एक स्टेज को दूसरे स्टेज से किसी युग्मन युक्ति के माध्यम से जोड़ने की प्रक्रिया को युग्मन कहते है।
Multistage Amplifiers Coupling In Hindi |
युग्मन की आवश्यकता क्यों होती है? (Why needs of coupling):— बहुचरण प्रवर्धक में एक स्टेज को अगले स्टेज में जोड़ने के लिए युग्मन युक्ति का प्रयोग निम्न आवश्यकताओं को पूरा करने की वजह से किया जाता है।
(i) पहले स्टेज की एसी आउटपुट (ac output) को अगले स्टेज की इनपुट में स्थानांतरण (transfer) करने के लिए।
(ii) दोनों स्टेज की डीसी बायसिंग (dc biasing) को अलग रखने के लिए अर्थात यदि दो प्रवर्धको को बिना युग्मन युक्तियों के जोड़ दिया जाए तो वे एक दूसरे की डीसी बायसिंग को डिस्टर्ब (disturb) कर सकते हैं।
युग्मन के प्रकार (Types of coupling):— बहुचरण प्रवर्धक प्राप्त करने हेतु युग्मन युक्तियों द्वारा एक स्टेज को दूसरे स्टेज से जोड़ा जाता है। इन युग्मन युक्तियों में यह विशेषता होनी चाहिए की यह एसी सिग्नल (ac signal) को एक स्टेज से दूसरे स्टेज को पास होने दे किन्तु डीसी सिग्नल को पास न होने दे उन्हें ब्लॉक कर दे इसके लिए संधारित्र और ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है।
संधारित्र (capacitor) एक ऐसी युक्ति है जो एसी (ac) को पास करती है लेकिन डीसी को पास नही करती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संधारित्र का प्रतिघात Xc= 1/2πfc होता है। चुकी डीसी की आवृत्ति शून्य होती है, अतः डीसी पर संधारित्र का प्रतिघात (reactance) अनन्त होता है तथा डीसी के लिए संधारित्र खुला परिपथ (open circuit) की भांति व्यवहार करता है तथा डीसी को पास नही होने देता है। उच्च आवृत्तियो पर संधारित्र का प्रतिघात कम होता है तथा संधारित्र उन्हें पास कर देता है।
ट्रांसफार्मर वह युक्ति होती है जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धांत पर कार्य करती है। यह केवल एसी (alternating current) पर कार्य करती है डीसी (direct current) पर नहीं इसलिए मल्टीस्टेज प्रवर्धकों में युग्मन के लिए मुख्य रूप से दो युक्तियां कैपेसिटर और ट्रांसफार्मर (capacitor and transformer) का प्रयोग किया जाता है।
इसलिए मल्टीस्टेज प्रवर्धकों में युग्मन की मुख्यतः 3 विधियां है।
(A) आरसी युग्मन (RC coupling)
(B) ट्रांसफॉर्मर युग्मन (Transformer coupling)
(C) प्रत्यक्ष युग्मन (Direct coupling)
बहुचरण प्रवर्धको की आवृत्ति अनुक्रिया वक्र (Frequency responce curve of multistage amplifiers):— "इनपुट सिगनल (input signal) की आवृत्ति तथा वोल्टता लाभ (voltage gain) के बीच खींचा गया ग्राफ आवृत्ति अनुक्रिया वक्र कहलाता है।"
चुकी यह ग्राफ आवृत्ति की बड़ी सीमा के लिए खींचा जाता है इसलिए इस ग्राफ को खींचने के लिए सेमीलॉग ग्राफ पेपर का प्रयोग किया जाता है।
किसी प्रवर्धक का कार्य इनपुट संकेत (input signal) का प्रवर्धन करने का होता है लेकिन प्रवर्धक को प्राप्त इनपुट सिग्नल किसी एक विशेष आवृत्ति का नहीं होता है। इनपुट सिग्नल में आवृतियों का रेंज (range) होता है। उस पूरे रेंज में से कोई भी आवृत्ति उस इनपुट सिग्नल में हो सकती है।
जैसे– मनुष्य की ध्वनि में 30Hz से 18kHz तक की सभी आवृत्तिया पाई जाती है। इस सिग्नल को ऑडियो सिग्नल भी कहा जाता है।
इसलिए किसी प्रवर्धक के लिए यह आवश्यक होता है की वह प्रत्येक आवृत्ति को समान रूप से प्रवर्धित करें। प्रवर्धक का विभिन्न आवृत्तियों पर लाभ (gain) ज्ञात करने के लिए ही आवृत्ति अनुक्रियां वक्र खींचा जाता है।
ग्राफ पेपर पर X अक्ष पर आवृत्ति तथा Y अक्ष पर वोल्टेज लाभ लेकर इस ग्राफ को खींचा जाता है। किसी प्रवर्धक के आवृत्ति अनुक्रिया वर्क से यह स्पष्ट हो जाता है कि विभिन्न आवृत्तियों पर प्रवर्धक का वोल्टेज लाभ (voltage gain) कितना है तथा आवृत्ति की किस रेंज में इस प्रवर्धक को प्रयोग करना उचित है अर्थात आवृत्ति की किस रेंज में इस प्रवर्धक का प्रयोग करने पर संतोषजनक (satisfactory) वोल्टेज प्राप्त होगा।
हम जानते हैं कि multi-stage प्रवर्धक में भिन्न-भिन्न कपलिंग युक्तियां लगाई जाती है इसलिए multi-state प्रवर्धक का आवृत्ति अनुक्रिया वक्र भी भिन्न-भिन्न होता है।
प्रश्न:— बहुचरण प्रवर्धको की आवृत्ति अनुक्रिया वक्र किसके–किसके बीच खींचा जाता है?
(A) इनपुट सिग्नल की आवृत्ति (input signal)
(B) वोल्टता लाभ (voltage gain)
(C) आउटपुट आवृत्ति और इनपुट आवृत्ति (input frequency and output frequency)
(D) इनपुट सिग्नल की आवृत्ति और वोल्टता लाभ के बीच
उत्तर:— D
प्रश्न:— बहुचरण प्रवर्धक में युग्मन (coupling) के लिए किस युक्ति का प्रयोग किया जाता है?
(A) संधारित्र
(B) ट्रांसफॉर्मर
(C) A और B दोनो
(D) वैरैक्टर डायोड
उत्तर:— C
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