ट्रांसफॉर्मर वाइंडिंग (Transformer Winding):— ट्रांसफॉर्मर में दो वाइंडिंग होती है एक को प्राइमरी वाइंडिंग तथा दूसरे को सेकेंडरी वाइंडिंग कहते है।
प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग दोनो लो वोल्टेज या हाई वोल्टेज (low voltage or high voltage) की हो सकती है। ट्रांसफॉर्मर के जिस वाइंडिंग में इनपुट दिया जाता है उसे प्राइमरी वाइंडिंग तथा जिस वाइंडिंग से आउटपुट लिया जाता है उसे सेकेंडरी वाइंडिंग (जिस वाइंडिंग पर भार संयोजित हो) कहते है।
प्राइमरी और सेकेंडरी दोनो वाइंडिंग हमेशा लौह कोर (iron core) पर लगी होती है। सामान्यतः सभी ट्रांसफॉर्मर उच्च शक्ति (high power) के होते है तथा एक हाई पावर ट्रांसफॉर्मर की कोर सिलिकॉन स्टील (silicon steel) की बनी होती है।
प्राइमरी से सेकेंडरी में जिस विधि से पावर ट्रांसफर होता है वह म्यूचुअल इंडक्शन (mutual induction) होता है तथा इस क्रिया को ट्रांसफॉर्मेशन एक्शन (transformation action) कहते है।
ट्रांसफॉर्मर सदैव एसी को ही स्टेप अप या स्टेप डाउन (step up or step down) करता है। यदि ट्रांसफॉर्मर को डीसी दी जाती है तो उसकी प्राइमरी वाइंडिंग जल जाएगी इसका कारण यह है की जिस वाइंडिंग में डीसी दी जाएगी उसका इंडक्टीव रिएक्टेस (inductive reactance) का मान शून्य होगा जिसकी वजह से उसमे उच्च धारा प्रवाहित होगी तथा वाइंडिंग उच्च करेंट के कारण जल जाएगी।
ट्रांसफॉर्मर के लाभ (Advantage Of Transformer):— ट्रांसफॉर्मर के निम्नलिखित लाभ है।
(i) ट्रांसफॉर्मर की दक्षता उच्च लगभग 92% से 98% तक होती है।
(ii) ट्रांसफॉर्मर में कोई घूमने वाला भाग नही होता है ट्रांसफार्मर को कम मरम्मत की आवश्यकता होती है।
(iii) ट्रांसफॉर्मर में यांत्रिक हानियां नही होती है।
(iv) ट्रांसफॉर्मर में आसानी से वोल्टेज को स्टेप अप और स्टेप डाउन किया जा सकता है।
(v) ट्रांसफॉर्मर एक मात्र ऐसी मशीन है जो EHT पर संतोषजनक कार्य करती है।
आदर्श ट्रांसफॉर्मर क्या होता है? (Ideal Transformer):— आदर्श ट्रांसफॉर्मर सैद्धांतिक (theoretical) है, यह व्यवहारिक (practical) सम्भव नही है। ऐसा ट्रांसफॉर्मर जिसमे हानियां (कॉपर लॉस + आयरन लॉस) शून्य होता है। आदर्श ट्रांसफॉर्मर कहलाता है।
आदर्श ट्रांसफॉर्मर के कॉपर का प्रतिरोध शून्य होता है अर्थात शून्य कॉपर का प्रयोग किया जाता है। ऐसे ट्रांसफॉर्मर में मैग्नेटिक लॉस (magnetic loss) शून्य होता है। वाइंडिंग ओह्ममिक (ohmic) रहित अर्थात वाइंडिंग शुद्ध चालक की बनी होती है जिसका प्रतिरोध शून्य होता है।
ऐसे ट्रांसफार्मर की दक्षता 100% होती है। तथा ऐसे ट्रांसफॉर्मर में इनपुट, आउटपुट के बराबर होता है।
आदर्श ट्रांसफॉर्मर
• वाइंडिंग— ohmic रहित (शुद्ध चालक)
• कॉपर लॉस— 0 (शून्य)
• दक्षता— 100%
• मैग्नेटिक लॉस— 0 (शून्य)
• हानियां— 0 (शून्य)
• इनपुट = आउटपुट
• शून्य प्रतिरोध की वाइंडिंग
ट्रांसफॉर्मर का ईएमएफ (emf) समीकरण (EMF Equation Of Transformer):— ट्रांसफॉर्मर की सेकेंडरी में प्रेरित स्थैतिक ईएमएफ (induce static emf) निम्न कारकों पर निर्भर करता है।
1. Φm (उच्चतम फ्लक्स घनत्व पर) वेबर में।
2. N टर्न की संख्या (जिस वाइंडिंग में ईएमएफ उत्पन्न करने की बात करे उसके टर्न की संख्या)।
3. f आवृत्ति (प्राइमरी वाइंडिंग को जो सप्लाई दी गई है उसकी आवृत्ति) हर्ट्ज (Hz) में।
Eave∝ Φm.f.N
Eave∝ 4.Φm.f.N
Erms= Form Factor × Eave
Erms= 1.11 × 4 × Φm × f × N
Erms= 4.44 Φm.f.N
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