लाइटनिंग अरेस्टर क्या होता है? (Lightning Arrester Kya Hota Hai)
इस आर्टिकल में लाइटनिंग अरेस्टर काम क्या करता है? कैसे लगता है, कहां लगता है, लाइटनिंग अरेस्टर लगाने का लाभ क्या है तथा लाइटनिंग अरेस्टर की हानियां क्या है और लाइटनिंग अरेस्टर कितने प्रकार का होता है इसकी जानकारी दी गई है।
"लाइटनिंग अरेस्टर सुरक्षात्मक युक्तियां (safety device) है जो उपकरणों को बिजली के झटके से बचाने के लिए प्रयुक्त की जाती है।"
सब स्टेशन में लाइटनिंग अरेस्टर क्या है? (Lightning Arrester In Substation)
लाइटनिंग अरेस्टर को सर्ज डाइवर्टर (surge diverter), सर्ज प्रोटेक्टर (surge protector) और लाइटनिंग डाइवर्टर (lightning diverter) के नाम से जाना जाता है। लाइटनिंग अरेस्टर को संक्षेप में LA कहा जाता है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह लाइटनिंग अरेस्टर अर्थात लाइटनिंग अथवा तड़ित को अरेस्ट करता है अर्थात पकड़ता है।
लाइटनिंग अरेस्टर एक प्रकार की युक्ति है जो पावर सिस्टम के संचरण (transmission) तथा संचार (telecommunication) में प्रयुक्त की जाती है। जो क्षणिक प्रभावो से सुरक्षा करती है। यह चालक, चालक के इंसुलेशन, पॉवर उपकरण, सर्किट ब्रेकर ट्रांसमिशन लाइन, ट्रांसफार्मर, सब स्टेशन और टावर इत्यादि की सुरक्षा करता है। एक परंपरागत (traditional) लाइटनिंग अरेस्टर इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि उसमें दो टर्मिनल होते हैं।
एक टर्मिनल हाई वोल्टेज लाइन की तरफ जुड़ता है तथा दूसरा टर्मिनल ग्राउंड के साथ जुड़ा होता है। अर्थात एक लाइटनिंग अरेस्टर लाइन और ग्राउंड (line & ground) के बीच जुड़ता है। इसका कार्य करने का सिद्धांत या डिजाइन इस प्रकार किया जाता है कि यह नॉर्मल कंडीशन (normal condition) में उस लाइन को कोई प्रभाव नहीं डालने देता है या नॉर्मल कंडीशन में लाइन से ग्राउंड के बीच में कोई संयोजन नहीं होता है। लाइटनिंग अरेस्टर एक प्रकार का सेंसर होता है जो लाइन में सर्ज प्रभाव को सेंस (sense) करता है चाहे लाइन में लाइटनिंग सर्ज आए, स्विचिंग सर्ज आए या फाल्ट के कारण आए। जब लाइन में लाइटिंग सर्ज उत्पन्न होता है तो यह उस असमान्य अवस्था को डिटेक्ट (detect) करता है तथा उस लाइन को ग्राउंड के साथ जोड़ता है।
आमतौर पर एक लाइटनिंग अरेस्टर में दो सिरे (terminal) होते हैं।
"हाई वोल्टेज टर्मिनल (high voltage terminal) या हाई वोल्टेज एंड (high voltage end) जिसे लाइन के साथ जोड़ना होता है तथा ग्राउंड टर्मिनल (ground terminal) या ग्राउंड एंड (ground end) जिसे ग्राउंड की ओर ग्राउंड के साथ जोड़ना होता है।"
यदि लाइन में प्रोटेक्शन ना हो तथा यदि किसी कारण से लाइन का इंसुलेशन फेल हो जाता है तो लाइटनिंग की वजह से हजारों किलोवोल्ट की वोल्टेज लाइन में प्रवेश कर सकती है। तथा यदि एक लाइन में हजारों किलोवोल्ट की अचानक वृद्धि होती है तो यह लाइन को फॉल्ट कर देगी तथा लाइन के साथ जुड़े हुए सिस्टम जैसे– ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर को भी नुकसान पहुंचा देगी तथा यदि यह कंज्यूमर साइड (consumer side) में चला जाता है तो यह उपभोक्ता के घरेलू उपकरण को भी नुकसान पहुंचा देगा और घर में यदि कोई व्यक्ति घरेलू उपकरण उस समय पकड़ रखा है तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
यदि इंसुलेशन फेल हो जाता है या रक्षा युक्ति नहीं है तो क्या होगा?
तड़ित संचरण लाइन में अनेक किलोवोल्ट प्रवेश कर सकती है जिससे संचरण लाइन, सर्किट ब्रेकर, ट्रांसफार्मर तथा घरेलू उपभोक्ता के उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। अतः एक लाइटनिंग अरेस्टर का होना अति आवश्यक होता है।
एक लाइटनिंग अरेस्टर सर्ज वोल्टेज या सर्ज करंट को निम्न प्रतिरोधी पथ प्रदान करता है जिससे सर्च तुरन्त जमीन की ओर डायवर्ट (divert) हो जाता है।
लाइटनिंग अरेस्टर स्थापना का स्थान
जिस उपकरण की हमें सुरक्षा करनी होती है। लाइटनिंग अरेस्टर हमेशा उसके समीप लगाया जाता है।
- जैसे यदि सब स्टेशन में ट्रांसफार्मर की सुरक्षा करनी है तो लाइटनिंग अरेस्टर को ट्रांसफार्मर के समीप लगाया जाएगा। एक सब स्टेशन में लाइटनिंग अरेस्टर का सबसे उपयुक्त स्थान ट्रांसफार्मर के पास होता है।
- पैनल में पैनल बोर्ड के अंदर लाइटनिंग अरेस्टर को लगाया जाता है।
- सर्किट ब्रेकर की रक्षा करनी हो तो सर्किट ब्रेकर के पास लाइटनिंग अरेस्टर को लगाया जाता है।
लाइटनिंग अरेस्टर सामान्यतः आउटडोर प्रोटेक्शन (outdoor protection) देता है। जैसे– ट्रांसफार्मर, ट्रांसमिशन लाइन, टॉवर और बिल्डिंग की सुरक्षा इत्यादि।
सर्ज प्रोटेक्टर सामान्यतः इंडोर प्रोटेक्शन (indoor protection) देता है। जैसे सर्किट ब्रेकर, पैनल, रिले, कांट्रेक्टर और टाइमर इत्यादि की सुरक्षा।
लाइटनिंग अरेस्टर का संयोजन (Connection Of Lightning Arrester)
लाइटनिंग अरेस्टर को परिपथ में दो तरह से जोड़ा जाता है।
1. यदि एसी सिस्टम (ac system) है, तब लाइटनिंग अरेस्टर को फेज और ग्राउंड के बीच जोड़ा जाता है। एसी में प्रत्येक फेज के लिए एक पृथक लाइटनिंग अरेस्टर प्रयोग किया जाता है जितने फेज होते हैं उतने ही लाइटनिंग अरेस्टर लिए जाते हैं।
2. यदि डीसी सिस्टम (dc system) है, तब लाइटनिंग अरेस्टर को पोल तथा ग्राउंड के बीच लगाया जाता है। (डीसी में फेज नहीं, पोल कहा जाता है, डीसी में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों का महत्व एक बराबर होता है)।
लाइटनिंग अरेस्टर का प्रतीक (Symbol Of Lightning Arrester)
लाइटनिंग अरेस्टर का प्रतीक नीचे दिखाया गया है।
लाइटिंग अरेस्टर के लाभ (Advantage Of Lightning Arrester)
- लाइटिंग अरेस्टर से उपकरणों की तड़ित से होने वाली हानि कम हो जाती है।
- आउटडोर (outdoor) उपकरणों की सुरक्षा होती है।
- ट्रांसमिशन लाइन को कभी भी क्षतिग्रस्त होने नहीं देता है।
- विद्युत चुम्बकीय व्यवधान/सिग्नल (electromagnetic interference) या रेडियो व्यतिकरण (radio interference) को कम करता है।
लाइटनिंग अरेस्टर की हानियां (Disadvantage Of Lightning Arrester)
- लाइटनिंग अरेस्टर की स्थापना हेतु अधिक स्थान की आवश्यकता होती हैं।
- लाइटनिंग अरेस्टर की स्थापना से लागत मूल्य बढ़ जाता है।
लाइटनिंग अरेस्टर के प्रकार (Types Of Lightning Arrester)
1. हॉर्न गैप (Horn Gap): यह ट्रांसमिशन लाइन तथा डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इस लाइटनिंग अरेस्टर में दो धात्विक रॉड (हॉर्न/सिंग की आकृति का) होती है जिनके बीच गैप (gap) होता है। एक मैटेलिक रॉड लाइन के साथ जबकि दूसरी ग्राउंड के साथ जुड़ती है। सामान्य स्थिति में दोनों के बीच वायु अचालक का कार्य करती है तथा सर्ज उत्पन्न होने पर वायु का ब्रेकडाउन हो जाता है। वर्तमान में इस लाइटनिंग अरेस्टर का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।
2. मल्टीगैप लाइटनिंग अरेस्टर (Multigap Lightning Arrester): इस प्रकार के लाइटनिंग अरेस्टर में गैप लाइन वोल्टेज के अनुसार समायोजित (adjust) कर सकते हैं।
3. वॉल्व टाइप (Valve Type): यह वॉल्व प्रकार का होता है, इसका अन्य नाम अरैखिक सर्ज प्रोटेक्टर होता है। यह हाई पावर इलेक्ट्रिकल लाइन (high power electrical power) में प्रयोग किया जाता है।
4. पैलेट लाइटनिंग अरेस्टर (Pellet Lightning Arrester): यह वास्तव में एक लंबी ट्यूब होती है तथा ट्यूब के अंदर पैलेट की छोटी-छोटी गोलियां होती है। यह पैलेट गोलियां लेड पराक्साइड की होती है। इसका उपयोग 66KV तक लाइन में किया जाता हैं।
5. मेटल ऑक्साइड लाइटनिंग अरेस्टर (Metal Oxide Lightning Arrester): इसमें किसी धातु की गोलियां हो सकती है। इस लाइटनिंग अरेस्टर में कोई ना कोई ऑक्साइड चूर्ण होता है, जिसकी डिस्क बनती है।
क्षणिक प्रभाव क्या होता है? (What Is Surge Effect)
ट्रांसिएंट्स करंट (transient current) में धारा या वोल्टेज में अचानक वृद्धि होना सर्ज प्रभाव कहलाता हैं। यह 3 कारण से होता हैं।
(i). फॉल्ट के कारण (by fault)
(ii). तड़ित के कारण (by lightning strock)
(iii). स्वीचिंग सर्ज ऑपरेशन, स्विच को जब मेक–ब्रेक (make/break) करवाया जाता है तो उस दौरान स्पार्किंग सबसे ज्यादा होती हैं। यह घटना स्विचिंग सर्ज कहलाती हैं। यदि स्विचिंग सर्ज के कारण वोल्टेज बढ़ता है तो चालक का इंसुलेशन फेल हो जाता है तथा इंसुलेशन फेल होने से शॉर्ट सर्किट (short circuit) हो जाता है।
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