Synchronous motor in hindi |
सिंक्रोनस मोटर क्या होता है? (Synchronous motar in hindi)— सिंक्रोनस मोटर एक ऐसी मोटर होती है जो सिंक्रोनस गति पर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है। यह मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में सदैव सिंक्रोनस गति पर ही बदलती है बाकी अन्य जितनी भी मोटरे होती है वह रोटर गति (सिंक्रोनस गति से कम गति पर) करती है।
सिंक्रोनस मोटर की संरचना (Construction of three phase synchronous motor in hindi)— सिंक्रोनस मोटर की संरचना 3 फेज आल्टरनेटर्र के समान होती है, इसका स्टेटर 3 फेज आल्टरनेटर या 3 फेज इंडक्शन मोटर के समान होता है। तथा इसका भी स्टेटर 120° के अन्तर पर अपने अन्दर 3 वाइंडिंग रखता हैं जिसे स्टार–डेल्टा में जोड़कर 3 फेज की सप्लाई दी जाती है। यह 3 फेज रोटेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (rotating magnetic field) होने पर भी सिंक्रोनस मोटर स्वतः चालू (self start) नही होती है अतः इस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क शून्य होता है। जो भी मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है उनका स्टार्टिंग टॉर्क 0 माना जाता है। जैसे– 1 फेज इंडक्शन मोटर (1 phase induction motor)
सिंक्रोनस मोटर की बड़ी विशेषता यह होती है की एक बार स्टार्ट हो जाने के बाद सिंक्रोनस गति से कम पर नही चलती है अर्थात सिंक्रोनस गति पर ही चलती है जिससे मोटर में स्लिप नही आता है तथा मोटर में लोड एंगल (load angle) नही पिछड़ता है, हालाकि पिछड़ने का प्रयास जरूर करता है जिससे मोटर में हंटिंग दोष (hunting) आ जाता है।
Synchronous motor construction |
सिंक्रोनस मोटर के मुख्य भाग (Parts of synchronous motor)— एक सिंक्रोनस मोटर में निम्नलिखित भाग होते है।
1. स्टेटर (Stator)
2. रोटर (Rotor)
3. एक्साइटर (Exciter)
4. प्राइम मूवर (Prime mover)
5. डैंपर वाइंडिंग (Damper winding)
सिंक्रोनस मोटर की कार्यप्रणाली (Synchronous motar working principle in hindi)— इस मोटर के दो भाग स्टेटर तथा रोटर होता है।
सिंक्रोनस मोटर के स्टेटर को 3 फेज की एसी सप्लाई (ac supply) तथा रोटर को डीसी सप्लाई (dc supply) दी जाती है। इसलिए इसे डबल एक्साइटेड मोटर (Double excited motor) भी कहते है। क्योंकि इस मोटर में स्टेटर और रोटर दोनो को उत्तेजित (excited) किया जाता है, अर्थात दोनो को सप्लाई दी जाती है।
रोटर पर प्रत्येक आधे चक्कर के बाद टॉर्क की दिशा बदल जाती है। अतः मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है इसलिए अगर स्टेटर के ध्रुवता बदलने से पहले रोटर एक पोल पिच की दूरी तय कर ले तो मोटर सेल्फ स्टार्ट हो सकती है। अतः रोटर की गति को किसी बाह्य बाल से स्टेटर गति के समान गति पर चलाया जाता है जिससे मोटर स्टार्ट हो जाती है। रोटर के सर्किट में सदैव स्थाई चुम्बकीय ध्रुव बनते है तथा स्टेटर में एसी सप्लाई होता है इसलिए यहां अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (alternating magnetic field) होता है।
सिंक्रोनस मोटर की विशेषता (Characteristic of synchronous motor in hindi)— एक सिंक्रोनस मोटर में निम्नलिखित विशेषता होती है।
1. नियत गति— सिंक्रोनस मोटर हमेशा नियत गति (constant speed) से चलती है तथा नो लोड (no load) से फुल लोड (full load) तक गति समान रहती है।
2. शून्य स्लिप— सिंक्रोनस मोटर में कोई स्लिप नही होता है, अर्थात सिंक्रोनस मोटर में स्लिप की संख्या शून्य होती है।
3. स्टार्टिंग टॉर्क— सिंक्रोनस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क 0 होता है।
4. सिंक्रोनस मोटर सेल्फ स्टार्ट नही होती है।
5. सिंक्रोनस मोटर ओवरलोड (overload) सहन नही कर सकती है।
6. सिंक्रोनस मोटर में हंटिंग दोष उत्पन्न होता है।
7. सिंक्रोनस मोटर एक मात्र ऐसी मोटर है जिसे इकाई, लीडिंग और लैगिंग तीनो पावर फैक्टर पर चलाया जा सकता है।
8. सिंक्रोनस मोटर को एसी और डीसी (both ac and dc supply require) दोनों सप्लाई की आवश्यकता होती है।
9. सिंक्रोनस मोटर का मूल्य अधिक होता है तथा अधिक अनुरक्षण की आवश्यकता होती है।
10. सिंक्रोनस मोटर की उत्तेजना बदलने पर तीन कारकों में परिवर्तन आता है।
(A) करंट (current)
(B) पावर फैक्टर (power factor)
(C) बैक ईएमएफ (back emf)
11.सिंक्रोनस मोटर का पावर फैक्टर भार पर निर्भर नहीं करता है, यह रोटर उत्तेजना पर निर्भर करता है।
सिंक्रोनस मोटर का उपयोग (Use of synchronous motor in hindi)— सिंक्रोनस मोटर या तुल्यकालिक मोटर का निम्नलिखित उपयोग होता है।
1. तुल्यकालिक मोटर को 'ओवर-इक्साइट' करके चलाने पर इसके द्वारा ली गयी धारा इसके वोल्टेज से अग्रगामी (leading/लीडिंग) होती है। इस आधार पर यह सिंक्रोनस मोटर शक्ति गुणांक (power factor) को बढाने के लिये उपयोग में लाया जा सकता है।
2. सिंक्रोनस मोटर से स्थिर गति प्राप्त किया जा सकता है इसलिए इस मोटर का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहा हमे स्थिर गति (constant speed) की जरूर हो।
3. सिंक्रोनस मोटर का उपयोग कंप्रेशर, पम्प तथा ड्राइविंग फैन को चलाने में किया जाता है।
4. सब स्टेशन पर मोटर को बस–बार के समानांतर चलाकर पावर फैक्टर को बढ़ाया जाता है। तथा सिंक्रोनस मोटर का उपयोग फैक्ट्रियों में पावर फैक्टर को सुधारने के लिए भी किया जाता है।
सिंक्रोनस मोटर के लाभ (Advantage of synchronous motor)— सिंक्रोनस मोटर के निम्नलिखित लाभ होते है।
1. सिंक्रोनस मोटर के द्वारा पावर फैक्टर को आसानी से सुधारा जा सकता है।
2. सिंक्रोनस मोटर नो लोड से फुल लोड तक नियत गति देता है।
3. यह मोटर सामान्यतः उच्च दक्षता पर प्रचलित होती है, खासकर कम गति इकाई पावर फैक्टर (unity power factor) में।
4. सिंक्रोनस मोटर, इंडक्शन मोटर की अपेक्षा अधिक चौड़े एयरगैप (wide airgap) के साथ निर्मित की जाती है जिससे यांत्रिक रूप से यह उत्तम होती है।
सिंक्रोनस मोटर की हानिया (Disadvantage of synchronous motor)— सिंक्रोनस मोटर के निम्नलिखित हानिया है।
1. सिंक्रोनस मोटर को अंडर लोड स्टार्ट नही किया जा सकता क्योंकि इसका स्टार्टिंग टॉर्क शून्य होता है।
2. इसमें हंटिंग दोष उत्पन्न होता है।
3. सिंक्रोनस मोटर स्वतः स्टार्ट नही होती है अतः इसे बाहरी स्रोत से स्टार्ट किया जाता है।
4. यह ज्यादा ओवरलोड सहन नही कर सकती है।
सिंक्रोनस मोटर प्रश्न और उत्तर (Synchronous motor mcq in hindi)—
प्रश्न— सिंक्रोनस मोटर सेल्फ स्टार्ट क्यों नहीं होती है?
उत्तर— रोटर पर प्रत्येक आधे चक्कर के बाद टॉर्क की दिशा बदल जाती है। रोटर के एक पोल पिच की दूरी तय करने से पहले स्टेटर अपनी ध्रुवता बदल लेता है जिससे रोटर फिर से प्रतिकर्षित हो जाता है तथा पुनः अपना अपनी मूल अवस्था में आ जाता है।
प्रश्न— सिंक्रोनस मोटर सेल्फ स्टार्ट कैसे हो सकती है?
उत्तर— स्टेटर के ध्रुवता बदलने से पहले रोटर एक पोल पिच की दूरी तय कर ले, लेकिन ऐसा तभी संभव हो सकता है जब जिस गति से स्टेटर के पोल बदल रहे हैं उसी गति से रोटर भी चले परंतु ऐसा संभव नहीं हो सकता अतः इसे बाह्य बल द्वारा स्टार्ट किया जाता है।
प्रश्न— सिंक्रोनस मोटर के नो लोड और फूल लोड गति का अनुपात कितना होता है?
उत्तर— इकाई (क्योंकि नो लोड से फुल लोड तक गति समान होती है)
प्रश्न— सिंक्रोनस मोटर में कितने स्लिप होते है?
उत्तर— शून्य (0)
प्रश्न— सिंक्रोनस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क कितना होता है?
उत्तर— शून्य (0)
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Very informative
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