कम्युनिकेशन सिस्टम के अवयव के बारे में |
कम्युनिकेशन सिस्टम का ब्लॉक डायग्राम (Communication System Ka Block Diagram):— किसी कम्युनिकेशन सिस्टम का मुख्य उद्देश्य सूचना सिग्नल (information signal) को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना होता है।
सूचना सिग्नल को इनफॉर्मेशन सिग्नल (information signal), मैसेज सिग्नल (message signal) या इंटेलिजेंस सिग्नल (intelligence signal) भी कहा जाता है।
जिस स्थान से सूचना को भेजा जाता है वह स्रोत (source) कहलाता है तथा जिस स्थान पर सूचना को भेजा जाता है वह लक्ष्य (destination) कहलाता है। अर्थात कम्युनिकेशन के लिए सोर्स और डेस्टिनेशन आवश्यक होता है।
कम्युनिकेशन के लिए सूचना को सर्वप्रथम विद्युतीय सिग्नल (electrical signal) में बदला जाता है। फिर इस विद्युतीय सिग्नल को उच्च आवृत्ति की कैरियर तरंग पर ट्रांसमीटर के द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है तथा रिसीवर के द्वारा इस विद्युतीय सिग्नल को रिसीव करके पुनः इसे मैसेज सिग्नल के रूप में बदला जाता है।
स्रोत द्वारा उत्पन्न सूचना (जोकि सामान्यतः विद्युतीय नही होती) को विद्युतीय सिग्नल में बदलने वाली युक्ति को ट्रांसड्यूसर (transducer) कहा जाता है।
जैसे— यदि सूचना सिग्नल ध्वनि है तो इसे माइक्रोफोन के द्वारा विद्युतीय तरंग के रूप में बदला जाता है।
एक संचार सिस्टम का ब्लॉक डायग्राम नीचे प्रदर्शित है। इस आर्टिकल में संचार सिस्टम के कुछ प्रमुख अवयव (component) के बारे में बताया जा रहा है।
कम्युनिकेशन सिस्टम के ब्लॉक डायग्राम का चित्र |
1. ट्रांसमीटर या सेंडर (Transmitter or Sender):— वह उपकरण जो किसी संदेश या सूचना को संशोधित करके भेजता है सेंडर या प्रेषक कहलाता है।
किसी सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने से पूर्व मॉड्यूलेशन की क्रिया होती है, जिसमे सूचना सिग्नल एक उच्च आवृत्ति की कैरियर तरंग को मॉड्यूलेट करती है। मॉड्यूलेशन की क्रिया ट्रांसमीटर में संपन्न होती है।
2. कम्युनिकेशन चैनल (Communication Channel):— कम्युनिकेशन चैनल के माध्यम से मॉड्यूलेटेड तरंग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचती है। चैनल का मतलब उस माध्यम से है जिसके माध्यम से संदेश ट्रांसमीटर से रिसीवर तक जाता है यह ट्रांसमीटर और रिसीवर के बीच भौतिक संबंध प्रदान करता है। कम्युनिकेशन चैनल किसी भी रूप में हो सकता है। टेलीफोनी में ट्रांसमिशन लाइन के रूप में टीवी, रेडियो प्रसारण में मुक्त स्पेस (free space) के रूप में, ऑप्टिकल संचार पद्धति में ऑप्टिकल फाइबर के रूप में इत्यादि।
चैनल में ट्रांसमिट होते समय शोर तथा व्यतिकरण (noise and interference) के कारण सिग्नल का विरूपण (distortion) होने की संभावना होती है। इसलिए ट्रांसमीटर और रिसीवर का अभिकल्पन (design) इस प्रकार किया जाना चाहिए, जिससे चैनल में कम से कम विरूपण हो।
कम्युनिकेशन चैनल दो प्रकार के होते है।
एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक डायरेक्ट कनेक्शन जैसे— वायर लाइन, माइक्रोवेव लिंक और ऑप्टिकल फाइबर और दूसरा प्रसारण चैनल जो एक उच्च क्षमता प्रदान करता है जहां एक ही ट्रांसमीटर से एक साथ कई रिसीविंग स्टेशनों तक पहुंचा जा सकता है
जैसे— भूस्थैतिक कक्षा में एक उपग्रह जो पृथ्वी की सतह के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर करता है।
3. शोर (Noise):— ट्रांसमिशन और रिसेप्शन की प्रक्रिया के दौरान, सिस्टम में शोर के कारण सिग्नल विकृत हो जाते हैं। शोर एक अवांछित संकेत होता है जो आवश्यक संकेत के साथ हस्तक्षेप करता है तथा यह स्वतः ही उत्पन्न होता है।
सिग्नल पर शोर का सबसे अधिक प्रभाव चैनल में पड़ता है।
4. रिसीवर (Receiver):— रिसीवर माध्यम या चैनल से आने वाले संदेश को ग्रहण कर वास्तविक सूचना में बदलने का कार्य करता है। यह विद्युत सूचना को प्राप्त कर उन्हे उपभोक्ता तक पहुंचाने का कार्य करता है।
रिसीवर सिग्नल को रिसीव करता है, इसके बाद डिमॉड्यूलेशन (demodulation) की प्रक्रिया के द्वारा मॉड्यूलेटिंग सिग्नल/मैसेज सिग्नल को पुनः प्राप्त किया जाता है। डिमॉड्यूलेशन के पश्चात प्राप्त विद्युतीय सिग्नल को लाउडस्पीकर द्वारा ध्वनि सिग्नल में बदला जाता है।
संचार व्यवस्था के अवयव | Components Of Communication System In Hindi
अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक:—
Please do not enter any spam link in the comment box. All the comments are Reviewed by Admin.