एक सिंक्रोनस मोटर में निम्न टॉर्क उत्पन्न होते है जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
1. प्रारम्भिक टॉर्क (Starting torque)— यह वह टॉर्क होता है, जो मशीन के द्वारा तब उत्पन्न किया जाता है जब उसके स्टेटर को रेटेड इनपुट वोल्टेज (rated input voltage) या फुल वोल्टेज (full voltage) दी जाती है। इस टॉर्क को ब्रेक अवे टॉर्क (break away) भी कहा जाता है।
यह वह समय होता है जब मोटर रुकी हुई अवस्था से चलना प्रारम्भ कर देती है।
प्रारम्भिक टॉर्क सेंट्रीफुगल पम्प (centrifugal pump) के मामले में पूर्ण भार का 10% तथा कॉम्प्रेसर (compressor) के मामले में 200%–250% तक हो सकता है।
सिंक्रोनस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क भार की प्रकृति पर निर्भर करता है।
2. रनिंग टॉर्क (Running torque)— रनिंग अवस्था में मोटर द्वारा उत्पन्न टॉर्क रनिंग टॉर्क कहलाता है। इसे हॉर्स पावर (H.P) द्वारा चालित मशीन के द्वारा ज्ञात किया जाता है।
पीक (peak) हॉर्स पावर (H.P) यह दर्शाता है की चालित मशीन को इस टॉर्क की आवश्यकता है। अतः मशीन द्वारा रनिंग में उत्पन्न टॉर्क इस मान से अधिक (Peak H.P) से होना चाहिए ताकि हंटिंग दोष से बचा जा सके।
3. पुल इन टॉर्क (Pull in torque)— सिंक्रोनस मोटर को इंडक्शन मोटर की भाती स्टार्ट किया जाता है। जब तक सिंक्रोनस गति का 2%–5% तक कम रहे तब रोटर की डीसी एक्साइटेशन ऑन (dc excitation on) की जाती है। अर्थात जब तक सिंक्रोनस गति 95%–98% तक नही पहुंचती डीसी एक्साइटेशन ऑन नही करते है। इस समय स्टेटर का घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र रोटर के सिंक्रोनिज्म में खीच लेता है। वह टॉर्क जिससे रोटर को सिंक्रोनिज्म में खींचा जाता है पुल इन टॉर्क कहलाता है।
4. पुल आउट टॉर्क (Pull out torque)— वह अधिकतम टॉर्क जो एक सिंक्रोनस मोटर सिंक्रोनिज्म से बाहर आए बिना उत्पन्न करती है उसका पुल आउट टॉर्क कहलाता है।
जब सिंक्रोनस मोटर पर भार बढ़ता है। तब रोटर सिंक्रोनस गति पर गति करता हुआ कुछ कोण द्वारा पिछड़ जाता है। इस कोण को लोड कोण (load angle) या कपलिंग कोण (coupling angle) कहा जाता है। एक सिंक्रोनस मोटर का टॉर्क 90° कोण पर अधिकतम होता है।
रोटर संगत पोल के बीच दूरी का आधा पिछड़ जाता है, तब टॉर्क अधिकतम होता है।
याद रखे:- स्टेटर और रोटर के समान पोल के बीच जो कोण बनता है उसे कपलिंग एंगल या लोड एंगल के नाम से जाना जाता है। मशीन का टॉर्क कपलिंग एंगल या लोड एंगल पर ही निर्भर करता है।
एक सिंक्रोनस मोटर का टॉर्क 90° लोड एंगल पर अधिकतम होता है।
5. वी कर्व (V curve)— वी कर्व फील्ड करेंट और आर्मेचर करेंट के बीच बनाया जाता है।
यह कर्व हमे बताता है की फिल्ड करंट का मान जैसे – जैसे बढ़ता जाता है तो आर्मेचर करंट का मान कैसे–कैसे कम या अधिक होता है। नो लोड पर और यूनिटी एक्साइटेशन पर आर्मेचर धारा सबसे कम होती है केवल इकाई एक्साइटेशन पर आर्मेचर धारा न्यूनतम होती है, तथा लैगिंग (lagging) पर आर्मेचर धारा अधिक होती है।
V curve of synchronous motor |
6. एंटी वी कर्व या इनवर्टेड वी कर्व (Anti V curve या inverted curve)— यह कर्व फिल्ड करंट और पावर फैक्टर के बीच बनाया जाता है।
यह ग्राफ बताता है की फिल्ड करंट को बदलने पर फिल्ड करंट के साथ–साथ पावर फैक्टर में कैसा परिवर्तन आता है।
केवल इकाई एक्साइटेशन पर पावर फैक्टर उच्चतम होता है।
अंडर एक्साइटेशन (under excitation) और ओवर एक्साइटेशन (over excitation) पर पावर फैक्टर का मान कम होता है।
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