पोल के लिए डिजाइन नहीं करते रोटर में पोल स्वतः उत्पन्न (auto generated) होते हैं। (पोल अपने आप बनते है, तथा उतने ही पोल बनते हैं जितने की स्टेटर के रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (rotating magnetic field) में है।
इस मोटर में रोटर के रेजिस्टेंस के अनुसार टॉर्क बनता है। इंडक्शन मोटर का टॉर्क रोटर प्रतिरोध के समानुपाती होता है। इसलिए जिनका रेजिस्टेंस उच्च होता है। उसी के अनुसार इनका टॉर्क बढ़ता जाता है।
केज मोटर के प्रकार (Types of Cage Motor)
केज टाइप मोटर निम्नलिखित प्रकार के होते है जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।
रोटर की संरचना के आधार पर केज मोटर तीन प्रकार की होती है।
1. सिंगल केज रोटर मोटर
2. डबल केज रोटर मोटर
3. डीप बार केज रोटर मोटर
सिंगल केज रोटर मोटर (Single Cage Rotar Motor): सिंगल केज रोटर मोटर में हल्की एल्यूमीनियम छड़े होती है। तथा सतह के पास (ऊपरी हिस्से में) होती है। ऊपरी हिस्से में होने के कारण यह रेजिस्टेंस बहुत कम बना पाती है इसकी वजह से तुलनात्मक रूप से इसमें लीकेज फ्लक्स (leakage flux) भी अधिक होता है। अन्य मोटरो की अपेक्षा इनका टॉर्क कम होता है।
डबल केज रोटर मोटर (Double Cage Rotar Motor): इसमें दो पिंजरे तथा रोटर पर दो वाइंडिंग होती है। रोटर पर दोनों वाइंडिंग समान्तर (parallel) में जुड़ी होती है जो रोटर पर दो समान्तर वाइंडिंग होती है एक वाइंडिंग को बाहरी पिंजरा (outer cage) तथा दूसरे को आंतरिक पिंजरा (inner cage) कहा जाता है। बाहरी पिंजरा ज्यादातर ब्रास (brass) की बनी होती है। आंतरिक पिंजरा ज्यादातर कॉपर की बनती है अर्थात बाहरी वाली केज उच्च रेजिस्टेंस की तथा अंदर वाली केज कम रेजिस्टेंस की होती है।
Outer Cage का क्रॉस सेक्शन एरिया कम रखा जाता है जिसका क्रॉस सेक्शन एरिया कम होगा उसका प्रतिरोध (resiatance) उच्च होगा। एक कंडक्टर में दो चीजे स्वाभाविक चलती है सामान्यतः एल्यूमीनियम और कॉपर कंडक्टर के मामले में यदि उनका रेसिस्टेंस उच्च होगा तो उनका रिएक्टेस (reactance) स्वतः कम होगा। Outer Cage को सतह के समीप लगाते है अर्थात ये ऊपरी हिस्से में होती है यानी की कम गहराई तक होती है।
Inner Cage कॉपर की बनी होती है तथा Low Resistance Wire की होती है। Outer Cage की तुलना में इनका क्रॉस सेक्शन एरिया बड़ा रखा जाता है इनका स्लॉट काफी गहरा होता है इसलिए इनका रेजिस्टेंस कम होता है तथा रिएक्टेंस (XL) उच्च होता है। छड़े जितनी ज्यादा गहराई में होती है टॉर्क उतना ही अच्छा होता है।
टॉर्क कैसे बनता है?: जब स्टार्टिंग के समय मोटर को कमांड दिया जाता है तो स्टार्टिंग के समय रोटर की फ्रीक्वेंसी सप्लाई फ्रीक्वेंसी के बराबर होती है। क्योंकि स्लिप इकाई होता है।
जब स्टार्टिंग के समय रोटर की फ्रीक्वेंसी अधिकतम होती है तो Inner Cage का इंडक्टिव रिएक्टेंस भी अधिकतम होगा क्योंकि यह सप्लाई फ्रीक्वेंसी के समानुपाती है। अधिकतम इंडक्टिव रिएक्टेंस होने के कारण करंट के लिए ज्यादा विरोध करेगा चुकी यहां दो समान्तर पथ बन रहे हैं। इसलिए अधिकतम करंट Outer Cage में से चलेगी यानी Outer Cage अधिक सक्रिय है तथा Outer Cage का रेजिस्टेंस उच्च है। उच्च प्रतिरोध होने के कारण रोटर केज स्टार्टिंग में उच्च टॉर्क प्रदान कर देगी लेकिन जब जैसे-जैसे मोटर चलने लग जाती है तो स्लिप घटने लगता है। स्लिप के साथ रोटर की फ्रीक्वेंसी भी घटेगी अर्थात जब रोटर के फ्रीक्वेंसी Low हो जाती है तो इसका इंडक्टिव रिएक्टेंस भी Low हो जाता है। तथा करंट Inner Cage से चलना प्रारंभ हो जाती है। क्योंकि Inner Cage बहुत गहराई तक होता है इसलिए यह इतना पर्याप्त टॉर्क बना सकता है जितना हमें रेटेड स्पीड (rated speed) पर आवश्यकता थी। स्टार्टिंग के समय Outer Cage अधिकतम टॉर्क बनाती है तथा रनिंग के समय Inner Cage।
सिंगल केज की अपेक्षा डबल केज रोटर मोटर में टॉर्क अच्छा होता है लेकिन स्टार्टिंग धारा सिंगल केज की अपेक्षा अधिक होती है।
इंडक्शन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क रोटर रेजिस्टेंस के समानुपाती होता है। इसलिए रेजिस्टेंस हाई रखेंगे तो स्टार्टिंग में टॉर्क तो उच्च मिल जाता है। लेकिन रनिंग के समय कॉपर लॉस अधिक होगा दक्षता कम होगी मोटर रनिंग के समय टॉर्क कम करवा देगी इसलिए मोटर में ऐसी व्यवस्था की जाती है की स्टार्टिंग में रेजिस्टेंस हाई हो तथा रनिंग के समय अपने आप कम हो जाए।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर में तो यह व्यवस्था रियोस्टेट (rheostat) लगाकर की जाती है। स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर में स्टार्टिंग में rheostat की वैल्यू (value) उच्च रखते हैं। तथा धीरे-धीरे कम रखते जाते हैं लेकिन स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर में ऐसी व्यवस्था नहीं होती है इसलिए दो सेट (inner cage और outer cage) बनाकर किया जाता है। जिसमें दोनों सेट के रेजिस्टेंस में अंतर रखा जाता है।
डीप बार केज रोटर मोटर (Deep Bar Cage Rotar Motor): इसमें चालकों की सिंगल छड़े होती है। इन्हें सिंगल केज की अपेक्षा और अधिक गहराई तक स्थापित किया जाता है।
इसमें छड़ों का अनुपात 1:12 होता है। अर्थात यदि 1mm तक चौड़ाई रखी जाती है तो 12mm तक गहराई रखी जाती है।
तीनों प्रकार के मोटरो में सबसे अधिक टॉर्क डीप बार केज रोटर मोटर का होता है। तथा सबसे ज्यादा उपयोग डबल केज रोटर मोटर का किया जाता है।
स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर की कार्यप्रणाली (Squirrel Cage Induction Motor Working Principle)
इसमें स्टेटर और रोटर के बीच कोई वैद्युतिक संयोजन नहीं होता है। ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रूप से जुड़े रहते हैं। घूमने वाला चुंबकीय क्षेत्र स्टेटर बनाता है। सप्लाई देने पर रोटर चालकों में फैराडे के नियमानुसार ईएमएफ उत्पन्न होता है। बंद परिपथ होने के कारण धारा चलती है तथा यह अपना टॉर्क बनाती है। एक प्रतिक्रिया होती है तथा टॉर्क पर बल लगता है। घूमने वाले चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में रोटर घूम जाता है। समान्यतः सबसे ज्यादा उपयोग इसी मोटर का किया जाता है।
स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर की विशेषताएं (Characteristics Of Squirrel Cage Induction Motor)
1. यह सबसे कम अनुरक्षण वाली मोटर है क्योंकि इसमें बियरिंग के अलावा किसी भी भाग की देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है। स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर से तुलना करने पर स्लिप रिंग मोटर में स्लिप रिंग और कार्बन ब्रश होते हैं जिसकी वजह से ज्यादा अनुरक्षण की आवश्यकता होती है। अर्थात स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर में और डीसी मोटर में अनुरक्षण लगभग समान होता है क्योंकि डीसी में कम्यूटेटर और ब्रश होता है तथा इंडक्शन मोटर में स्लिप रिंग और ब्रूश होता है।
2. स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर की संरचना सरल होती है।
3. स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर का टॉर्क ठीक-ठाक होता है।
4. स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर का पावर फैक्टर कम होता है। इसका पावर फैक्टर लगभग 0.7 से 0.8 होता है।
स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर को स्टार्ट करने की विधियां (Squirrel Cage Induction Motor Starting Method)
(i) D.O.L स्टार्टर
(ii) स्टार डेल्टा स्टार्टर
(iii) ऑटो ट्रांसफॉर्मर स्टार्टर
मोटर की स्पीड कंट्रोल की विधियां (Motor Speed Control Method)
स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर के स्पीड कंट्रोल करने की निम्नलिखित विधियां हैं।
1. फ्रिकवेंसी कंट्रोल करके।
2. पोल की संख्या को कंट्रोल करके।
3. सप्लाई वोल्टेज में परिवर्तन करके।
FAQs
प्रश्न: डबल केज रोटर मोटर में वाइंडिंग कैसी होती है?
उत्तर: रोटर पर दो वाइंडिंग होती है।
प्रश्न: रोटर पर यह दोनों वाइंडिंग कैसे जुड़ी हुई होती है?
उत्तर: रोटर पर दो समांतर वाइंडिंग (parallel winding) होती है।
प्रश्न: डीप बार केज टाइप रोटर मोटर में चालक छड़े किस अनुपात में स्थापित की जाती है।
उत्तर: 1:12
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