कम्युनिकेशन सिस्टम में शोर क्या होता है? (Noise In Communication System In Hindi):— इस आर्टिकल में हम जानेंगे की संचार प्रणाली में शोर क्या होता है? (noise kya hota hai) तथा शोर संचार प्रणाली में सिग्नल को कैसे प्रभावित करता है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद शोर कितने प्रकार के होते (noise ke prakar) है तथा शोर से हमारे कम्युनिकेशन सिस्टम पर क्या प्रभाव पड़ता है। आप को सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जायेगी तो चलिए जानते है कम्युनिकेशन सिस्टम में शोर के बारे में।
Noise Kya Hota Hai |
संचार प्रणाली में शोर क्या है? (What Is Noise In Communication System):— वह अवांछित सिग्नल (वोल्टेज या धारा) जो इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (electricals or electronics circuit) में अकस्मात ही जुड़ (add) जाते हैं। शोर या रव (noise) कहलाते हैं।
जैसे— रेडियो रिसीवर के मामले में, शोर लाउडस्पीकर के आउटपुट में "हिस" की ध्वनि उत्पन्न करता है। ठीक ऐसे ही टेलीविजन रिसीवर में शोर "स्नो" पैदा करता है। जोकि पिक्चर आउटपुट पर आरोपित हो जाता है।
एक संचार प्रणाली में शोर मूल रूप से अवांछित सिग्नल होते है जो सिग्नल ले जाने वाली वास्तविक सूचना में स्वतः ही जुड़ जाते है तथा एक एंड (end) से दूसरे एंड (end) तक जाने वाली मूल सूचना या सिग्नल में गड़बड़ी उत्पन्न करते है। तथा सिग्नल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। कम्युनिकेशन सिस्टम में शोर का सबसे ज्यादा प्रभाव चैनल (channel) पर देखने को मिलता है।
संचार प्रणाली में शोर कितने प्रकार का होता है? (Types Of Noise In Communication System):— संचार प्रणाली में शोर को मुख्य रूप से उत्पन्न करने वाले स्रोत के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जिन्हे मुख्यतः दो भागो में बाटा गया है।
1. बाहरी शोर (External Noise)
2. आन्तरिक शोर (Internal Noise)
बाहरी शोर (External Noise In Communication System):— रिसीवर के बाहर का शोर बाहरी शोर कहलाता है।
जैसे–
- वातावरण में होने वाला डिस्टरबेंस (disturbances) {जैसे- लाइटनिंग (lightning), थंडरस्टार्म्स (thunderstorms)} के कारण होने वाला शोर (atmospheric noise)
- सूर्य के रेडिएशन (radiation) के कारण होने वाला शोर (solar noise)
- उद्योगो में मोटर (motors), आर्क (arcs) इत्यादि के कारण होने वाला शोर (industrial noise) इत्यादि।
आन्तरिक शोर (Internal Noise In Communication System):— यह रिसीवर के अंदर लगे सक्रिय और निष्क्रिय घटकों के कारण उत्पन्न होने वाला शोर होता है। रिसीवर के अंदर लगे घटकों की वजह से उत्पन्न होने वाला शोर आन्तरिक शोर कहलाता है।
- यह कई प्रकार का होता है जैसे–
(A) जॉनसन या व्हाइट शोर (Johnson or White Noise)— यह शोर रिसीवर में लगे प्रतिरोधों के कारण होता है। अर्थात यह शोर प्रतिरोध में अणुओं तथा इलेक्ट्रॉनों में होने वाले उष्मीय कंपनो (thermal vibration) के कारण उत्पन्न होता है। इस शोर को थर्मल शोर (thermal noise) भी कहा जाता है।
(B) शॉर्ट शोर (Shot Noise)— यह शोर अर्धचालको (semiconductor) में आवेशों (इलेक्ट्रॉन तथा होल) (electrons & hole) के इधर–उधर घूमने (random moments) के कारण उत्पन्न होता है।
(C) ट्रांसिट टाइम शोर (Transit Time Noise)— यदि ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनों को एमिटर से कलेक्टर (emitter to collector) तक पहुंचने में लगने वाले समय, इनपुट सिगनल के समय काल के कंप्रेबल (comparable) हो जाता है तो ट्रांसिट टाइम शोर होती है। यह शोर बहुत उच्च आवृत्तियो पर (very high frequency) बहुत अधिक हो जाता है।
उपर्युक्त सभी प्रकार के शोर सिग्नल के रिसेप्शन (reception) तथा डिमॉड्यूलेशन (demodulation) को प्रभावित करते है। इसलिए कम्युनिकेशन सिस्टम का डिजाइन (design) करते समय इस बात का ध्यान दिया जाता है की सिग्नल पर शोर का प्रभाव कम से कम पड़े। हालाकि शोर को कम्युनिकेशन सिस्टम से पूरी तरह समाप्त तो नही किया जा सकता है परन्तु इसे कम से कम किया जा सकता है।
सिग्नल टू न्वाइज अनुपात (Signal To Noise Ratio):— किसी बिंदु पर सिग्नल पावर तथा न्वाइज पावर के अनुपात को सिग्नल टू न्वाइज अनुपात (signal to noise ratio या snr) कहा जाता है। सिग्नल टू न्वाइज अनुपात का मान सदैव उच्च रखने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न:— इलेक्ट्रोनिक्स संचार प्रणाली में शोर _______ को संदर्भित करता है?
(A) सुनने की अनुभूति जो श्रव्य नही है।
(B) अवांछित सनसनी जो संदेशों को परेशान करती है।
(C) तेज संगीत जो कान के पर्दों को नुकसान पहुंचा रहा है।
(D) अवांछित संकेत जो संदेश संकेतो के संचरण और प्रसंस्करण को बाधित करता है।
उत्तर:— D विकल्प सही है
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