जूल का प्रथम नियम:— इस नियम को अंग्रेजी भौतिक वैज्ञानिक जेम्स प्रेस्कॉट जूल ने दिया इन्होंने पाया की किसी विद्युत परिपथ में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा सीधे तार के विद्युत प्रतिरोध के समानुपाती होती है।
जूल का नियम (Joule's Law In Hindi):— जब किसी प्रतिरोधी तार में से धारा प्रवाहित होती है, तो वह गर्म होकर ऊष्मा उत्पन्न करती है तथा इसमें उत्पन्न होने वाली ऊष्मा तीन कारकों (3 factor) पर निर्भर करती है।
1. यदि किसी विद्युत तार के प्रतिरोध और उसमे से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समय को नियत रखा जाए तो उस तार में उत्पन्न ऊष्मा का मान, तार में से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के वर्ग के सीधे समानुपाती होता है।
H∝ i²
2. यदि किसी तार में प्रवाहित धारा और समय को नियत (constant) रखा जाए तो उस तार में उत्पन्न ऊष्मा का मान तार के प्रतिरोध के सीधे समानुपाती होता है।
H∝ R
3. यदि किसी तार के प्रतिरोध और उसमे प्रवाहित धारा के मान को नियत रखा जाए तो उस तार में उत्पन्न ऊष्मा का मान तार में बह रही धारा के समय के समानुपाती होता है।
H∝ t
इन तीनों कारकों को एक साथ लिखा जाए तो निम्नलिखित सूत्र प्राप्त होता है।
H∝ i²rt
जहां:—
H= ऊष्मा की मात्रा
i= विद्युत प्रवाह की मात्रा
R= चालक का प्रतिरोध
t= समय
प्रश्न:— ऊष्मा के जूल नियम के अनुसार सर्किट में उत्पन्न ऊष्मा कुछ कारकों पर निर्भर करती है। इसमें निम्न में से किसे आरोपित किया जा सकता है?
(A) सर्किट में प्रवाहित हो रही धारा
(B) चालक का प्रतिरोध
(C) धारा, चालक का प्रतिरोध और इसमें धारा के प्रवाहित होने की समय अवधि
(D) धारा और धारा के प्रवाहित होने की समयावधि
उत्तर:— C
जूल का उष्मीय नियम या जूल का तापन नियम:— इस आर्टिकल में हमने जूल के उष्मीय नियम के बारे में जाना की जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक में प्रवाहित विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है जिससे चालक गर्म हो जाता है। इसे विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव भी कहा जाता है।
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