इलेक्ट्रिकल वायरिंग क्या है? (Electrical Wiring In Hindi)— आजकल बिजली का इस्तेमाल लगभग सभी स्थानों जैसे घरों या फैक्टरियों में किया जाता है। बिजली का इस्तेमाल करने के लिए हमे विद्युत तार (electrical wire) की जरूर होती है इन तारो का उपयोग सही तरीके से तथा एक सेट में करके करना चाहिए जिससे बिजली से आग लगने का खतरा न रहे तथा यदि गलती से आग लग भी जाए तो कम से कम खतरा हो इसके लिए तारों को सही प्रकार से सेट करके इनकी फिटिंग कर देते है जिसे विद्युत वायरिंग (electrical wiring) कहते है।
Electrical Wiring Method In Hindi |
वायरिंग करने के कई तरीके है, जैसे की—बैटन वायरिंग (batten wiring), केपिग एंड कैसिंग वायरिंग (caping and casing wiring), क्लिट वायरिंग (cleat wiring) इत्यादि। लेकिन सभी जगह पर इन सभी वायरिंग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है ज्यादातर घरेलू वायरिंग के रूप में बैटन वायरिंग, केपिग एंड कैसिंग वायरिंग और कंसील्ड वायरिंग (concealed wiring) का उपयोग ज्यादातर करते है इसलिए इलेक्ट्रिकल वायरिंग करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की घर में किस प्रकार की वायरिंग करनी है क्योंकि कंसील्ड वायरिंग महगी वायरिंग होती है लेकिन इस वायरिंग की यह विशेषता है कि यह सालो–साल बिना किसी खराबी के चल सकती है। हालांकि केपिग एंड कैसिंग वायरिंग सस्ती वायरिंग है इस कारण इस वायरिंग का उपयोग ज्यादातर घरेलू वायरिंग में करते है।
वायरिंग में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक सामग्री (Meterial For Wiring System)— वायरिंग के दौरान कई आवश्यक वस्तुओं की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह वायरिंग के प्रकार पर निर्भर करता है की वायरिंग किस तरह की जा रही है क्योंकि सभी वायरिंग के तरीके अलग–अलग होते है तथा उनके लिए अलग–अलग समान की आवश्यकता होती है। परन्तु यहां नीचे कुछ आवश्यक वायरिंग हेतु सहायक सामग्री की सूची दी जा रही है जिसकी आवश्यकता एक वायरिंग के दौरान पड़ती है।
1. तार (wire)
2. कंडयूट पाइप (conduit pipe)
3. केपिग एंड कैसिंग (caping and casing)
4. लकड़ी के बोर्ड और गट्टिया (wood board)
5. डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (distribution board)
6. मुख्य स्विच बोर्ड (main switch board)
7. मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (mcb)
8. फ्यूज (fuse)
9. पुश बटन और दीवार सॉकेट (push button and wall socket)
10. टम्बलर स्विच (tumbler switch)
11. होल्डर (holder)
12. अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर (ELCB)
13. स्विच, वन वे और टू वे (switch, one way and two way)
याद रखे:— यदि कंडयूट वायरिंग की जा रही है तो इसके लिए कंडयूट पाइप तथा यदि केपिग एंड कैसिंग वायरिंग की जा रही है तो इसके लिए केपिग कैसिंग की आवश्यकता होती है।
वायरिंग सिस्टम के प्रकार (Method Of Wiring System In Hindi)— इलेक्ट्रिकल पोल के माध्यम से बिजली की तार हमारे घर तक आती है इसके बाद में हम हमारे घर में बिजली की फिटिंग करने हेतु इलेक्ट्रिकल वायरिंग करते है। बिजली की तारे घर पर आने के बाद सबसे पहले मुख्य स्विच (main switch) और डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (distribution board) में लगाते हैं जहां से हम उसे अपने घर में अलग–अलग पहुंचा देते है डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड के बाद इलेक्ट्रिकल वायरिंग करने के तीन (3) तरीके है।
1. वृक्ष प्रणाली (Tree System)— सबसे ज्यादा इसी वायरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है क्योंकि हम डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड से घर के सभी कमरों, बाथरूम, रसोई और टायलेट में बिजली के तारो को लेकर जाते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि जहां पर हमे अधिक लोड वाले उपकरण चलाने होते है सिर्फ उसी कमरे के लिए मोटी तार का इस्तेमाल करते है तथा अन्य किसी कमरे में यदि केवल लाइट और पंखा का इस्तेमाल करना है तो वहां हम पतली तार का उपयोग भी कर सकते हैं।
"यह अस्थाई वायरिंग होती है तथा मेले व प्रदर्शनी कार्यों में इसका उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।"
ट्री सिस्टम वायरिंग के गुण या फायदे (Advantage Of Tree Wiring System)—
एक ट्री सिस्टम वायरिंग के निम्नलिखित गुण होते है।
A. इस वायरिंग सिस्टम में कम तार की आवश्यकता होती है क्योंकि अलग–अलग ब्रांच के लिए तार नही लेकर जाना होता है।
B. यह वायरिंग काफी सस्ती होती है अर्थात इस वायरिंग का लागत कम होता है।
C. यह वायरिंग आसानी से की जा सकती है अर्थात सरलता से स्थापना। इस वायरिंग को करने में बहुत कम समय लगता है।
D. इस वायरिंग को करने के लिए किसी कुशल इलेक्ट्रीशियन की आवश्यकता नहीं होती है कोई भी जानकर व्यक्ति वायरिंग कर सकता है।
ट्री सिस्टम वायरिंग के दोष (Disadvantage Of Tree Wiring System)—
ट्री वायरिंग सिस्टम में निम्नलिखित दोष होता है।
A. इस वायरिंग सिस्टम में प्रत्येक उपकरण को निर्धारित वोल्टेज नही मिल पाता है जिसके कारण इस वायरिंग सिस्टम की दक्षता कम हो जाती है।
B. वायरिंग बाह्य आग व यांत्रिक चोट से सुरक्षित नहीं होती है।
C. इस वायरिंग सिस्टम में दोष को ढूढना व सुधारना कठिन होता है।
D. चुकी इस वायरिंग में एक ही तार मुख्य तार के रूप में जा रहा होता है इसलिए सब जगह पोटेंशियल डिफरेंस (potential difference) अलग–अलग होता है। इस वायरिंग में वोल्टेज ड्राप अधिक होता है।
E. इस वायरिंग में अधिक फ्यूज की आवश्यकता होती है।
2. डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स सिस्टम वायरिंग (Distribution Box System Wiring or D.B.S)— इस प्रकार की वायरिंग में सबसे पहले मुख्य सप्लाई को मेन स्विच पर दी जाती है वहां से फिर अलग–अलग डिस्ट्रीब्यूशन बोर्डो में दी जाती है। इसके लिए हर एक डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड में एक फ्यूज (fuse) या एमसीबी (mcb) भी लगानी पड़ती है। जिससे किसी भी रूम की सप्लाई को हम डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड से बंद कर सकते है।
"यह स्थाई वायरिंग होती है। इसमें प्रत्येक शाखा के लिए दो तार होती है। यह वायरिंग की सबसे उपयुक्त व सुरक्षित विधि होती है।
डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड सिस्टम वायरिंग के गुण (Advantage Of Distribution Board Wiring System)—
A. यह वायरिंग बाह्य यांत्रिक चोट व आग से सुरक्षित होती है।
B. इस वायरिंग सिस्टम में दोष को ढूढना आसान होता है। चुकी इस वायरिंग में हर अलग ब्रांच और सर्किट की एमसीबी अलग होती है इस वजह से फॉल्ट को पता लगाना बहुत आसान होता है।
C. इस प्रकार की वायरिंग सिस्टम में वोल्टेज ड्रॉप काफी कम होता है।
D. फ्यूज और एमसीबी एक स्थान पर लगाए जाते है जिससे की इन्हे चालू करना और बदलना आसान होता है।
डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड सिस्टम वायरिंग के दोष (Disadvantage Of Distribution Board Wiring System)—
A. इस प्रकार की वायरिंग सिस्टम में अधिक फ्यूज और एमसीबी की आवश्यकता होती है।
B. यह वायरिंग सिस्टम काफी महगा होता है।
C. इस वायरिंग को करने के लिए एक कुशल इलेक्ट्रीशियन की आवश्यकता होता है।
3. रिंग सिस्टम वायरिंग (Ring System Wiring)— रिंग सिस्टम वायरिंग ज्यादातर वितरण (distribution) में काम लेते है तथा औद्योगिक (industrial) वायरिंग में प्रयोग की जाती है।
जब लोड 30A या एरिया (area) 100m² दोनो में से कोई एक जो पहले हो जाए तो रिंग सिस्टम पूर्ण हो जाता है, इसके बाद नया रिंग सर्किट लेना चाहिए।
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