आदित्य–L1 सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए एक कोरोनोग्राफी अंतरिक्ष यान है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अन्य भारतीय अनुसंधान संस्थान (इसरो/ आईयूसीएए/ आईआईए) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। आदित्य–L1 को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 लैग्रेंज बिंदु के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा जहां आदित्य–L1 सौर वायुमंडल, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के आसपास के वातावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा और इसकी जानकारी देगा।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (Indian Space Research Organisation–ISRO) ने अपना पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च कर दिया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से आदित्य L1 सूर्य की ओर भेज दिया गया है। अंतरिक्ष यान को अपनी तय मंजिल तक पहुंचने में चार महीने (125 दिन) का समय लगेगा। आदित्य L1 को पृथ्वी सूर्य के बीच लैंग्रेंज प्वाइंट 1 (L1) में रखा जाएगा। पृथ्वी से इसकी दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है।
L1 प्वाइंट से सूर्य को सीधे देखने का प्रमुख लाभ मिलता है और यहां किसी भी अंतरिक्ष यान पर सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण बराबर हो जाती है जिससे अंतिरक्ष यान की स्थिति स्थिर हो जाती है। इससे ईंधन की बचत होती है।
आदित्य एल-1 मिशन क्या करेगा?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता तथा सूर्य के तापमान, कोरोना का तापमान और अंतरिक्ष मौसम समेत कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारीयों का अध्ययन करना है।
मिशन सूर्य क्यो जरूरी है?
सूर्य की सतह पर प्रचंड तापमान होता है। उसकी सतह पर मौजूद प्लाज्मा विस्फोट तापमान की वजह है। प्लाज्मा के विस्फोट की वजह से लाखों टन प्लाज्मा अंतरिक्ष में फैल जाता है, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CMI) कहते हैं।
यह प्रकाश की गति से पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाता है। कई बार CMI धरती की तरफ भी आ जाता है, लेकिन घरती की मैगनेटिक फील्ड के कारण घरती तक पहुंच नहीं पाता। लेकिन कई बार CMI धरती की बाहरी परत को भेद कर धरती के वातावरण में घुस जाता है। सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन के धरती की तरफ आने पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काट रहे सैटेलाइट का काफी नुकसान होता है। पृथ्वी पर भी शार्ट वेब संचार (short wave communication) में बाधा उत्पन्न होता है। इसलिए मिशन आदित्य L1 को सूर्य के नजदीक भेजा जा रहा है। ताकि समय रहते हुए सूर्य की तरफ से आने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और उसकी तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सके।
सूरज के तापमान से कैसे बचेगा आदित्य एल1?
सूर्य के प्रचंड ताप से बचने के लिए आदित्य एल1 में अत्याधुनिक ताप प्रतिरोधी तकनीक लगाए गए है। इसके बाहरी हिस्से पर स्पेशल कोटिंग की गई है, जो सौर ताप से उसे बचाए रखेगा। इसके अलावा एल1 में मजबूत हीट शील्ड और अन्य उपकरण भी लगाए गए हैं।
FAQ:
प्रश्न: आदित्य L1 को कहां से लांच किया है?
उत्तर: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
प्रश्न: आदित्य L1 का संचालक (operator) कौन है?
उत्तर: ISRO
प्रश्न: इस प्रोजेक्ट को बनाने में कितना समय लग गया?
उत्तर: 5.2 वर्ष
प्रश्न: आदित्य L1 को कब लांच किया गया?
उत्तर: 2 सितम्बर 2023 को श्रीहरिकोटा से
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