ओवरहेड लाइन में झोल क्या होता है (Sag Kya Hota Hai)
इस आर्टिकल में बताया गया है की ओवरहेड लाइन में झोल क्यों होता है?, ओवरहेड लाइन में झोल क्यों रखा जाता है, झोल कितना रखा जाना चाहिए तथा ओवरहेड लाइन में झोल का क्या महत्व है और कौन–कौन से ऐसे कारक है जिनसे यह प्रभावित होता है।
ओवरहेड लाइन में झोल क्या है (Sag In Overload Line In Hindi)
ओवरहेड लाइन के दो सपोर्ट (पोल व टॉवर्स स्पोर्ट्स का कार्य करते है) के बीच एक चालक लटकाया जाता है या बांधा जाता है तो उन दोनों बिंदुओं के बीच और चालक के निचले हिस्से तक जो लेवल में अन्तर आता है। उसी अन्तर को सैग (sag) कहा जाता है।
"सपोर्ट्स के दो बिंदुओ तथा चालक तार के निचले हिस्से तक जो लेवल में अन्तर आता है उसी अन्तर को झोल कहते हैं।"
Sag In Hindi |
चित्र में दो समान सपोर्टर्स A और B पर कंडक्टर लटकाया गया है कंडक्टर को पूरी तरह खींचा नही जाता है थोड़ा सा ढीला रखा जाता है कंडक्टर का सबसे निचला हिस्सा O और झोल S है। अर्थात बिन्दु A से या बिन्दु B से लेकर O तक के मध्य जितनी दूरी है वही झोल कहलाता है।
ओवरहेड लाइन में चालक में झोल पोल के लेवल पर भी निर्भर करता है। जब दोनो सपोर्टर्स (supports) एक समान लेवल पर हो तो इसे इक्वल लेवल सैग (equal level sag) कहते हैं तथा यदि पोल ऊपर–नीचे हो तो उसे अनइक्वल लेवल सैग (unequal leval sag) कहां जाता हैं। अर्थात sag दो प्रकार से होता है।
1. Equal Level Sag
2. Unequal Leval Sag
झोल के कारण जो आकृति बनती हैं उसे जंजीर (catenary) या पेराबोला (parabola) कहते हैं।
झोल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दु:—
1. जब दो स्पोर्ट्स चालक को होल्ड रखते है तो चालक मुड़ी हुई आकृति में होता है। यह मुड़ी हुई आकृति चालकों के स्पान (span) की अपेक्षा sag बहुत कम होता है।
2. झोल के कारण चालक की आकृति पैराबोला (parabola) या कैटनरी (catenary) जैसी होती है।
3. चालक के प्रत्येक बिन्दु पर तनाव हमेशा स्पर्शज्या (tangential) होता है। यदि तनाव सीधा लगता है तो टूटने की संभावना और बढ़ जाती है।
4. सपोर्टर्स पर तनाव चालक के किसी भी बिन्दु पर लगभग बराबर होता है।
झोल की गणना करने के लिए सूत्र (Formula for calculation of sag)
ओवरहेड लाइन में झोल को प्रभावित करने वाले कारक
एक ओवरहेड लाइन में झोल को निम्न कारक प्रभावित करते हैं।
1. चालक का भार (Load of conductor)— ओवरहेड लाइन में झोल भार के समानुपाती होता है।
जैसे— कॉपर और एल्यूमीनियम में कॉपर भारी होता है इसलिए कॉपर पर ज्यादा लगेगा तथा एल्यूमीनियम हल्का होता है इसलिए एल्यूमीनियम पर कम लगेगा।
2. स्पान (Span)— मध्य दूरी के वर्ग के समानुपाती होता है।
3. तनाव (Tensoin)— तनाव के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात तनाव अधिक होने पर झोल कम होता है।
4. हवा का दबाव (Pressure of air)— हवा sag को इंक्लाइंड (inclined) दिशा में वृद्धि करता है।
5. तापमान (Temperature)— कम तापमान पर कम हो जाता है तथा उच्च तापमान पर बढ़ जाता है।
झोल पर वायु और बर्फ का प्रभाव (Effect of Air & Ice on Sag)
झोल पर वायु और बर्फ का निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है।
1. जब वायु एक निश्चित बल के साथ चलती है तो चालक के चारो ओर बर्फ जमा हो जाती है तो चालक का प्रति इकाई लंबवत वजन बदल जाता है।
2. वायु प्रवाह की दिशा में क्षैतिज रूप से बदलने के लिए काम करता है वायु प्रवाह के कारण चालक का स्वयं भार क्षैतिज रूप से बदलता है।
3. बर्फ लोडिंग के कारण चालक का स्वयं भार लंबवत (vertical) नीचे की ओर बदलता है।
4. विंड प्रेशर (wind pressure) तथा बर्फ लोडिग (ice loading) एक ही समय पर हो तब चालक पर परिणामी बल लगता है।
FAQ:—
प्रश्न— क्या Sag होना आवश्यक है?
उत्तर— हां ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन या डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के चालकों में Sag का होना आवश्यक है। ओवरहेड लाइन में चालक कभी भी खींचा हुआ (streched) नहीं होता है। उसमे कुछ झोल आवश्यक है यदि पूर्णतः खींचा हुआ (completely streched) है तो चालक के वायु दाब के कारण टूटने की संभावना रहती है।
प्रश्न— ओवरहेड लाइन में झोल के कारण चालक तार दो स्पोर्ट के बीच _____ की आकृति में झूल जाता है?
उत्तर— पैराबोला (parabola) या कैटनरी (catenary)
प्रश्न— ओवरहेड लाइन में झोल के कारण दो पोल के बीच चालक तार के लटकने की जो आकृति (shape) बनती है। इस आकृति को क्या कहां जाता है?
उत्तर— पैराबोला (parabola)
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