पावर ट्रांसमिशन या डिस्ट्रीब्यूशन की विधियां (Power Transmission Distribution Method)
पावर ट्रांसमिशन या डिस्ट्रीब्यूशन की दो विधियां है।
1. ओवरहेड लाइन
2. अंडरग्राउंड केबल
इस आर्टिकल में पावर ट्रांसमिशन या डिस्ट्रीब्यूशन की अंडरग्राउंड केबल विधि के बारे मे बताया गया है।
"अलग-अलग तार जिसमें सब पर अपना अलग-अलग इंसुलेशन हो तथा इन सब का एक संयुक्त इंसुलेशन लगा दिया जाता है, उसे केबल कहते हैं।"
एक अंडरग्राउंड केबल की मुख्य विशेषता यह होती है कि यह प्रेशर को सहन कर सकती है। इसलिए इसे आसानी से भूमि में बिछा सकते हैं। अंडरग्राउंड केबल के अंदर जितनी तार होती है, उतना ही उसमें कोर कहलाता है। केबल सिंगल कोर (single core), थ्री कोर (three core) तथा मल्टीकोर (multicore) की हो सकती है।
अंडरग्राउंड केबल के लाभ (Advantage of Underground Cable)
एक अंडरग्राउंड केबल के निम्नलिखित लाभ होते है।
- अंडरग्राउंड केबल का अनुरक्षण लागत सबसे कम होता है।
- अंडरग्राउंड केबल में दोष की संभावना सबसे कम होती है तथा मानव निर्मित हानियां नहीं होती है।
- अंडरग्राउंड केबल में लाइन लॉस कम होता है, अतः वोल्टेज कंट्रोल आसानी से किया जा सकता है।
अंडरग्राउंड केबल की हानियां (Disadvantage of Underground Cable)
एक अंडरग्राउंड केबल की निम्नलिखित हानियां है।
- अंडरग्राउंड केबल का प्रारंभिक लागत बहुत अधिक होता है।
- अंडरग्राउंड केबल में दोष ढूंढना आसान नहीं होता है तथा दोष को सुधारना भी मुश्किल होता है।
- अंडरग्राउंड केबल में ज्वाइंट्स (joints) की कीमत अधिक होती है।
- ओवरहेड लाइन की तुलना में अंडरग्राउंड केबल में अधिक इंसुलेशन की आवश्यकता होती है।
अंडरग्राउंड केबल कब और कहां उपयोग की जाती है: अंडरग्राउंड केबल निम्न स्थानों पर प्रयोग की जाती है।
अंडरग्राउंड केबल ज्यादातर घनी आबादी वाले क्षेत्र या संकरा क्षेत्र (conjested area) में प्रयोग किया जाता है।
अंडरग्राउंड केबल जनरेटिंग स्टेशन (generating station) में प्रयोग किया जाता है।
अंडरग्राउंड केबल सब स्टेशन (sub station) में प्रयोग किया जाता है।
केबल के लिए आवश्यक शर्ते: अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त चालक उच्च चालकता तथा उच्च फ्लैक्सिबिलिटी का होना चाहिए। सामान्यतः अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त चालक टिन्ड कॉपर (tinned copper) या एल्यूमीनियम (alluminium) का होता है।
चालक का आर्क (arc) सीमित होना चाहिए जिससे कि वह बिना गर्म हुए लोड करंट वहन कर सके तथा अनुमेय वोल्टेज ड्रॉप होना चाहिए।
अंडरग्राउंड केबल पर उचित मोटाई का इंसुलेशन होना चाहिए इंसुलेशन की मोटाई ऑपरेटिंग वोल्टेज (operating voltage) के आधार पर चयन की जाती है।
अंडरग्राउंड केबल में उच्च यांत्रिक सामर्थ होना चाहिए तथा केबल में प्रयुक्त पदार्थ रासायनिक क्रिया से मुक्त होना चाहिए।
अंडरग्राउंड केबल के भाग (Parts Of Underground Cable)
1. कोर या कंडक्टर (Core or Conductor): केबल का वह भाग जो धारा का चालन करता है, कोर या कंडक्टर कहलाता है।
कंडक्टर टिंड तांबे (tind copper) या एल्युमिनियम (alluminium) का बना होता है। केबल में एक या एक से अधिक कंडक्टर हो सकते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि केबल किस सर्विस के लिए उपयोग किया जा रहा है।
2. इंसुलेशन (Insulation): इंसुलेशन कोर या कंडक्टर पर प्रयुक्त अचालक परत होती है। सामान्यतः कैंब्रिज इम्प्रग्नेटेड पेपर का प्रयोग किया जाता है।
3. मैटेलिक शीथ (Metallic Sheath): मैटेलिक शीथ कोर को नमी से सुरक्षा देता है। यह सामान्यतः सीसा (lead) या सीसे की मिश्रधातु से बना होता है।
4. बेडिंग (Bedding): यह धात्विक कवच के ऊपर लगाया जाता है।
बेडिंग लगाने का उद्देश्य धातु कवच को जंग से बचाना और आर्मरिंग से होने वाली मैकेनिज्म क्षति से बचाना होता है। बेडिंग सामान्यतः जूट या हेसियन टेप जैसे फ्रिबुअस पदार्थ से बने होते हैं।
5. आर्मरिंग (Armouring): बेडिंग के ऊपर आर्मरिंग लगाया जाता है। आर्मरिंग का कार्य केबल को आंतरिक चोट से सुरक्षा प्रदान करना होता है। आर्मरिंग सामान्यतः गेल्वेनाइज्ड स्टील या गेल्वेनाइज्ड आयरन की होती है। आर्मरिंग सिंगल या डबल हो सकती है। फ्लैक्सिबल केबल में आर्मरिंग नहीं होती है।
6. सर्विंग (Serving): सर्विंग केबल का सबसे अंतिम आवरण होता है यह केबल को वायुमंडलीय स्थितियां जैसे धूल, कचरा से बचाव के लिए होता है सामान्यतः यह जूट का बना होता है।
नोट: वेडिंग आर्मरिंग और सर्विंग केबल पर कंडक्टर इंसुलेशन को बचाने के लिए लगाया जाता है तथा धातु शिथ (metallic sheath) को मैकेनिक क्षति से बचाने के लिए लगाया जाता है।
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