लैंप के निम्नलिखित प्रकार होते है—
1. उद्दीप्त लैंप (Incandescent Lamp)— उद्दीप्त लैंप को 'फिलामेंट लैंप' या 'तंतु लैंप' के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश में इसे इनकेंडीसेन्ट लैंप (incandescent lamp) कहा जाता है।
उद्दीप्त लैंप निम्न प्रकार के होते है।
- (A) कार्बन फिलामेंट लैंप (Carbon Filament Lamp)
- (B) धात्विक फिलामेंट लैंप (Metallic Filament Lamp) या टंगस्टन लैंप (Tungstan Lamp)
धात्विक फिलामेंट लैंप दो प्रकार के होते है।
- (।) निर्वात लैंप (Vacuum Lamp)
- (।।) गैस भरा लैंप (Gas Filled Lamp)
2. गैस डिस्चार्ज लैंप (Gas Discharge Lamp)— गैस डिस्चार्ज लैंप 2 प्रकार के होते है।
- (A) कोल्ड कैथोड लैंप (Cold Cathode Lamp)— इस प्रकार के लैंप ठंडे रहते है और आयनीकरण प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
- (B) गर्म कैथोड लैंप (Hot Cathode Lamp)— इस प्रकार के लैंप में गर्म होने के बाद आयनीकरण प्रक्रिया होती है ज्यादातर यही प्रक्रिया उपयोग में लिया जाता है। इसमें जो गैस भरी जाती है वह शुरुआत में अचालक की तरह कार्य करती है लेकिन जब दोनो फिलामेंट के बीच इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने शुरू होते है तो वह एक चालक की तरह कार्य करने लगता है।
- (।) सोडियम वेपर लैंप (Sodium Vapour Lamp)
- (।।) मरकरी वेपर लैंप (Mercury Vapour Lamp)
महत्वपूर्ण बिन्दु:—
गैस के प्रेशर के आधार पर मरकरी वेपर लैंप 2 प्रकार के होते है।
- (A) हाई प्रेशर मरकरी वेपर लैंप (High Pressure Mercury Vapour Lamp)
- (B) लो प्रेशर मरकरी वेपर लैंप (Low Pressure Mercury Vapour Lamp)
3. आर्क लैंप (Arc Lamp)
4. फिलामेंट ट्यूब एवम नियोन लैंप (Floursent Tube Lamp & Neon Lamp)
5. हैलोजन लैंप (Helogen Lamp)
उद्दीप्त लैंप की कार्यप्रणाली (Incandescent Lamp In Hindi)— जिस लैंप में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा या प्रकाश दोनो उत्पन्न होते है उद्दीप्त लैंप कहलाते है।
उद्दीप्त लैंप तापीय सिद्धांत (thermal principle) पर कार्य करता है तथा गर्म होने के बाद ऊष्मा देता है। जब इस लैंप की किरणे इन्फ्रारेड (infra red) से भी ऊपर चली जाती है तब यह लैंप ऊष्मा उत्पन्न करने लगता है तथा इस ऊष्मा (heat) को काम में लिया जाता है।
इस लैंप में उच्च प्रतिरोधी फिलामेंट की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊष्मा प्रतिरोध के सीधे समानुपाती होती है। उद्दीप्त लैंप का पावर फैक्टर (power factor) इकाई (unity) होता है। उद्दीप्त लैंप के लिए प्रयुक्त फिलामेंट उच्च गलनांक और उच्च प्रतिरोध का होता है तथा उद्दीप्त लैंप वोल्टेज के मान में परिवर्तन होने पर सर्वाधिक प्रभावित होता है और लैंप के फ्यूज होने की संभावना अधिक रहती है। अर्थात इस लैंप की वोल्टेज उतार–चढ़ाव सहनशीलता कम होती है।
उद्दीप्त लैंप का रंग प्रतिपादन सूचकांक (colour rendering index या CRI) उच्च अर्थात लगभग 100 तक होता है। हैलोजन लैंप का भी CRI 100% तक माना जाता है।
उद्दीप्त लैंप की कम वोल्टेज पर औसत आयु बढ़ती है अर्थात यदि एक 250V लैंप के लिए डिजाइन किए गए लैंप जिसकी आयु 600 घंटे है को यदि 220V पर जलाया जाए तो वह 600 घंटे के बजाय 700 घंटे तक काम कर सकती है।
उद्दीप्त लैंप का उच्च वोल्टेज पर जीवन काल कम हो जाता है। ज्यादा वोल्टेज पर यह लैंप सफेद–नीला प्रकाश देगा तथा दक्षता उच्च हो जायेगी परंतु यह उच्च दक्षता बहुत कम समय के लिए रहती है।
उद्दीप्त लैंप क्या होता है (Incandescent Lamp Kya Hota Hai)— इस आर्टिकल में उद्दीप्त लैंप क्या होते है (Incandescent Lamp Kya Hai) और लैंप कितने प्रकार (Lamp Ke Prakar) के होते है इसकी जानकारी दी गई है। इस आर्टिकल में जितने भी प्रकार के लैंप के बारे में बताया गया है उनके बारे में एक–एक करके विस्तृत जानकारी नए आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी। आशा करते है इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप लैंप की अन्य किस्मों के बारे में जानने के लिए उत्सुक होगे इसलिए हम कोशिश करेगे की जल्द से जल्द आप तक लैंप की अन्य किस्मों के बारे में विस्तृत जानकारी पहुंचाए इसके लिए आप हमारे ब्लॉग वेबसाइट इलेक्ट्रिक टॉपिक (electric topic) को जरूर फॉलो करे तथा अपने दोस्तो के साथ भी जरूर शेयर करे। इस आर्टिकल से संबंधित यदि आप का कोई सुझाव हो तो दिए गए ईमेल पर हमे जरूर ईमेल करे आप अपना फीडबैक हमे कमेंट के माध्यम से भी दे सकते है।
महत्वपूर्ण बिन्दु लिंक पर क्लिक कर जरूर पढ़े—
Please do not enter any spam link in the comment box. All the comments are Reviewed by Admin.