Electric Transmission System In India |
भारत में ट्रांसमिशन वोल्टेज (transmission voltage) की इकाई (unit) किलो वोल्ट (KV) होती है। तथा भारत में इलेक्ट्रिसिटी (electricity) वोल्टेज के आधार पर ट्रांसमिट की जाती है। (high voltage पर)
भारत में ट्रांसमिशन वोल्टेज— 22KV, 33KV, 66KV, 110KV, 132KV, 220KV, 400KV, 765KV या 750KV होती है।
भारत में अधिकतम प्रसारण वोल्टेज (maximum transmission voltage)— 765KV होता है।
याद रखे:—
- 22KV से नीचे और 765 KV से ऊपर ट्रांसमीशन वोल्टेज नही होती है।
- 22KV तथा 33KV वोल्टेज की लाइन सेकेंडरी ट्रांसमिशन लाइन में आती है।
- भारत में प्राइमरी ट्रांसमिशन लाइन और सेकेंडरी ट्रांसमिशन लाइन सदैव 3 फेज 3 वायर लाइन होती है। ट्रांसमिशन लाइन में न्यूट्रल नही होता।
- ट्रांसमिशन लाइन में उपभोक्ता (consumer) संयोजन (connection) नहीं कर सकता है।
ट्रांसमिशन के लिए दो तरह की लाइन होती है।
1. प्राइमरी ट्रांसमिशन लाइन (Primary Transmission Line)— 33KV से ऊपर
2. सेकेंडरी ट्रांसमिशन लाइन (secondary transmission Line)— 33KV तथा इससे कम
उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन (High Voltage Transmission) के लाभ:—
1. करेंट कम हो जाती है, क्योंकि जो पावर भेजी जाती है वह KVA में होती है। और l= P/V से KVA/KV
2. IR वोल्टेज ड्रॉप कम हो जाता है।
3. I ²R हानि कम हो जाती है।
4. कम करेंट के लिए पतला तार प्रयुक्त होता है। जिससे धातु की बचत/आयतन की बचत होती है। (पतले तार का प्रतिरोध अधिक होता है)
5. लाइन की दक्षता बढ़ जाती है और अच्छा वोल्टेज रेगुलेशन (better voltage regulation) प्राप्त होता है।
ट्रांसमिशन लाइन के प्रकार (Types of Transmission Line)— डीसी में ट्रांसमिशन लाइन दो तरह की होती है।
(1) तार के आधार पर ट्रांसमिशन लाइन—
(A)
(a) 2 वायर
(b) 2 वायर मध्य ग्राउंड प्वाइंट
(c) 3 वायर (positive और negative साथ में ग्राउंड वायर भी)
(B) सिंगल फेज (Single Phase)—
(a) 1 फेज 2 वायर (फेज और न्यूट्रल दोनो के साथ)
(b) 1 फेज 2 वायर ग्राउंड के साथ
(c) 1 फेज 3 वायर
(C) टू फेज (two phase)—
(a) 2 फेज 3 वायर
(b) 2 फेज 4 वायर
(D) थ्री फेज (three phase)—
(a) 3 फेज 3 वायर
(b) 3 फेज 4 वायर
भारत में सबसे ज्यादा ट्रांसमिशन 3 फेज 3 वायर के माध्यम से ही होता है।
2. लंबाई तथा वोल्टेज के आधार पर ट्रांसमिशन लाइन—
(A) शॉर्ट ट्रांसमिशन लाइन (Short Transmission Line)— 60km तक दूरी वाली लाइन और वोल्टेज 20KV तक शॉर्ट ट्रांसमिशन लाइन कहलाता है।
इस लाइन में धारिता नगण्य मानी जाती है क्योंकि लाइन की लंबाई के साथ उसकी धारिता बढ़ती है।
- यह लाइन RL सर्किट की भाती व्यवहार करती है।
(B) मीडियम ट्रांसमिशन लाइन (Medium Transmission Line)— 60km से 160km तक या 80km से 150km तक दूरी वाली लाइन और वोल्टेज 20kv से 100kv तक मीडियम ट्रांसमिशन लाइन कहलाता है।
- इस तरह की लाइन RLC सर्किट की भांति व्यवहार करती है।
(C) लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन (Long Transmission Line)— लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन की लंबाई 160 km से अधिक तथा वोल्टेज 100kv तक लॉन्ग ट्रांसमिशन लाइन कहलाता है।
- इस तरह की लाइन RLC सर्किट की भांति व्यवहार करती है।
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