बेसबैंड सिग्नल किसे कहते है (Baseband Signal In Hindi):— संचार प्रणाली में बेस बैंड (baseband) का तात्पर्य उन आवृत्तियों से है जो सूचना के मूल स्रोत (original source of information) में उपस्थित होती है।
"सूचना के मूल स्रोत अर्थात जिस सूचना को ट्रांसमिट करना है, मैं उपस्थित आवृत्ति रेंज को बेस बैंड कहा जाता है।"
Baseband & Carrrier Signal In Hindi |
जैसे— ऑडियो सिग्नल की अधिकतम आवृत्ति 20kHz हो सकती है। चुकी ऑडियो सिग्नल 20Hz से 20kHz तक होती है। अतः बेसबैंड का तात्पर्य इस सिग्नल में उपस्थित आवृत्तियों (20Hz से 20kHz तक) से होता है।
कम्युनिकेशन के लिए मूल सिग्नल जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है उसे बेसबैंड सिग्नल (base band signal), सूचना सिग्नल (information signal) और मैसेज सिग्नल (message signal) कहा जाता है। बेसबैंड सिग्नल को मॉड्यूलेटिंग सिग्नल (modulating signal) भी कहा जाता है। सामान्यतः मॉड्यूलेटिंग सिग्नल एक निम्न आवृत्ति का सिग्नल होता हैं। यह बैंड सीमित (band limited) सिग्नल होता है, अर्थात इसमें सीमित आवृत्तियों के घटक (limited frequencies components) ही उपस्थित होते है।
किसी कम्युनिकेशन चैनल का उचित उपयोग तभी संभव है जब इन बेसबैंड आवृत्तियों को उच्च आवृत्ति रेंज में शिफ्ट कर दिया जाए क्योंकि उच्च आवृत्तियों पर ही सूचना का ट्रांसमिशन ठीक प्रकार से हो सकता है। "निम्न आवृत्ति रेंज के सिग्नल को उच्च आवृत्ति रेंज में जिस क्रिया द्वारा शिफ्ट किया जाता है उसे माड्यूलेशन करते हैं।" अतः किसी सिग्नल को ट्रांसमिट करने से पूर्व उसकी उच्च आवृत्ति रेंज पर शिफ्टिंग (shifting) अर्थात मॉड्यूलेशन करना जरूरी होता है। माड्यूलेशन के पश्चात ही सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसमिट (transmit) किया जाता है।
जब ट्रांसमिट किया गया सिग्नल रिसीवर पर पहुंचता है तो रिसीवर उस सिग्नल को रिसीव (receive) करता है। सिग्नल को रिसीव करने के पश्चात उसे फिर से मूल आवृत्ति रेंज में वापस शिफ्ट किया जाता है यह प्रक्रिया माड्यूलेशन प्रक्रिया के विपरीत होती है तथा इसे डिमॉड्यूलेशन कहा जाता है।
कैरियर सिग्नल किसे कहते है? (Carrier Signal In Hindi):— "संचार प्रणाली में कैरियर सिग्नल का तात्पर्य उस उच्च आवृत्ति तरंग से है, जिस पर निम्न आवृत्ति के बेसबैंड सिग्नल को अध्यारोपित (superimpose) करके भेजा जाता है।"
कैरियर का शाब्दिक अर्थ वाहक या वाहन होता है। अर्थात कम्युनिकेशन सिस्टम में बेसबैंड सिग्नल या मैसेज सिग्नल को ले जाने वाला कैरियर कहलाता है।
कैरियर सिग्नल में स्वयं कोई सूचना नहीं होती है इस सिग्नल का कार्य केवल सूचना सिग्नल या बेसबैंड सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना होता है। चुकी ये सूचना को ले जाने का कार्य करता है, अतः इसे कैरियर सिग्नल कहते है।
बेसबैंड सिग्नल और कैरियर सिग्नल को एक उदहारण के द्वारा समझने की कोशिश करते है।
मान लीजिए सुनीता अपने घर की छत पर खड़ी है और वह अपने घर से दो–तीन घर दूर अपनी सहेली अंशिका को कोई कागज का टुकड़ा देना चाहती है जिस पर कुछ नोट्स लिखे है। अगर सुनीता डायरेक्ट (direct) कागज का टुकड़ा अंशिका तक फेकती है तो वह कागज अंशिका तक नही जा पायेगा क्योंकि कागज बहुत हल्का होता है तथा वह हवा के कारण ज्यादा दूरी नही तय कर पाएगा। अब सुनीता अपना दिमाग लगाती है तथा कागज के टुकड़े को एक छोटे से पत्थर में लपेट कर अंशिका तक फेकती है जिससे कागज का दुकड़ा अंशिका तक पहुंच जाता है अंशिका कागज से पत्थर को अलग करती है और इस प्रकार सुनीता के द्वारा भेजा गया नोट्स वह प्राप्त कर लेती है।
इस प्रकार यहां सुनीता के द्वारा अपनी दोस्त को भेजा गया कागज का टुकड़ा "मैसेज सिग्नल" और पत्थर "कैरियर सिग्नल" का कार्य करता है।
बेसबैंड सिग्नल और कैरियर सिग्नल (Baseband Signal & Carrier Signal In Hindi):— आशा करता हु की इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप को बेसबैंड सिग्नल और कैरियर सिग्नल के बारे में अच्छे से जानकारी हो गई होगी इसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बारे में जानकारी के लिए इलेक्ट्रिक टॉपिक ब्लॉग को जरूर फॉलो करे तथा ब्लॉग को अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे।
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