ओवरहेड लाइन में स्कीन प्रभाव (OH Line Me Skin Effect Kya Hota Hai)
इस आर्टिकल में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में स्कीन प्रभाव क्या होता है तथा स्कीन प्रभाव किन- किन कारकों पर निर्भर करता है। इसकी जानकारी दी गई है।
ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में स्कीन प्रभाव क्या होता है? (Skin Effect In Overhead Transmission Line)
स्कीन प्रभाव को "त्वचा प्रभाव" या "सतह प्रभाव" के नाम से जानते है। स्कीन प्रभाव केवल एसी (ac) में ही पाया जाता है।
"एसी में धारा का वह गुण जो चालक में मध्य भाग की अपेक्षा उसकी ऊपरी सतह पर अधिकतम चलने का प्रयास करती है सतह प्रभाव या स्कीन प्रभाव कहलाती है।"
स्कीन प्रभाव में चालक सतह पर धारा अधिकतम चलने का प्रयास करती है।
स्कीन प्रभाव के कारण एसी चालक में धारा वितरण असमान हो जाता है तथा मध्य भाग में धारा कम और ऊपरी/सतह भाग में धारा घनत्व उच्च हो जाता है।
जब स्थिर डीसी किसी चालक से प्रवाहित होता है तब वह चालक के पूरे अनुप्रस्थ क्षेत्रफल में समान रूप से वितरित होकर प्रवाहित होती है। इसके विपरित जब प्रत्यावर्ती विद्युत धारा (ac) को किसी चालक से प्रवाहित किया जाता है तब वह पूरे चालक के अन्दर समान रूप से वितरित नही होता बल्कि असमान रूप से वितरित होकर प्रवाहित होती है।
स्कीन प्रभाव के कारण कंडक्टर की प्रभावित क्रॉस सेक्शन क्षेत्र जिससे करंट प्रवाहित होती है, घट जाती है।
Skin Effect In Hindi |
स्कीन प्रभाव किन कारकों पर निर्भर करता है? (Skin Effect Depend Upon)
स्कीन प्रभाव निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है?
1. आवृत्ति (Frequency): स्कीन प्रभाव आवृत्ति के समानुपाती होता है। स्कीन प्रभाव कम आवृत्ति (low frequency) पर कम तथा उच्च आवृत्ति (high frequency) पर अधिक होता है।
डीसी सप्लाई पर स्कीन प्रभाव शून्य होता है, क्योंकि डीसी की आवृत्ति शून्य होती है इसलिए डीसी में कभी स्कीन प्रभाव नहीं होता है। डीसी में कोरोना प्रभाव (corona effect) होता है लेकिन तुलनात्मक रूप से बहुत कम होता है। डीसी में समीपता प्रभाव (proximity effect) कभी नही पाया जाता है तथा डीसी में फैरंटी प्रभाव (faranty effect) भी कभी नही पाया जाता है इसलिए डीसी, एसी की अपेक्षा अधिक दक्षता वाली मानी जाती है। इसलिए उच्च आवृत्ति (higher frequency) पर जो चालक (conductor) प्रयोग करना चाहिए वह बिल्कुल खोखला होना चाहिए।
2. चालक का व्यास (Diameter of Conductor): स्कीन प्रभाव व्यास के वर्ग के समानुपाती होता है। यदि मोटा तार है तो स्कीन प्रभाव बहुत अधिक होगा तथा यदि पतला तार है तो स्कीन प्रभाव बहुत कम होगा इसलिए ओवरहेड लाइनो में पतले–पतले चालकों का उपयोग करते हैं। चुकीं हायर वोल्टेज (higher voltage) होती हैं तो करंट कम होती हैं पतले तार का प्रतिरोध ज्यादा होता है। इसलिए पतले तार में करंट कम प्रवाहित होती है।
3. कंडक्टर की आकृति (Shape of Conductor): स्कीन प्रभाव चालक की आकृति कैसी है इस बात पर भी निर्भर करता है। चालक यदि ठोस (solid) है और सीधा (straight) है तो स्कीन प्रभाव अधिक होगा तथा यदि चालक ट्विस्टेड/स्ट्रेडेड (twisted/stranded) है तो स्कीन प्रभाव कम होगा इसलिए पतले चालकों का प्रयोग करने के साथ–साथ उसे स्ट्रेडेड भी कर दिया जाता है। यदि सप्लाई फ्रीक्वेंसी कम हो (< 50Hz) और कंडक्टर का व्यास छोटा (<1 cm) है तो देखा जाता है की स्कीन प्रभाव नगण्य होता है।
4. चुम्बकशीलता (Permeability): यदि कोई अधिक चुम्बकशीलता वाला कोई पदार्थ है तो उसमें स्कीन प्रभाव उच्च होगा तथा निम्न चुम्बकशीलता वाला पदार्थ है तो उसमे स्कीन प्रभाव कम होगा।
FAQ:
प्रश्न: एसी (ac) में धारा का वह गुण जो चालक में मध्य भाग की अपेक्षा उसके ऊपरी सतह पर अधिकतम चलने का प्रयास करती है _______ कहलाती है?
उत्तर: स्कीन प्रभाव या त्वचा प्रभाव या सतह प्रभाव
प्रश्न: स्कीन प्रभाव आवृत्ति के ______ होता है?
उत्तर: समानुपाती
प्रश्न: डीसी सप्लाई पर स्कीन प्रभाव _____ होता है?
उत्तर: शून्य (क्योंकि डीसी की आवृत्ति शून्य होती हैं)
प्रश्न: स्कीन प्रभाव व्यास के वर्ग के _______ होती है?
उत्तर: समानुपाती
प्रश्न: स्कीन प्रभाव _______ पाया जाता है?
उत्तर: केवल एसी में
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