सिंगल फेज इंडक्शन मोटर क्या है? (Single Phase Induction Motor Kya Hai)
सिंगल फेज मोटरों को फ्रेक्शनल हॉर्स पावर मोटर (fractional horse power motor) भी कहा जाता है। क्योंकि ये मोटरे सामान्यतः 1HP से कम दक्षता में ही बनती है। लेकिन जरूरत पड़ने पर 10HP तक इन मोटरों का निर्माण किया जाता है।
वास्तव में इन्हें सिंगल फेज नहीं बल्कि दो फेज की मोटर कहा जाता है क्योंकि सिंगल फेज का कोई अस्तित्व ही नहीं होता है और ना ही सिंगल फेज से कोई काम हो पाता है।
Single Phase Induction Motor In Hindi |
सिंगल फेज मोटर के भाग (Parts Of Single Phase Motor):— सिंगल फेज मोटर की संरचना में 2 मुख्य भाग होते हैं।
(1) स्टेटर
(2) रोटर
इन मोटरों का रोटर सामान्यतः केज टाइप ही होता है, तथा स्टेटर में commonly 2 वाइंडिंग होती है। एक को मुख्य वाइंडिंग (main winding) तथा दूसरी को सहायक वाइंडिंग (auxiliary winding) कहां जाता है।
1Φ मोटरों का टॉर्क अल्टरनेटिंग पल्सेटिंग (alternating pulsating) टॉर्क कहलाता है इसलिए ये मोटरे स्टार्ट नही हो पाती है। अर्थात इन मोटरों के रोटर पर कोई परिणामी बल नहीं लगता है इसका कारण यह है कि जो वाइंडिंग को एसी सप्लाई (ac supply) दी थी उसमे रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (rotating magnetic field) नहीं बनता है। अर्थात यहां पर जो चुंबकीय क्षेत्र बनता है वह पल्सेटिंग अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फील्ड होता है।
चुकी मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए रोटेटिंग अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (rotating alternating magnetic field) की जरूरत होती है। घूमने वाला प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र होगा तो मोटर सेल्फ स्टार्ट होगी जबकि यहां पर पल्सेटिंग अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फील्ड होता है। जिसके कारण रोटर पर कोई परिणामी बल नहीं लग पाता है और रोटर नही चल पाता है इसलिए 1Φ मोटरों का स्टार्टिंग टॉर्क शून्य होता है।
इसलिए हम 1Φ को 2Φ में बटते है और मोटर को स्टार्ट करते है।
सिंगल फेज मोटरों की कार्यप्रणाली (Single Phase Induction Motor Working Principle In Hindi):— सिंगल फेज पर पल्सेटिंग मैग्नेटिक फील्ड होता है। अतः मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है। इनका स्टार्टिंग टॉर्क शून्य होता है। इस समय यदि रोटर को किसी बाह्य बल से किसी भी दिशा में घुमा दिया जाए तो वह उसी दिशा में घूमने लगती है तथा 30–40 सेकंड में अपनी रेटेड स्पीड को प्राप्त कर लेती है।
मोटर को सेल्फ स्टार्ट बनाने के लिए रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड की आवश्यकता होती है तथा रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड दो या दो से अधिक फेजों पर बनता है।
90° या इससे भी अधिक का फेज अन्तर हो तब रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड बनता है। अर्थात हमे संरचनात्मक रूप से दो वाइंडिंग करनी होगी और उनके बीच 90° या इससे अधिक का फेज अन्तर करना होगा।
1Φ इंडक्शन मोटर रनिंग के समय (जब मोटर स्टार्ट हो गई है) मोटर टू फेज रन (two phase run) करती है।
सिंगल फेज इंडक्शन मोटर के प्रकार (Types Of Single Phase Induction Motor):— सिंगल फेज इंडक्शन मोटर को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है।
1. स्प्लिट फेज मोटर (Split Phase Motor)
(A) रेजिस्टेंस स्टार्ट इंडक्शन रन मोटर (Resistance Start Induction Run Motor)
(B) इंडक्शन स्टार्ट इंडक्शन रन मोटर (Induction Start Induction Run Motor)
(C) कैपेसिटर मोटर (Capacitor Motor)
कैपेसिटर मोटर निम्न 3 प्रकार की होती है
(i) परमानेंट कैपेसिटर मोटर (Permanent Capacitor Motor)
(ii) कैपेसिटर स्टार्ट मोटर (Capacitor Start Motor)
(iii) कैपेसिटर स्टार्ट कैपेसिटर रन मोटर (Capacitor Start Capacitor Run Motor)
(D) शेडेड पोल मोटर (Shaded Pole Motor)
2. कम्यूटेटर मोटर (Commutator Motor)
कम्यूटेटर मोटर के अन्तर्गत दो मोटरे आती है।
(i) यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor)
(ii) रिपल्शन मोटर (Repulsion Motor)
रेजिस्टेंस स्टार्ट और इंडक्शन स्टार्ट इंडक्शन रन मोटर में यह अन्तर होता है की स्टार्टिंग वाइंडिंग का इंडक्टेंस दोनों में अलग–अलग रखने का प्रयास किया जाता है।
इंडक्शन स्टार्ट इंडक्शन रन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क रेजिस्टेंस स्टार्ट इंडक्शन रन मोटर से भी कम होता है।
1Φ इंडक्शन मोटर में फेज बाटने की विधियां (Method Of Phase Split In Single Phase Induction Motor):— 1Φ इंडक्शन मोटरो में फेज बाटने की 3 विधियां मुख्य है।
1. प्रतिरोध के द्वारा (By Resistance ):— यह सबसे सस्ती विधि है, अर्थात प्रतिरोध को कम या अधिक रखकर फेज बाट सकते हैं।
टर्न की संख्या कम–ज्यादा, गहराई कम या ज्यादा और मोटाई कम या ज्यादा रखने पर इन 3 तरीकों से रेजिस्टेंस में फर्क आता है।
स्लॉट में जो ज्यादा गहराई में होता है उसका रिएक्टेंस (reactance) हमेशा उच्च होता है तथा रेजिस्टेंस (resistance) कम होता है।
मोटे तार का रेजिस्टेंस कम होगा तथा टर्न की संख्या जिसमे कम होगी उसका रेजिस्टेंस कम होगा।
2. संधारित्र के द्वारा (By Capacitor):— यह सबसे सरल विधि है तथा अधिकतम (maximum) टॉर्क देने वाली विधि है। हमें 90° के फेज अन्तर की आवश्यकता होती हैं इस मोटर को स्टार्ट करने के लिए लेकिन इस विधि के द्वारा 110° से 120° तक का फेज अन्तर भी जा सकता है।
रेजिस्टेंस विधि में करंट और वोल्टेज के बीच फेज अन्तर 40°–50° का ही होता है।
3. शेडिंग रिंग के द्वारा (By Shading Ring):— यह फेज बाटने की सबसे अच्छी विधि है। शेडेड पोल मोटर में शेडिंग रिंग विधि के द्वारा फेज बांटा जाता है। शेडेड पोल मोटर में कैपेसिटर नही लगता और सेंट्रीफ्यूगल स्विच भी नहीं होता है। शेडेड पोल के स्टेटर में दो वाइंडिंग होती है एक शेडिंग रिंग और दूसरी मेन वाइंडिंग होती है तथा यह रनिंग और स्टार्टिंग दोनों समय लगी रहती है।
फेज बाटने की सबसे अच्छी विधि कैपेसिटर विधि है। इसमें ज्यादा पॉवर फैक्टर और ज्यादा टॉर्क मिलता है।
FAQ:—
प्रश्न:— वास्तव में कैपेसिटर मोटर (capacitor motor) क्या है?
उत्तर:— 2 फेज की इंडक्शन मोटर
प्रश्न:— सिंगल फेज इंडक्शन मोटर में फेज बाटने की सबसे उपयुक्त (अच्छी) विधि कौन सी है?
उत्तर:— कैपेसिटर विधि
प्रश्न:— सिंगल फेज इंडक्शन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क कितना होता है?
उत्तर:— शून्य
प्रश्न:— सिंगल फेज इंडक्शन मोटर को अन्य किस नाम से जानते है?
उत्तर:— फ्रैक्शनल हॉर्स पावर मोटर
प्रश्न:— सिंगल फेज इंडक्शन मोटर का रोटर होता है?
उत्तर:— केज टाइप
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