डीसी जनरेटर में स्पार्किंग को कैसे कम किया जा सकता है— इस आर्टिकल में हम लोग जानेंगे की डीसी जनरेटर में स्पार्किन को कैसे कम किया जा सकता है। डीसी जनरेटर में इंटरपोल क्या होता है? (interpole kya hota hai) तथा इंटरपोल प्रयोग करने का उद्देश्य क्या होता है।
Sparking In DC Generator |
स्पार्किंग कम करना— डीसी जनरेटर में रफ कंप्यूटेशन (rough commutation) को रोकना बहुत ही आवश्यक होता है। रफ कंप्यूटेशन को स्मूथ कंप्यूटेशन में बदलकर स्पार्किंग को थोड़ा कम किया जा सकता है।
माना एक क्वायल में धारा परिवर्तन 100 एम्पियर है तथा एक क्वायल मे कम्यूटेशन समय 10 है, तो क्वायल में उत्पन्न ईएमएफ 10 वोल्ट होगा।
E= di/dt= 100/10 = 10
या E= 10 वोल्ट
यदि समय बढ़ा देगे तो क्वायल में कम्यूटेशन कम हो जायेगा।
माना अब समय 50 है।
E= di/dt= 100/50
या E= 2 वोल्ट
अर्थात कम्यूटेशन समय परिवर्तन के व्युत्क्रमानुपाती है, अगर समय बढ़ा दिया जाए तो कम्यूटेशन कम हो सकता है अतः हम 3 तरीके से समय को बढ़ा सकते है।
1. हाई रेजिस्टिव तार (high resistive wire) का प्रयोग करके
2. हाई रिजेस्टिव ब्रश (high resistive brush) का प्रयोग करके
3. इंटरपोल वाइंडिंग (interpole winding) का प्रयोग करके
इंटरपोल वाइंडिंग (interpole winding)— इंटरपोल वाइंडिंग आर्मेचर के सीरीज में (in series) संयोजित (connection) होता है आर्मेचर के सीरीज में निम्नलिखित को भी जोड़ा जा सकता है।
1. आर्मेचर (स्वयं)
2. सीरीज फील्ड वाइंडिंग
3. इंटरपोल वाइंडिंग
4. कंपनसेटिंग वाइंडिंग
नोट महत्वपूर्ण तथ्य—
- इंटरपोल वाइंडिंग मोटे तार कम टर्न की होती है।
- इसमें धारा का मान आर्मेचर धारा के समान होता है।
- ये वाइंडिंग संख्या में मुख्य पोल (main pole) के बराबर होती है।
- इसकी ध्रुवता जनरेटर में D.O.R (Direction of Rotation) में आगे आने वाले मुख्य पोल के समान होती है। तथा मोटर ने इनकी ध्रुवता डायरेक्शन ऑफ रोटेशन के विपरीत वाले पोल के समान होती है।
क्रॉस फील्ड डीसी मशीनों में (रोजेनबर्ग, मेटाडाइन और एंप्लीडाइन) इंटरपोल की संख्या मुख्य पोल की दो गुनी होती है जबकि सीरीज, शंट, कंपाउंड जनरेटर में इंटरपोल की संख्या मेन पोल के बराबर होती है।
इंटरपोल वाइंडिंग का उद्देश्य— ये एक प्रतिघाती वोल्टेज (reactive voltage) उत्पन्न करता है, जो क्वायल में स्टेटिक इंड्यूस ईएमएफ (static induce emf) का विरोध करता है तथा उत्पन्न ईएमएफ को न्यूट्रल कर देता है जिससे उस क्वायल में आसानी से धारा प्रवाहित होती रहती है।
- कम्यूटेटर पर सेगमेंट कटे होते हैं तथा ब्रुश कम्यूटेटर के साथ स्लाइडिंग सम्पर्क (sliding contact) में होता है।
- जब ब्रुश अलग–अलग सेगमेंट के साथ आता है तो 2 तरह की परिस्थितियां आती है। एक ऐसी परिस्थिती की एक सिंगल सेगमेंट (single segment) के साथ सीधा संपर्क में तथा दूसरी ऐसी स्थिति की दो सेगमेंट (two segment) के साथ एक साथ संपर्क में आता हो वास्तव में इन्ही दो परिस्थितियों से प्रभाव पड़ता है।
- जनरेटर में जब ब्रुश दो सेगमेंट के संपर्क में आता है उस समय एक क्वायल शॉर्ट हो जाता है, जैसे ही अगले क्षण वह फिर से एक सेगमेंट के साथ संपर्क में आता है तो शॉर्ट होने वाली क्वायल फिर से सक्रिय हो जाती है लेकिन उस क्वायल में चलने वाली धारा की दिशा बदल जाती है जब क्वायल में धारा की दिशा बदलती है तो एक ईएमएफ उत्पन्न होता है जिसे स्टेटिक इंड्यूस ईएमएफ (static induce emf) कहा जाता है।
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