Alternator In Hindi |
डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर में समानता:— डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर दोनों का कार्यकारी सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण (electro magnetic induction) पर आधारित होता है।
- डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर या अल्टरनेटर दोनों में गतिज प्रेरित ईएमएफ होता है।
- डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर दोनों में प्रेरित ईएमएफ का गुण एसी (ac) होता है, अर्थात दोनों एसी (ac) उत्पन्न करते हैं।
याद रखने योग्य बातें:— डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर दोनों में गतिज प्रेरित ईएमएफ होता है, जबकि ट्रांसफार्मर (transformer) में स्थैतिक प्रेरित ईएमएफ (static induce emf) होता है। गतिज प्रेरित ईएमएफ (dynamic induce emf) का मतलब होता है कि चालक और चुम्बकीय क्षेत्र के बीच सापेक्ष गति किसी प्राइम मूवर के माध्यम से मिलती है। जबकि ट्रांसफार्मर में दो चालकों के बीच जो गति होती है वह उनके खुद के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण होती है।
डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर में अन्तर (Difference Between DC Generator And AC Generator):— डीसी जनरेटर और एसी जनरेटर दोनों में अन्तर यह है की बाहरी सर्किट में ईएमएफ कैसे प्राप्त करते है?
A. आउटपुट प्राप्त करने का तरीका:—
1. डीसी जनरेटर में कम्यूटेटर तथा कार्बन ब्रश होता है, जबकि एसी जनरेटर में स्लिप रिंग और कार्बन ब्रश होता है। तथा जहां बड़े जनरेटर होते हैं वहां आउटपुट सीधे आर्मेचर से प्राप्त किया जाता है।
2. डीसी जनरेटर में चालक रोटेटिंग (rotating) तथा मैग्नेटिक फील्ड स्थिर होता है।
3. एसी जनरेटर/अल्टरनेटर में चालक स्थिर होता है, तथा चुंबकीय क्षेत्र गतिमान होता है।
नोट:—
- जिस प्रकार से सिंक्रोनस मोटर होता है ठीक उसी प्रकार से सिंक्रोनस जनरेटर भी होता है।
- जिस प्रकार इंडक्शन मोटर होता है, उसी प्रकार इंडक्शन जनरेटर भी होता है लेकिन इंडक्शन जनरेटर ऊष्मा (heat) बहुत ज्यादा उत्पन्न करता है और इसे एक सिंक्रोनस गति पर चलाए जाना संभव नहीं होता है। इसलिए एसी में जो जनरेटर होता है वह सिंक्रोनस मोटर के समान होता है ना कि इंडक्शन मोटर के समान होता है।
- डीसी में जो जरनेटर होता है वह डीसी मोटर के समान होता है।
अल्टरनेटर के भाग (Parts Of Alternator):— एक अल्टरनेटर में निम्नलिखित भाग होते है।
(i) बॉडी या फ्रेम या योक (Body or Frame or Yoke):— यह मशीन का सबसे बाहरी भाग होता है। अल्टरनेटर में बॉडी का कार्य स्टेटर (चालक) को होल्ड (hold) करके रखने का होता है। जबकि डीसी मशीन में बॉडी का कार्य चुम्बकीय बल रेखाओं का मार्ग पूरा करना होता है।
- बॉडी कास्ट आयरन (cost iron) या वेल्डेड स्टील (welded steel) का बना होता है तथा बॉडी में ही स्टेटर कोर स्थापित की जाती है।
(ii) स्टेटर या आर्मेचर (Stator or Armature):— एसी जनरेटर में स्टेटर को आर्मेचर कहा जाता है।
स्टेटर बॉडी के अंदर स्थापित होता है तथा लेमिनेटेड सिलिकॉन स्टील का बना होता है। सिलिकॉन स्टील को लेमिनेटेड करने का कारण भंवर धारा (eddy current) हानि को कम करना होता है। स्टेटर को सिलिकॉन स्टील से बनाने का कारण हिस्टेरिसिस हानि (hysteresis losses) को कम करना होता है।
स्टेटर में डक्ट (duct) कटे होते हैं तथा ये डक्ट दो प्रकार से कटे होते हैं स्पर्शीय (axial) और त्रिज्यीय (radial)।
स्टेटर में डक्ट बनाने का उद्देश्य प्रॉपर वेंटिलेशन (proper ventilation) होता है। जिससे की उचित वेंटिलेशन हो सके।
डक्ट का उद्देश्य उचित कूलिंग (better cooling) या हवा के आदान-प्रदान के लिए होता है क्योंकि कॉपर लॉस यहां सबसे ज्यादा स्टेटर में ही होगी क्योंकि मुख्य करंट (main current) इसी में प्रवाहित होती है। स्टेटर कोर में उचित डक्ट होती है और इन डक्ट से स्टेटर को ठंडा करते हैं।
स्टेटर कोर पर स्लॉट कटे होते हैं तथा स्लॉट का कार्य चालक स्थापित करना या कह सकते हैं कि इसी भाग में वाइंडिंग स्थापित की जाती है। स्लॉट 3 प्रकार के होते है।
(1) ओपन स्लॉट (Open Slot):— ओपन स्लाट में चालकों की स्थापना करना आसान होता है तथा एसी जनरेटर के स्टेटर में इसी स्लॉट का प्रयोग किया जाता है। ओपन स्लॉट में ऊपर से लेकर नीचे तक इनकी लंबाई–चौड़ाई एक समान होती है। इससे यह फायदा होता है कि इसके अन्दर स्थापित किए जाने वाले चालकों को बाहर किसी फर्म पर तैयार कर सकते तथा इनका उचित इंसुलेशन (proper insulation) भी कर सकते हैं। और इन्हें लाकर सीधा-सीधा स्थापित कर सकते हैं।
सबसे ज्यादा ओपन स्लॉट का प्रयोग किया जाता है तथा एसी जनरेटर में सबसे ज्यादा इसी विधि का उपयोग किया जाता है।
ओपन स्लॉट की विशेषता:— ओपन स्लॉट में इंसुलेशन की व्यवस्था उत्तम होती है तथा इसका मूल्य भी कम होता है।
ओपन स्लाइड में दोषयुक्त चालक को बदलने में आसानी होती है।
ओपन स्लॉट की कमी:— ओपन स्लाइड में फ्लक्स का वितरण असमान होता है, अर्थात सभी स्लॉट में फ्लक्स वितरण एक समान नहीं होता है जिसके कारण induce emf में रिप्पल (ripple) उत्पन्न हो जाता है।
(2) सेमी क्लोज्ड स्लॉट (Semi Closed Slot):— सेमी क्लोज (अर्धबंद प्रकार) प्रकार का स्लॉट सबसे उत्तम प्रकार का स्लॉट होता है। परंतु इसमें फर्मर वाली वाइंडिंग संभव नहीं होता है।
(फर्मर वाइंडिंग— इस विधि में बाहर किसी फ्रेम पर वाइंडिंग तैयार करके डाला जाता है। इसमें क्वायलों को एक-एक करके डालते हैं जैसे सीलिंग फैन में वाइंडिंग की जाती है)
(3) क्लोज़्ड टाइप स्लॉट (Closed Type Slot):— सामान्यतः यह स्लॉट उपयोग में नहीं लिए जाते हैं। और यदि उपयोग में लिए भी जाते तो टर्न को पूरी तरह से बांधा जाना आवश्यक होता है।
(iii) रोटर (Rotar):— रोटर गतिमान भाग होता है तथा इसका कार्य चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करना होता है। इसमें फील्ड की स्थापना या फील्ड वाइंडिंग होती है जिसे डीसी सप्लाई (dc supply) देकर उत्तेजित करते हैं।
ये चुम्बकीय क्षेत्र बनाता है स्टेटर चालकों से ये चुम्बकीय क्षेत्र लिंक हो जाता है और एक ईएमएफ induces हो जाता है।
डीसी दो स्लिप रिंग (slip ring) के माध्यम से दी जाती है।
नोट:— एक्साइटेशन (excitation) के लिए सदैव डीसी का प्रयोग किया जाता है। एसी से कभी एक्साइटेशन नहीं किया जाता है।
डीसी का जनरेटर हो या एसी का जनरेटर एक्साइटेशन सदैव डीसी से ही किया जाता है।
रोटर के प्रकार:— रोटर दो प्रकार के होते है।
(A) सेलिएंट पोल टाइप रोटर (Salient Pole Type Rotar)
(B) स्मूथ सिलेंड्रिकल रोटर (Smooth Cylendrical Rotar)
(iv) उत्तेजक (Exciter):— यह रोटर शाफ्ट के साथ जुड़ा होता है तथा एक डीसी का शंट (shunt) या कंपाउंड जनरेटर (compound generator) होता है जो फील्ड अर्थात रोटर को डीसी प्रदान करता है। जिस आरपीएम (rpm) से रोटर चलता है उसी आरपीएम (rpm) से शंट या कंपाउंड जरनेटर भी चलता है। इससे यह फायदा होता है कि अलग-अलग दो प्राइम मूवर की आवश्यकता नहीं होती है।
एक्साइटर लगभग 220V का डीसी देता है जिसे दो स्लिप रिंग का प्रयोग करके इस डीसी को रोटर तक पहुंचा दिया जाता है। जिससे रोटर एक्साइट हो जाता है।
एक्साइटर का कार्य रोटर को उत्तेजित करना होता है।
अल्टरनेटर कैसे काम करता है? (Alternator Working Principle In Hindi):— इस आर्टिकल में हमने जाना की एक अल्टरनेटर में कौन–कौन से मुख्य भाग होते है तथा एक अल्टरनेटर काम कैसे करता (what is alternator) है। इसी तरह के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग से संबंधित जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को जरूर फॉलो करे।
FAQ:—
प्रश्न— अल्टरनेटर का योक (body) किसका बना होता है?
उत्तर— कास्ट आयरन (cost iron) या वेल्डेड स्टील का
प्रश्न— अल्टरनेटर को अन्य किस नाम से जानते है?
उत्तर— अल्टरनेटर को सिंक्रोनस जनरेटर के नाम से भी जानते है।
प्रश्न— अल्टरनेटर में एक्साइटर (exciter) का कार्य क्या होता है?
उत्तर— रोटर को उत्तेजित करना।
प्रश्न— अल्टरनेटर के एक्साइटेशन के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर— डीसी सप्लाई का।
प्रश्न— अल्टरनेटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
उत्तर— विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर।
प्रश्न— भंवर धारा का अन्य नाम क्या होता है?
उत्तर— भंवर धारा का अन्य नाम फोकोल्ट करंट है।
Other Important Topics:—
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