स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर क्या होता है? (Slip Ring Induction Motor In Hindi)
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर को वाउंड रोटर मोटर (wound rotar motor) कहां जाता है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर इस उद्देश्य से बनाई गई थी की स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर में कुछ सुधार किया जा सके।
जैसे की इंडक्शन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क रोटर प्रतिरोध के समानुपाती होता है। हमें एक ऐसा उद्देश्य चाहिए था की स्टार्टिंग के समय प्रतिरोध उच्च हो तथा रनिंग के समय प्रतिरोध निम्न हो सके इसी को ध्यान में रखते हुए स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का निर्माण किया गया।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहां परिवर्तनीय गति (variable speed) के साथ उच्च स्टार्टिंग टॉर्क की आवश्यकता हो।
यदि क्रेन (crane) और होयेस्ट (hoist) में एसी इंडक्शन मोटर (ac induction motor) प्रयोग करना होता है, तो स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर ही एक मात्र विकल्प होता है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर की संरचना (Construction of Slip Ring Induction Motor)
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर में दो मुख्य भाग होते है।
1. स्टेटर
2. रोटर
स्टेटर (Stator): स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का स्टेटर लेमिनेटेड सिलिकॉन स्टील का बना होता है।
120° वैद्युतिक अन्तर पर 3 वाइंडिंग के 6 सिरे U1, U2, V1, V2, W1 और W2 बाहर निकलते है। जिन्हे स्टार या डेल्टा में जोड़कर 3Φ की सप्लाई देते है। जब 3Φ की सप्लाई देते है तो एक रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड का निर्माण होता है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का स्टेटर स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर के समान ही होता है।
रोटर (Rotar): स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर और स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर दोनों का स्टेटर एक समान ही होता है, लेकिन रोटर के साथ–साथ अन्य चीजों जैसे मूल्य, साइज, काम करने का तरीका और मरम्मत में अन्तर होता है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का रोटर वाउंड टाइप होता है। स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के रोटर पर 3Φ की वाइंडिंग की जाती है। इस वाइंडिंग को स्टार या डेल्टा में जोड़कर सप्लाई दी जाती है। हालांकि ज्यादातर स्टार में ही जुड़ी होती है।
रोटर किसी 3Φ के बाहरी प्रतिरोध (external resistance) से संयोजित होता है ये बाहरी प्रतिरोध आपस में स्टार में शॉर्ट होता है।
स्टार्टिंग के समय बाहरी प्रतिरोध उच्च रखा जाता है तथा धीरें–धीरें कम करते हैं। स्टार्टिंग के समय रेजिस्टेंस उच्च रखने से कई लाभ मिलता है। जिसका बारे में नीचे दिया गया है।
1. स्टार्टिंग टॉर्क बढ़ जाता है। स्क्विरल केज इंडक्शन मोटरो से तुलना करने पर यह मोटर 2 से 3 गुना अधिक टॉर्क देता है।
2. स्टार्टिंग टॉर्क अधिक होने से स्टार्टिंग करंट कम हो जाती है।
3. स्टार्टिंग का पावर फैक्टर भी सुधर जाता है या कह सकते है की पावर फैक्टर बढ़ जाता है।
4. उच्च भार पर स्टार्ट किया जा सकता है।
5. गति रेगुलेशन में सुधार आता है तथा दक्षता भी उच्च हो जाती है।
यदि प्रतिरोध कम ना करें तो क्या–क्या हानियां होती है?
1. रोटर कॉपर लॉस बहुत अधिक हो जाता है। I²R से यदि रोटर का प्रतिरोध बहुत ज्यादा होगा तो रोटर का कॉपर लॉस बढ़ जाएगा।
2. कॉपर लॉस बढ़ने से दक्षता कम हो जाती है तथा रनिंग के समय जो टार्क पर्याप्त मात्रा में था वह अपर्याप्त हो जायेगा क्योंकि हाई रेजिस्टेंस के कारण रोटर में ज्यादा करंट चलने नही देगी। ज्यादा करंट न चलने के कारण रनिंग के समय जिस टॉर्क की आवश्यकता थी वह नही मिल पाएगा इसलिए इस मोटर को ऐसे जगह काम में लेते है जहां हाई स्टार्टिंग टॉर्क की जरूरत हो तथा स्पीड वेरिएबल (speed variable) हो और प्रतिरोध को बदल सके।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर की कार्यप्रणाली (Working Principle of Slip Ring Induction Motor)
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के रोटर में 3 वाइंडिंग होती है तथा 120° के बराबर अन्तर पर रखी जाती है।
3 वाइंडिंग के 6 सिरे बाहर निकलते है जिसमे से तीनों एंड को एक तरफ से शॉर्ट कर दिया जाता है। तथा दूसरे जो 3 एंड होते है उनको शाफ्ट पर लाते है शाफ्ट पर लाने के बाद स्लिप रिंग तथा ब्रूश के माध्यम से इन तीनो सिरों को किसी बाहरी प्रतिरोध से स्टार में जोड़ दिया जाता है।
रोटर में स्टार्टिंग के समय अधिकतम ईएमएफ (maximum torque) उत्पन्न होता है क्योंकि रोटर की गति Nr= 0 है। तथा रोटर गति शून्य होने का मतलब है की दोनो के बीच सापेक्ष गति बहुत अधिक है। चूंकि सापेक्ष गति स्लिप को ही कहां जाता है। स्लिप इकाई होने का अर्थ है की सापेक्ष गति (relative motion) अधिक है।
"फैराडे के नियम के अनुसार प्रेरित ईएमएफ सापेक्ष गति पर ही निर्भर करता है। सापेक्ष गति एक समय बहुत अधिक होती है रोटर में स्टार्टिंग के समय अधिकतम ईएमएफ, अधिकतम फ्रीक्वेंसी और अधिकतम रिएक्टंस (maximum reactance) होता है।"
उपरोक्त चित्र में दिखाए गए A बिन्दु पर यदि शॉर्ट कर दिया जाएं (स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर की भांति) तो रोटर की वाइंडिंग तुरंत जल जायेगी क्योंकि इतनी हेवी करंट (heavy current) प्रवाहित होगी की वाइंडिंग सहन नही कर पाएगी और तुरंत जल जायेगी अतः बिन्दु A पर शॉर्ट ना करके बिन्दु B पर शॉर्ट किया जाता है।
चूंकि चित्र में 4 प्रतिरोध सीरीज में लगे है। जो वाइंडिंग को जलने नही देंगे अब जैसे–जैसे मोटर स्पीड पकड़ती जाती है। करंट कम हो जाता है क्योंकि सापेक्ष गति घटती जाती हैं। जैसे ही मोटर स्पीड पकड़ ली तो अभी भी रोटर गति शून्य नही है इसका मतलब सापेक्ष गति पहले जितनी थी उतनी नहीं है कम हो गई।
सापेक्ष गति घटती जायेगी तो रोटर में इंड्यूस ईएमएफ भी कम होगा।
चूंकि सापेक्ष गति बहुत कम हो गई स्लीप 2–5% ही बचा तो अब इतनी ही करंट चलेगी जितनी की वाइंडिंग सहन कर जाए।
इंडक्शन मोटर का रोटर दो प्रकार का होता है।
- केज टाइप (squirrel cage rotar motor में)
- वाउंड टाइप (slip ring induction motor में)
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग (Uses of Slip Ring Induction Motor)
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है।
1. स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग क्रेन (crane) में किया जाता है।
2. स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग होयेस्ट (hoist) में किया जाता है।
3. स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग कन्वेयर बेल्ट (कोयला ले जाने वाली V बेल्ट) में किया जाता है।
4. स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग कंप्रेशर में किया जाता है।
5. स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग प्रिंटिंग प्रेस में किया जाता है।
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