स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर के प्रकार (Types of Squirrel Cage Induction Motor In Hindi)
इस आर्टिकल में 3Φ स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर कितने प्रकार के होते है इसकी जानकारी दी गई है।
सामान्यतः थ्री फेज स्क्विरल केज इंडक्शन मोटरो को लगभग 6 श्रेणीयों में बांटा गया है।
क्लास A (Class A): स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर का सबसे सामान्य, लोकप्रिय और सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला प्रकार वर्ग A है।
इसका कम प्रतिरोध और कम रिएक्टेंस (low resistance & low reactance) होता है। क्योंकि इसमें जो केज होती है वह कोर के नजदीक होती है। इसमें लो स्लीप होती है। 1% अर्थात 0.01 से भी कम।
इसका स्टार्टिंग करंट बहुत ज्यादा होता है यह ब्लॉक रोटर करंट का 6 गुना (block rotar test का 100%) होता है।
इसका स्टार्टिंग टॉर्क सामान्य होता है। इसका उपयोगी फ्लक्स उच्च तथा लीकेज फ्लक्स कम होता है। यह ऐसी जगह उपयोग किया जाता है जहां स्टार्टिंग टॉर्क बहुत कम जरूरी हो।
क्लास B (Class B): इसका स्टार्टिंग टॉर्क सामान्य होता है। तथा रेटेड गति का 15% होता है।
इस मोटर का गति रेगुलेशन अच्छा होता है। गति रेगुलेशन 5% से भी कम होता है। अर्थात मोटर में स्पीड एकदम कांस्टेंट (constant) होती है। जबकि स्क्विरल केज मोटर वेरिएबल स्पीड (variable speed) में मानी जाती है। अर्थात भार बढ़ने के साथ गति कम हो जाती है।
इसका स्टार्टिंग धारा 600% तक अर्थात 6 गुना होता है। इसका रोटर केज डीप और नैरो केज (rotar cage deep & narrow cage) होता है। अर्थात पतली छड़े होती है। अतः स्टार्टिंग में हाई रिलक्टेंस (high reluctance) प्रदान करता है। जिससे मोटर में तुलनात्मक रूप से करंट कम मिलती है।
इस मोटर का स्लीप निम्न होता है। यह एक तरह की डीप बार केज मोटर (deep baar cage motor) है।
क्लास C (Class C): क्लास B की तुलना में उच्च स्टार्टिंग टॉर्क तथा सामान्य धारा है।
स्टार्टिंग टॉर्क रेटेड स्पीड पर 200% (2 गुना) होता है। इस मोटर को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि फुल लोड पर स्टार्ट किया जा सके।
इसमें लीकेज फ्लक्स उच्च (high lekage flux) तथा उपयोगी फ्लक्स मध्यम होता (useful flux medium) है।
इसमें स्लीप 5% से कम (5< 0.05) होता है। इसे पूर्ण भार पर स्टार्टिंग हेतु डिजाइन किया जा सकता है।
उपयोग: इसका उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहां पहले से भार हो जैसे– ब्लोअर, प्रत्यागामी पम्प तथा कंप्रेशर में।
यह डबल केज रोटर मोटर है। इसमें इनर और आउटर (inner & outer) दोनों छड़े होती है। आउटर केज अच्छी तरह से स्टार्टिंग (outer cage better starting) और आन्तरिक केज अधिकतम धारा सप्लाई (inner cage maximum power supply) के लिए होती हैं।
क्लास D (Class D): यह सर्वाधिक स्टार्टिंग टॉर्क (maximum starting torque) वाली मोटर है।
इस मोटर में स्टार्टिंग धारा कम होती है तथा स्लीप उच्च होता है। अतः मोटर की दक्षता कम होती है।
इस मोटर का टॉर्क–गति वक्र उच्चतम प्राप्त होता है जब टॉर्क–गति ग्राफ खींचा जाता है, तो सबसे अधिक स्लोप या ऊंचा ग्राफ इसी मोटर का होता है।
इस मोटर का लीकेज फ्लक्स कम होता है। इसलिए यूजफुल फ्लक्स उच्च होता है। इस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क सर्वाधिक 300% तक होता है।
क्लास E (Class E): इस मोटर का लीकेज फ्लक्स कम तथा उपयोगी फ्लक्स उच्च होता है।
मोटर में स्लीप कम होता है। मोटर में रोटर छड़ों को इस प्रकार से लगाते है की वह low resistance और low reactance (कम प्रतिघात) प्रदान करें। इस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क कम तथा धारा सामान्य होती है।
क्लास F (Class F): इसमें मीडियम लीकेज फ्लक्स (medium leakage flux) और मीडियम यूजफुल फ्लक्स (medium useful flux) होता है।
इसमें स्टार्टिंग टॉर्क कम तथा स्टार्टिंग धारा भी कम होती है। स्लीप सामान्यतः 2 से 5% होता है। मोटर में रोटर बार इस तरह से लगाते है की low resistance और high reactance प्रदान करें।
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