वायरिंग परिपथ निम्नलिखित प्रकार की होती है जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
Wiring Circuit In Hindi |
1. सुरंग वायरिंग (Tunnel wiring in hindi)— टनल वायरिंग में एक समय दो लैंप प्रकाशित होना आवश्यक माना जाता है।
टनल वायरिंग में फेज और न्यूट्रल दोनों स्विच पर दिए जाते हैं। इसलिए वायरिंग जटिल होती है तथा वायरिंग करते समय सावधानी जरूरी होती है क्योंकि गलती होने पर शॉर्ट सर्किट (short circuit) होने की संभावना होती है इस वायरिंग में फाइनल स्विच (final switch) को जब भी प्रेस करते है सभी लैंप ऑफ (off) हो जाते है।
टनल वायरिंग की विशेषता (Characteristics of tunnel wiring)—
(i). टनल वायरिंग में सभी स्विच टू वे (two way switch) होते है।
(ii). टनल वायरिंग में एक साथ दो लैंप प्रकाशित होते है।
(iii). टनल वायरिंग में लैंप–स्विच बराबर होते है।
गोदाम वायरिंग (Godown wiring in hindi)— इस वायरिंग में स्टार्टिंग (starting) का एक वन वे स्विच (one way switch) होता है तथा बाकी शेष सभी स्विच टू वे स्विच (two way switch) होते हैं।
- स्विच उतने ही होगे जितने लैंप कन्ट्रोल करना है।
- इसमें सभी लैंप कभी ऑफ नही होगे।
सीढ़ियों की वायरिंग (Staire case wiring)— जब एक लैंप को तीन या अधिक स्थान से कंट्रोल करना हो तो स्टेयरकेस वायरिंग (staire case) वायरिंग की जाती है।
एक उपकरण को तीन या अधिक स्थान से कंट्रोल करने के लिए दो टू वे स्विच (2 two way switch) फर्स्ट और लास्ट (1st and last) के बीच में जितने बल्ब होंगे उतने इंटरमीडिएट स्विच (intermediate switch) का प्रयोग करते हैं।
- जितने लैंप कंट्रोल करने होते हैं उतने ही इंटरमीडिएट स्विच लगाते हैं।
- इसमें दो टू वे स्विच (2 two way switch) की संख्या स्थिर (fix) रहती है बाकी इंटरमीडिएट स्विच की संख्या लैंप के अनुसार बदलती है।
इसे भी जाने:— अर्थिंग के प्रकार
टाइप ऑफ वायरिंग— दोस्तो इस आर्टिकल में वायरिंग के प्रकार में इतना ही इन तीनो प्रकार की वायरिंग के बारे में विस्तृत जानकारी कनेक्शन सहित हम कोशिश करेगे की इस टॉपिक के अगले भाग में आप तक जरूर पहुंचाए। इलेक्ट्रिक टॉपिक ब्लॉग वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आप सभी लोगो का धन्यवाद!
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