फेरेंटी प्रभाव (Ferranti Effect In Hindi)
इस आर्टिकल में फेरेंटी प्रभाव क्या होता है? एक ट्रांसमिशन लाइन में फेरेंटी प्रभाव उत्पन्न होने का क्या कारण है तथा फेरेंटी प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है इसकी जानकारी दी गई है।
फेरेंटी प्रभाव क्या होता है? (Ferranti Effect In Transmission Line)
फेरेंटी नाम के भौतिक शास्त्री ने इस प्रभाव की खोज की थी।
इस नियम के अनुसार— जो प्राप्तकर्ता या कंज्यूमर टर्मिनल होता है वहां पर भेजे जाने वाली की अपेक्षा उच्च वोल्टेज (higher voltage) पाया जाता है। अर्थात रिसीविंग एंड (receving end) की वोल्टेज सेंडिंग एंड (sending end) की वोल्टेज से अधिक होती है। जैसे– ओवर कंपाउंड डीसी जनरेटर (over compound dc generator) में तथा लीडिंग पावर फैक्टर के साथ अल्टरनेटर (alternator) में होता है। इस प्रभाव में सेंडिंग एंड की वोल्टेज की अपेक्षा रिसिविंग एंड की वोल्टेज अधिक होती है।
Sending End < Receving End
फेरेंटी प्रभाव अधिकतर ट्रांसमिशन लाइन (transmission line) में ही होता है, डिस्ट्रीब्यूशन लाइन (distribution line) में बहुत कम संभावना होती है।
"ट्रांसमिशन लाइन में प्राप्ति सिरे पर प्रेषक सिरे की अपेक्षा अधिक वोल्टेज प्राप्त होना फेरेंटी प्रभाव कहलाता है।
फेरेंटी प्रभाव क्यों होता है?
फेरेंटी प्रभाव उत्पन्न होने के दो कारण हैं।
- लाइन पर हल्का भार (light load) हो तब
- या तो लोड ही नहीं हो अर्थात ओपन टर्मिनल (open terminal) हो तब।
फेरेंटी प्रभाव उत्पन्न होने का कारण: फेरेंटी प्रभाव लाइन में आवेशन धारा (charging current) के कारण उत्पन्न होता है।
आवेशन धारा क्या होती है? (Charging Current): एसी वोल्टेज अप्लाई (apply) करने पर एक कैपेसिटर में से प्रवाहित धारा को आवेशन धारा कहते हैं।
चार्जिंग करंट के कारण लाइन में वोल्टेज एडाप्टिव पोलरिटी (additive polerity) अर्थात जुड़ने वाली ध्रुवता का होता है। अतः वोल्टेज जुड़कर बढ़ जाता है। लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन (long transmission line) में कैपेसिटेंस (capacitance, C) तथा इंडक्टेंस (inductance, L) मुख्य घटक होते हैं। तथा धारिता लाइन के किसी बिंदु पर संकेंद्रित न होकर संपूर्ण लंबाई में एक समान वितरित होती है।
एक ट्रांसमिशन लाइन में खासकर लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन में कैपेसिटेंस और इंडक्टेंस दोनों मुख्य घटक होते हैं। और यहां जो कैपेसिटेंस होता है वह एक ट्रांसमिशन लाइन में लंबाई के साथ पूरी तरह से फैला हुआ होता है। लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन में कैपेसिटेंस किसी एक बिंदु पर रुका हुआ नहीं होता है वह संपूर्ण लाइन की लंबाई के साथ-साथ चलता है इसलिए जितनी ज्यादा ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई होगी लाइन का कैपेसिटेंस उतना ही ज्यादा होगा। उच्च कैपेसिटेंस होगा तो चार्जिंग करंट भी उच्च चलेगी। चार्जिंग करंट के कारण लाइन में जो वोल्टेज होती है वह एडाप्टिव पालेरिटी की होती है। इसलिए लाइन में वोल्टेज ड्रॉप कराने की बजाय वोल्टेज जुड़ जाता है और वोल्टेज बढ़कर उच्च (high) हो जाता है।
फेरेंटी प्रभाव को कम करने की आवश्यकता क्यों हुई?
कंज्यूमर एंड पर जो वोल्टेज होती है वह रेटेड वोल्टेज होनी चाहिए। यदि एक निश्चित सीमा से ऊपर वोल्टेज मिलती है तो कंज्यूमर के जितने भी इक्विपमेंट (equipment) होते हैं उनके डैमेज (damage) होने की संभावना होती है। इसलिए फेरेंटी प्रभाव को कम करने की आवश्यकता होती है।
"उच्च वोल्टेज पर उपकरण के खराब होने की संभावना होती है इसलिए वोल्टेज नियंत्रित करना आवश्यक होता है।"
फेरेंटी प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है?
फेरेंटी प्रभाव को कम करने के लिए ट्रांसमिशन लाइन के प्राप्ति सिरे (receving end) पर शंट रिएक्टर लगाए जाते हैं।
- रिएक्टर लाइन (phase) तथा न्यूट्रल (neutral) के बीच में लगता है। यह धारिता के कारण आवेशन धारा को निराकृत करने या क्षतिपूर्ति करने का काम करता है।
- (रिएक्टर, इंडक्टर का ही दूसरा नाम है शंट शब्द हमेशा समांतर संयोजन को दर्शाता है)
याद रखने वाली बाते: वोल्टेज में वृद्धि लाइन की लंबाई के वर्ग के समानुपाती होती है।
- फेरेंटी प्रभाव शॉर्ट ट्रांसमिशन लाइन में कभी नहीं होता है। क्योंकि शॉर्ट ट्रांसमिशन लाइन में धारिता नगण्य मानते हैं। लेकिन यदि शॉर्ट ट्रांसमिशन केबल के द्वारा हो रहा है तो फेरेंटी प्रभाव अधिक मात्रा में होता है। क्योंकि केबल पास–पास होती है। इसलिए धारिता अधिक मात्रा में होता है।
FAQ:
प्रश्न: ट्रांसमिशन लाइन में प्राप्ति सिरे पर प्रेषक सिरे की अपेक्षा अधिक वोल्टेज प्राप्त होना क्या कहलाता है?
उत्तर: फेरेंटी प्रभाव (ferranti effect)
प्रश्न: फेरेंटी प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर: ट्रांसमिशन लाइन के प्राप्ति सिरे (receving end) पर शंट रिएक्टर लगाकर।
प्रश्न: ट्रांसमिशन लाइन में फेरेंटी प्रभाव उत्पन्न होने का क्या कारण है?
उत्तर: आवेशन धारा (charging current)
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