Wiring Accessories List In Hindi |
वायरिंग के दौरान कुछ ऐसी सहायक सामग्री होती है जिनका उपयोग करना अति आवश्यक होता है तथा कुछ सहायक सामग्री ऐसी होती है जिनका उपयोग हम अपनी आवश्यकता या जरूरत को ध्यान में रखकर करते है। यहां कुछ ऐसी ही सहायक सामग्री के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
वायरिंग में प्रयुक्त होने वाली आवश्यक सामग्री (Wiring Accessories List In Hindi))— घरेलू वायरिंग में निम्नलिखित सहायक सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
1. स्विच (Switch)— स्विच किसी सर्किट परिपथ को ऑन/ऑफ (on/off) करने के काम आता है। यह सर्किट/परिपथ को मेक और ब्रेक (make & break) करने के काम आता है।
स्विच एक कंट्रोल युक्ति (control device) है। स्विच निम्न प्रकार के होते है।
(A) वन वे स्विच (Single Pole Single Throw or SPST)— वन वे स्विच को सिंगल पोल सिंगल थ्रो स्विच (single pole single throw switch) भी कहते हैं। इस स्विच में दो टर्मिनल (two terminal) होते हैं। एक उपकरण को एक स्थान से कंट्रोल करने हेतु वन वे स्विच का प्रयोग किया जाता है। वन वे स्विच का प्रयोग किसी एक वैद्युतिक उपकरण को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।
(B) टू वे स्विच (Single Pole Double Through Switch or SPDT)— टू वे स्विच को सिंगल पोल डबल थ्रो स्विच (single pole double through switch) कहते हैं। इस स्विच में तीन टर्मिनल (three terminal) होते हैं।
दो स्विच से एक लैंप को दो स्थानों से कंट्रोल करने के लिए या विद्युत घंटी को दो जगह से कंट्रोल करने के लिए टू वे स्विच का प्रयोग किया जाता है।
एक उपकरण को 2 स्थान से कंट्रोल करने हेतु टू वे स्विच का प्रयोग करते हैं। जैसे— जीने या सीढ़ियों की वायरिंग में टू वे स्विच का प्रयोग किया जाता है।
(C) इंटरमीडिएट स्विच (Intermediate Switch)— इंटरमीडिएट स्विच में चार टर्मिनल (four terminal) होते हैं। इसका उपयोग एक उपकरण को तीन या अधिक स्थान से कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। इस स्विच के चारों टर्मिनल को क्रॉस प्रयोग (cross use) तथा होरिजोंटल (horizontal) और वर्टिकल (vertical) प्रयोग भी कर सकते हैं।
(D) डबल पोल (Iron Clad Double Pole Switch)— यह डीपीडीटी (double pole double through or DPDT) स्विच होता है। यह दो सर्किट को एक साथ मेक तथा ब्रेक करता है। इसमें दो पोल होते हैं तथा यांत्रिक रूप से जुड़े होते हैं।
इसका प्रयोग सिंगल फेज एसी मेन स्विच (single phase ac main switch) और डीसी मेन स्विच (dc main switch) में करते हैं।
(E) टीपी (Iron Clad Triple Pole Switch or I.C.T.P)— इसमें स्विच में तीन पोल (three pole) होते हैं तथा तीनों यांत्रिक रूप से जुड़े होते हैं जो एक साथ मेक और ब्रेक (make & brake) करते हैं इसका प्रयोग थ्री फेज एसी मेन स्विच (three phase ac main switch) में करते हैं।
(F) पुश बटन (Push Button)— यह स्प्रिंग प्रचालित स्विच (spring operated switch) होता है। जो किसी भी सर्किट को अस्थाई मेक और ब्रेक (make & brake) करता है। यह दो प्रकार का होता है।
- (i) नॉर्मली ओपन (Normally Open or N.O)— यह किसी सर्किट को नॉर्मली ओपन (open) अर्थात मेक करने के काम आता है।
- (ii) नॉर्मली क्लोज (Normally Close or N.C)— यह किसी सर्किट को स्टॉप (stop) करने अर्थात ब्रेक करने के काम आता है।
(G) पुल स्विच (Pull Switch)— यह डोरी वाला स्विच होता है।
(H) लिमिट स्विच (Limit Switch)— यह मैकेनिकल स्विच होता है तथा मोटराइज सर्किट में कंट्रोल करने के काम आता है।
(I) स्लाइड स्विच (Slide Switch)— इस प्रकार के स्विच को स्लाइड (slide) करके ऑन आफ (on & off) किया जाता है।
जैसे– रेडियो और टॉर्च में लगे स्विच
(J) नाइफ स्विच (Knife Switch)— यह स्विच डिस्ट्रीब्यूशन (distribution) में काम आता है। इस स्विच का उपयोग सब स्टेशन या वितरण स्टेशन में किया जाता है।
2. सॉकेट (Socket)— इसमें 3 पिन (three pin) का उपयोग किया जाता है। इसमें बीच में एक मोटा पिन होता है जो हमेशा अर्थ तार के लिए बना होता है। इसमें राइट साइड (right side) हमेशा फेज (phase) के लिए तथा लेफ्ट साइड (left side) हमेशा न्यूट्रल (neutral) के लिए होता है। यह पोर्टेबल इक्विपमेंट (portable equipment) को सप्लाई देने के काम आता है।
3. प्लग टॉप (Plug Top)— पोर्टेबल इक्विपमेंट को सीधे सॉकेट में न लगाकर प्लग टॉप (plug top) में लगाते है।
4. लैंप होल्डर (Lamp Holder)— लैंप होल्डर तीन प्रकार के होते हैं।
- (i) बायोनेट कैप— इसमें फेज और न्यूट्रल दोनों पिन केंद्र पर होते हैं। इसको 200 वॉट तक प्रयोग करते हैं।
- (ii) एडिसन स्क्रू— इसमें फेज केंद्र पर व न्यूट्रल चूड़ी पर होता है। यह 200 वॉट से 300 वॉट तक होते हैं।
- (iii) गोलिएथ स्क्रू— इसमें फेज केंद्र पर व न्यूट्रल चौड़ी पर होता है। यह 300 वॉट से अधिक के होते हैं।
5. ग्रोमेट (Grommet)— इसे ग्लैंड (gland) भी कहते हैं। यह केबिल लगाने के काम आता है। पैनल बोर्ड में केबल के लिए काम में लेते हैं।
6. डिनरेल— यह एक चपटी फट्टी होती है तथा बिना स्क्रू के पैनल बोर्ड में सहायक सामग्री को लगाने के काम आता है। यह सहायक उपकरण (auxiliary equipment) जैसे– ओवरलोड रिले (overload relay) और कांट्रेक्टर (contractor) इत्यादि को बिना स्क्रु के लगाने के काम आता है।
7. रिसवे (Raceway)— यह केसिंग–केपिंग (casing caping) के जैसा होता है तथा वायर गुजारने के लिए होता है।
8. फेरुल (Ferrule)— यह केबल की पहचान के लिए होता है जो केबल के आगे के भाग में लगता है। इसमें अल्फाबेट्स (alphabet) या न्यूमेरिकल मान (nemurical value) की नंबरिंग (numbering) की गई होती है तथा ज्यादातर पीवीसी की होती है।
9. लग (Lug)— यह टर्मिनल बॉक्स में केबल या तार को लगाने के लिए होता है।
10. एंगल होल्डर— प्रकाश को निश्चित जगह पर फोकस करने के लिए एंगल होल्डर का प्रयोग किया जाता है। रोशनी का प्रभाव किसी एक तिरछे जगह पर फोकस करने के लिए एंगल होल्डर लगाते है।
11. मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (Miniature Circuit Breaker)— विद्युत धारा के मान को नियंत्रित करने के लिए एमसीबी का प्रयोग किया जाता है।
12. मेन स्विच— मुख्य लाइन को ऑन/ऑफ करने के लिए मेन स्विच का प्रयोग किया जाता है।
13. फ्यूज— वायरिंग में यह एक मुख्य सहायक सामग्री होता है यह परिपथ को शॉर्ट सर्किट से बचाता है। किसी वैद्युतिक परिपथ की शॉर्ट सर्किट व ओवरलोड से बचाता है। यह निर्धारित मान से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर स्वयं पिघलकर टूट जाता है।
14. सीलिंग रोज— यह छत या दीवार पर लगाकर इसमें पंखे, ट्यूबलाइट, पेंडेंट होल्डर आदि में प्रयोग किया जाता है।
वायरिंग आवश्यक सहायक सामग्री प्रश्न और उत्तर—
प्रश्न— वैद्युतिक वायरिंग में उपयोग होने वाले आवश्यक सहायक सामग्री कौन–कौन सी है?
उत्तर— स्विच सॉकेट, पेच, कील, लैंप होल्डर, फ्यूज, स्विच सॉकेट और प्लग टॉप इत्यादि।
प्रश्न— वायरिंग के दौरान स्विच क्या कार्य करता है?
उत्तर— वैद्युतिक परिपथ को नियंत्रित अथवा ऑन/ऑफ
प्रश्न— स्टेयर केस (staire case wiring) में कितने टू वे स्विच होते है?
उत्तर— 2
प्रश्न— सीलिंग रोज का प्रयोग कहा किया जाता है?
उत्तर— छत या दीवार में
प्रश्न— इंटरमीडिएट स्विच में कितने टर्मिनल होते है?
उत्तर— 4
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