modulation and demodulation in hindi |
संचार (communication) में मॉड्यूलेशन का अर्थ होता है— किसी उच्च आवृत्ति तरंग (high frequency wave) के अभिलक्षण (parameter/पैरामीटर) जैसे आयाम, आवृत्ति या कला को निम्न आवृत्ति के सूचना सिग्नल (low frequency information signal) के साथ परिवर्तित करना।
संचार प्रणाली में उच्च आवृत्ति तरंग को कैरियर तरंग (carrier frequency) और निम्न आवृत्ति के सूचना सिग्नल को मॉड्यूलेटिंग सिग्नल (modulating signal) कहा जाता है। कैरियर तरंग का ऑडियो सिग्नल (मॉड्यूलेटिंग सिग्नल) द्वारा मॉड्यूलेशन होने पर अर्थात मॉड्यूलेशन के पश्चात जो तरंग प्राप्त होती है उसे मॉड्यूलेटेड तरंग (modulated wave) कहते हैं। इस मॉड्यूलेटेड तरंग को ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। मॉड्यूलेशन क्रिया की सहायता से बेसबैंड आवृत्तियो को उच्च आवृत्ति रेंज में शिफ्ट कर दिया जाता है जिससे की उनका ट्रांसमिशन (transmission) आसानी से हो सके।
वह मूल सिग्नल जिसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाना है उसे बेसबैंड सिग्नल (baseband signal), मैसेज सिग्नल (message signal) या मॉड्यूलेटिंग सिग्नल (modulating signal) कहा जाता है।
"मॉड्यूलेशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक उच्च आवृत्ति के कैरियर तरंग का कोई अभिलक्षण जैसे– आयाम, आवृत्ति या कला को निम्न आवृत्ति की मॉड्यूलेट तरंग के तात्क्षणिक मान के अनुसार परिवर्तित किया जाता है।"
अर्थात— "उच्च आवृत्ति करियर तरंग पर, ऑडियो आवृत्ति (audio frequency) के अध्यारोपण (superposition) होने की प्रक्रिया को मॉड्यूलेशन कहा जाता है।"
मॉड्यूलेशन की क्रिया द्वारा बेसबैंड आवृत्तियो को उच्च आवृत्ति रेंज (high frequency range) में शिफ्ट कर दिया जाता है ऐसा करने से सिग्नल का ट्रांसमिशन ठीक प्रकार से संभव हो पाता है जिससे की हम जो सूचना एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना चाहते थे वह सूचना ठीक प्रकार से पहुंच पाती है।
डिमॉड्यूलेशन क्या होता है? (Demodulation In Hindi)— मॉड्यूलेशन की विपरीत क्रिया को डिमॉड्यूलेशन कहा जाता है।
"डिमॉड्यूलेशन वह क्रिया है जिसके द्वारा मॉड्यूलेटेड तरंग (मैसेज सिग्नल या बेसबैंड सिग्नल) से मूल मॉड्यूलेटिंग तरंग पुनः प्राप्त की जाती है।"
मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन की प्रक्रिया संचार प्रणाली में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया के बिना संचार संभव ही नहीं है।
सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने से पूर्व मॉड्यूलेशन क्रिया तथा उसको रिसीव करने के पश्चात डिमॉड्यूलेशन की क्रिया करनी पड़ती है। तभी जाकर हमे मूल सूचना सिग्नल प्राप्त होती है।
मॉड्यूलेटिंग तरंग द्वारा कैरियर को मॉडुलेट करने पर प्राप्त मॉड्यूलेटेड तरंग को ट्रांसमिट किया जाता है तथा रिसीवर इस मॉड्यूलेटेड सिग्नल को रिसीव करता है। इस मॉड्यूलेटेड सिग्नल में से मूल मॉड्यूलेटिंग सिग्नल को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इसी लिए रिसीवर पर प्राप्त मॉड्यूलेटेड तरंग का डिमॉड्यूलेशन किया जाता है। जिससे की मूल सूचना प्राप्त कर सके।
मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन की आवश्यकता क्यों पड़ती है? (Why need of Modulation & Demodulation)
सूचना सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने से पहले मॉड्यूलेशन की क्रिया की जाती है तथा सूचना सिग्नल एक उच्च आवृत्ति कैरियर सिग्नल का मॉड्यूलेशन करता हैं तथा मॉड्यूलेटेड तरंग को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। रिसीवर पर मॉड्यूलेटेड सिग्नल का डिमॉड्यूलेशन करके पुनः मूल सूचना प्राप्त की जाती है।
मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन की आवश्यकता निम्न कारणों से पड़ती है।
1. उच्च आवृत्तियो पर सिग्नल का ट्रांसमिशन सस्ता और विश्वसनीय होता है— निम्न आवृत्ति के सिग्नल अधिक दूरी तय नहीं कर सकते है तथा इनके ट्रांसमिशन में उच्च आवृत्ति सिग्नलों की तुलना में अधिक पावर की आवश्यकता होती है। अंतः बेसबैंड सिग्नल को ट्रांसमिट करने से पहले उसे उच्च आवृत्ति रेंज पर शिफ्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया को मॉड्यूलेशन कहते है।
2. यदि सूचना सिग्नल को बिना मॉड्यूलेशन के प्रसारित कर दिया जाए तो सूचना को रिसीव करने के लिए अत्यधिक लंबाई के एंटीना की आवश्यकता होगी— यदि किसी एंटीना की ऊंचाई प्रयुक्त आवृत्ति की तरंगदैर्ध्य (wavelength) के एक चौथाई से अधिक होती है तभी उस सिग्नल को एंटीना अच्छी प्रकार से रिसीव कर पाता है। यदि एंटीना की ऊंचाई प्रयुक्त सिग्नल की तरंगदैर्ध्य की एक चौथाई से कम होगी तो एंटीना उस सिग्नल को ठीक प्रकार से रिसीव नहीं कर पाएगा। अंतः यदि सिग्नल को बिना मॉड्यूलेशन लिए भेजा जाए तो उसे रिसीव करने के लिए बहुत ऊंचे एंटीना की आवश्यकता होगी जोकि संभव नहीं है।
3. मॉड्यूलेशन के करना ही आवृत्ति डिवीजन मल्टीप्लेक्सिग (frequency division multiplexing) सम्भव हो पाता है— ऑडियो आवृत्ति की एक निश्चित सीमा (range) होती है। अतः यदि सभी स्टेशन इसी आवृत्ति सीमा पर प्रसारण करेगे तो सभी स्टेशन के सिग्नल आपस में मिक्स जो जायेगे तथा इन्हें रिसीवर पर अलग करना मुश्किल हो जायेगा। मॉड्यूलेशन द्वारा सूचना सिग्नल की आवृत्तियो की उच्च आवृत्ति रेंज में शिफ्टिंग हो जाती है। अतः प्रत्येक स्टेशन की कैरियर आवृत्ति अलग–अलग रखकर प्रत्येक स्टेशन के सिग्नल को अलग–अलग आवृत्ति रेंज में शिफ्ट कर दिया जाता है। इस तकनीक को फ्रीक्वेंसी डिवीजन मल्टीप्लेक्सिग कहते है। अतः प्रत्येक स्टेशन को एक आवृत्ति बैंड निर्धारित किया जाता है तथा उस स्टेशन का रिसीवर उसी आवृत्ति बैंड को रिसीव करता है जिस आवृत्ति बैंड के लिए उसका चयन किया गया है, अतः मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन (modulation and demodulation in communication system) की प्रक्रिया से कई स्टेशनों के सिग्नल के मिक्सअप (mix–up) होने की संभावना खत्म हो जाती है।
मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन (Modulation And Demodulation Kya Hai)— इस आर्टिकल में हमने जाना की मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन क्या है? (modulation and demodulation in hindi) तथा मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन की आवश्यकता क्यों पड़ी (needs of modulation in hindi)।
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