यूनिवर्सल मोटर की कार्यप्रणाली (Universal Motor Working Principle)
सिंगल फेज इंडक्शन मोटर दो प्रकार की होती है।
i. स्प्लिट फेज मोटर (split phase motor)
ii. कम्यूटेटर मोटर (commutator motor)
यूनिवर्सल मोटर सिंगल फेज कम्यूटेटर मोटर (1Φ commutator motor) की श्रेणी में आता है। यह स्प्लिट फेज मोटर (split phase motor) की श्रेणी में नहीं आता है। इस मोटर का कार्य सिद्धांत डीसी मोटर के समान होता है।
यूनिवर्सल मोटर को एसी सीरीज मोटर (ac series motor) भी कहा जाता है। यह मोटर एसी और डीसी दोनों पर समान रूप से प्रचलित होती है। हालांकि डीसी से जब एसी पर प्रचलित करते हैं तो कुछ सुधार करने की जरूरत होती है क्योंकि डीसी प्रचालन से जब एसी प्रचालन पर आते हैं, चिंगारीयां (sparking) ज्यादा उत्पन्न होती है इसलिए सुधार की आवश्यकता होती है।
इस मोटर में दो वाइंडिंग होती है एक वाइंडिंग को फील्ड वाइंडिंग (field winding) तथा दूसरी को आर्मेचर वाइंडिंग (armature winding) कहते हैं। दोनों वाइंडिंग सीरीज में संयोजित होती है और दोनों को सप्लाई दी जाती है। एसी हो या डीसी मोटर का टॉर्क सदैव एक दिशीय (uni directional) होता है। क्योंकि आर्मेचर और फील्ड दोनों को सप्लाई दी जाती है। जब एसी पर काम में लेते हैं तो दोनों में ध्रुवता एक साथ बदलती है। इसलिए टॉर्क की दिशा कभी नहीं बदलती है। इस मोटर के फील्ड वाइंडिंग के टर्मिनल के नाम U1 और U2 होते हैं।
इंडक्शन मोटरों में यूनिवर्सल मोटर मात्र एक ऐसी मोटर है, जिसकी गति 3000 आरपीएम से अधिक हो सकती है।
इस मोटर में गति 3000 आरपीएम से ऊपर चला जाता है। इसका कारण यह है कि इसकी गति भार के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस मोटर का भार और गति विशेषता डीसी सीरीज मोटर (dc series motor) के समान होता है।
यूनिवर्सल मोटर के घूमने की दिशा कैसे परिवर्तित कर सकते हैं? (Direction of rotation change in Universal Motor): यूनिवर्सल मोटर में या तो फील्ड के सिरे बदलकर या आर्मेचर के सिरे बदलकर घूमने की दिशा (डायरेक्शन ऑफ रोटेशन) परिवर्तित कर सकते हैं।
आर्मेचर के सिरे ब्रूशों पर लगाते हैं इसलिए ब्रूश के सिरे परिवर्तित करके भी दिशा बदल सकते हैं।
यूनिवर्सल मोटर में ब्रूशों के कनेक्शन बदलकर डायरेक्शन बदली जाती है। जबकि रिपल्शन मोटर (repulsion motor) में ब्रूशों की स्थिति (position) बदलकर घूमने की दिशा बदली जाती है। ब्रूश के कनेक्शन बदलना ठीक आर्मेचर के कनेक्शन बदलने के समान ही होता है। केवल आर्मेचर के सिरे बदल दे तथा कंपनसेटिंग वाइंडिंग के सिरे नहीं बदले तो आर्मेचर प्रतिक्रिया कंपनसेट (compensate) होने की बजाए ज्यादा होने लगती है। इसलिए ब्रूशों के सिरे बदलना उचित समझा जाता है।
यूनिवर्सल मोटर का उपयोग (Uses of Universal Motor)
यूनिवर्सल मोटर का उपयोग निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है।
- यूनिवर्सल मोटर का उपयोग फुड मिक्सर (food mixer) में किया जाता है।
- यूनिवर्सल मोटर का उपयोग सिलाई मशीन (sewing machine) में किया जाता है।
- यूनिवर्सल मोटर का उपयोग वैक्यूम क्लीनर (vacuum cleaner) में किया जाता है।
- यूनिवर्सल मोटर का उपयोग पोर्टेबल ड्रिल मशीन (portable drill machine) में किया जाता है।
यूनिवर्सल मोटर और डीसी सीरीज मोटर में अन्तर (Difference between Universal Motor and DC Series Motor)
यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor)
- यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor) एसी और डीसी दोनों पर सामान रूप से प्रचालन होता है।
- बड़ी मशीनों में कंपनसेटिंग वाइंडिंग जरूरी होती है।
- इसमें सामान्य इंटरपोल होते हैं। इसमें स्पार्किंग ज्यादा होती है इसलिए इन्हें कंट्रोल करना जरूरी होता है।
- इसमें वायु अन्तराल (air gap) कम से कम (minimum) रखा जाता है।
- इसमें उच्च प्रतिरोधी ब्रूश उपयोग किए जाते हैं।
डीसी सीरीज मोटर (DC Series Motor)
- डीसी पर अधिक दक्ष होंगे लेकिन एसी पर उच्च स्पार्किंग और कम दक्षता होती है।
- कंपनसेटिंग वाइंडिंग की कोई आवश्यकता नहीं होती है
- इसमें इंटरपोल नहीं होते हैं।
- वायु अन्तराल तुलनात्मक रूप से अधिक होता है। क्योंकि एसी में वायु अन्तराल जितना ज्यादा होगा पावर फैक्टर उतना ही कम होगा। इसलिए इंडक्शन मोटर में डीसी की अपेक्षा तुलनात्मक रूप से वायु अन्तराल कम होता है।
- इसमें सामान्य ब्रूश उपयोग किए जाते हैं।
यूनिवर्सल मोटर का टॉर्क–गति विशेषता कर्व (Torque–Speed characteristic of a Universal Motor)
यूनिवर्सल मोटर का टॉर्क–गति विशेषता कर्व नीचे चित्र में दिखाया गया है।
यूनिवर्सल मोटरो की चाल नियंत्रण (Speed control of Universal Motor)
यूनिवर्सल मोटरो के चाल नियंत्रण के लिए निम्नलिखित विधियां उपयोग में ली जाती है।
1. सीरीज प्रतिरोध या सप्लाई वोल्टेज नियंत्रण विधि (Series resistance or applied voltage control method): इस विधि में मोटर के श्रेणी (series) में परिवर्तित प्रतिरोध (variable resistance) जोड़ कर चाल नियंत्रित की जाती है। इस विधि में सप्लाई के सीरीज में प्रतिरोध लगा देते है और वोल्टेज को कंट्रोल करके गति परिवर्तन किया जाता है। यदि प्रतिरोध का मान उच्च है तो गति निम्न होगी तथा यदि प्रतिरोध का मान निम्न है तो गति उच्च होगी। इसमें सीरीज में रेजिस्टेंस लगा होता है जिससे वोल्टेज ड्रॉप होता है जिससे मोटर को कम वोल्टेज मिलता है जिसकी वजह से मोटर कम गति के साथ चलती है
फुट पैंडल द्वारा परिचालित (पैर वाली सिलाई मशीन) सिलाई मशीन में इस प्रकार की विधि का उपयोग गति नियंत्रण के लिए किया जाता है।
2. टैप्ड फील्ड विधि (Tapped field method): इस विधि में फील्ड वाइंडिंग को 2 या 3 बिंदुओ पर से टैप्ड किया जाता है और फील्ड के चुम्बकीय वाहक बल mmf को परिवर्तित करके चाल को नियंत्रित किया जाता है। इस विधि का उपयोग ज्यादातर घरेलू खाद्य मिक्सर (food mixer) में गति नियंत्रण के लिए किया जाता है।
"फील्ड वाइंडिंग से विभिन्न टेपिंग निकालकर फील्ड के एमएमएफ को चेंज (change) करते है। जिससे आर्मेचर की गति अपने आप परिवर्तित हो जाती है। मोटर की गति फ्लक्स के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
3. सेंट्रीफ्यूगल स्विच विधि (Centrifugal switch method): इस विधि में सीरीज में सेंट्रीफ्यूगल स्विच लगाया जाता है।
सेंट्रीफ्यूगल स्विच के साथ सामान्तर (parallel) में रजिस्टर (resistor) लगाया जाता है। जब गति निर्धारित मान से अधिक हो जाती है अर्थात मान लिया किसी समय लोड कम था तथा गति अधिक हो गई चूंकि सेंट्रीफ्यूगल स्विच सेंट्रीफ्यूगल बल के सिद्धांत पर कार्य करता है अतः सेंट्रीफ्यूगल स्विच ओपन हो जायेगा और जैसे ही सेंट्रीफ्यूगल स्विच ओपन होगा करंट रिजिस्टर के रास्ते फील्ड वाइंडिंग को मिलना शुरू हो जाएगी चूंकि रिजिस्टर के रास्ते से कम धारा जायेगी इसलिए गति कम हो जायेगी।
जैसे–जैसे स्पीड कम होगी और अपने रेटेड स्पीड पर आएगी तो सेंट्रीफ्यूगल स्विच फिर से लग जायेगा। सेंट्रीफ्यूगल स्विच जब फिर से लगेगा तो रेटेड गति पर आ जाएगा लेकिन जैसे ही गति एक सीमा से परे जायेगी सेंट्रीफ्यूगल स्विच फिर ओपन हो जायेगा तथा यह प्रक्रिया चलती रहती है और इस प्रकार से गति नियंत्रण सम्भव हो जाता है।
इस विधि में सेंट्रीफ्यूगल स्विच के प्रचालन के दौरान स्पार्किंग तथा रेडियो व्यतिकरण (radio interference) को रोकने के लिए कैपेसिटर लगा रहता है।
FAQ:
प्रश्न: डीसी सीरीज मोटर के समान भार–गति विशेषता अभिलक्षण वाली मोटर कौन सी है?
उत्तर: यूनिवर्सल मोटर
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर की गति–भार विशेषता किसके समान होती है?
उत्तर: डीसी सीरीज मोटर के
नोट: डीसी सीरीज मोटर की उच्च भार पर निम्न गति तथा निम्न भार पर उच्च गति होती है। डीसी सीरीज मोटर की नो लोड पर गति अति उच्च या अनन्त हो सकती है इसलिए इस मोटर को नो लोड (no load) पर कभी नहीं चलाना चाहिए।
प्रश्न: एक यूनिवर्सल मोटर या डीसी सीरीज मोटर की नो लोड पर गति को क्षतिपूर्ति (compensate) कौन करता है?
उत्तर: घर्षण या वायु हानियों द्वारा सीमित किया जाता है
नोट: नो लोड पर यूनिवर्सल मोटर की गति उसमें उत्पन्न घर्षण और वायु हानियों (friction and windage losses) द्वारा सीमित की जाती है। इस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क, रेटेड टॉर्क (पूर्ण भार पर टॉर्क) 450% तक होता है, जो अन्य सभी मोटरो से उच्च हैं।
प्रश्न: एसी पर डीसी मोटर को चलाने के लिए किसकी आवश्यकता है?
उत्तर: काॅम्यूटेशन उन्मूलन (commutation सुधार)
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर किस मोटर की श्रेणी में आता है?
उत्तर: कम्यूटेटर मोटर (commutator motor)
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर को अन्य किस नाम से जानते हैं?
उत्तर: एसी सीरीज मोटर
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर प्रचालित होती है?
उत्तर: एसी और डीसी दोनों पर
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर में फील्ड वाइंडिंग के टर्मिनल की मार्किंग कैसे की जाती है?
उत्तर: U1 और U2 से
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर की गति होती है?
उत्तर: 3000rpm से अधिक
प्रश्न: एक फूड मिक्सर में प्रयुक्त यूनिवर्सल मोटर की गति नियंत्रण के लिए सामान्यतः किस विधि का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: टैप्ड फील्ड विधि (tapped f method)
प्रश्न: यूनिवर्सल मोटर के स्पीड नियंत्रण की सेंट्रीफ्यूगल स्विच विधि में स्पार्किंग और रेडियो व्यतिकरण (sparking and radio interference) को रोकने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: कैपेसिटर का (capacitor)
प्रश्न: पैर वाली सिलाई मशीन में स्पीड नियंत्रण के लिए किस विधि का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर: सप्लाई वोल्टेज नियंत्रण विधि या सीरीज प्रतिरोध विधि (applied voltage control method or series resistance method)
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