इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले की कार्यप्रणाली (Working Principle Of Electromagnetic Relay In Hindi)
सेंट्रीफ्यूगल स्विच और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले में यह अंतर होता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले बाहर लगती है तथा सेंट्रीफ्यूगल स्विच अंदर लगता है इसलिए सेंट्रीफ्यूगल स्विच को रिपेयर (repair) करना थोड़ा मुश्किल होता है जबकि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले को रिपेयर करना आसान होता है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले रनिंग वाइंडिंग के सीरीज में लगती है यह स्टार्टिंग करंट का उपयोग करती ।
Electromagnetic Relay Working |
सिंगल फेज इंडक्शन मोटर भी तीन फेज इंडक्शन मोटर की भांति स्टार्टिंग में उच्च करंट (high current) लेती है। कुछ मोटरों में स्टार्टिंग करंट तीन से चार गुना अधिक करंट होता है। जैसे डबल कैपिटल मोटर में 3–4 गुना स्टार्टिंग करंट होता है। अन्य मोटरो में 4–5 गुना भी हो सकता है। सामान्यतः इंडक्शन मोटर डेढ़ से दोगुना (1.5–2) स्टार्टिंग में हाई करंट लेती है अर्थात रेटेड करंट से ज्यादा करंट लेती है। इसमें स्टार्टिंग के समय केवल एक ही वाइंडिंग (रनिंग वाइंडिंग) सर्किट में होती है।
जब रनिंग वाइंडिंग अकेले सर्किट में होती है तब रनिंग वाइंडिंग का करंट रिले से होता हुआ आता है। रिले के द्वारा प्रवाहित होने वाला करंट उच्च करंट (high value current) होता है जिससे रिले मैग्नेटाइज हो जाती है और मैग्नेट (magnet) बनाती है। जिससे रिले अपने प्लंजर को ऊपर की ओर खींच लेती है जैसे ही कांटेक्ट (contact) NC बनता है तो स्टार्टिंग वाइंडिंग सर्किट में आ जाती हैं जिससे दोनों में एक चुम्बकीय क्षेत्र बनता है जिससे रोटर प्रतिक्रिया करता है तथा रोटर रिएक्शन (rotor reaction) के कारण घूमने लगता है।
अब जैसे ही मोटर रनिंग में आती है (75% से ऊपर गति जाती है) तो करंट कम होने लगता है करंट कम होने से रिले का मैग्नेट कमजोर पड़ता है जिससे वह प्लंजर को होल्ड (hold) करके नहीं रख पाता है क्योंकि प्लंजर भारी होता है। तथा वह नीचे की ओर आ जाता है तथा पुनः NO बन जाता है। NO बनते ही स्टार्टिंग वाइंडिंग सर्किट से बाहर हो जाती है इस प्रकार से एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले की कार्यप्रणाली होती है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले रनिंग वाइंडिंग (running winding) के श्रेणी (series) में संयोजित होती है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिले कैसे काम करती है? (Electromagnetic Relay Working)— "मोटर की उच्च स्टार्टिंग धारा के कारण रिले मजबूत चुंबक बनाता है तथा प्लंजर को आकर्षित करता है जिससे स्टार्टिंग वाइंडिंग सर्किट में आ जाता है जैसे ही करंट सामान्य होता है तो रिले का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है तथा प्लंजर छूट जाता है जिससे स्टार्टिंग वाइंडिंग परिपथ से दूर हो जाता है।"
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