परमाणु में एक केंद्रीय भाग होता है जिसे नाभिक कहा जाता है। इस नाभिक में ही प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रान की परिस्थितियां देखी जाती है।
प्रोटॉन और न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में स्थित होते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉन इनके बाहर चक्कर लगाते है। जिस बाहरी भाग में इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाता है उसे कक्षा या सेल (orbits/आर्बिट्स) के नाम से जाना जाता है। कक्षाओं की स्थिति दीर्घवृत्तीय (ellipitical/इलिपटिकल) होती है।
परमाणु की खोज किसने की थी?— रदरफोर्ड ने
Atom kise kahte hai |
नीचे कुछ और भी महत्वपूर्ण परिभाषा दी गई है।
नाभिक (Nucleus/न्युक्लियस)— परमाणु का केंद्रीय सघन भाग नाभिक कहलाता है। इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, ये दोनों प्रकार के कण अंतरा आणविक बल द्वारा नाभिक में बधे होते है। परमाणु में नाभिक के चारो और रिक्त स्थान (space) होता है जिसमें विभिन्न कक्षाओ में विभिन्न संख्या में इलेक्ट्रॉन परिक्रमा करते रहते हैं।
द्रव्यमान (Mass)— वह मात्रा जिससे कोई वस्तु बनी होती है, द्रव्यमान कहलाता है।
भार (Weight))— पृथ्वी के गुरुत्व गुरुत्वीय त्वरण के अनुसार पृथ्वी के विभिन्न स्थान पर द्रव्यमान का मान ही भार कहलाता है।
परमाणु भार (Relative Atomic Mass)— किसी तत्व के एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोट्रान तथा न्यूट्रॉन की कुल संख्या उसका परमाणु भार या द्रव्यमान संख्या कहलाता है।
परमाणु भार= प्रोट्रान + न्यूट्रॉन की संख्या
परमाणु क्रमांक (Atomic number)— किसी तत्व के एक परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों अथवा प्रोट्रानो की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते है।
परमाणु क्रमांक= इलेक्ट्रॉनों अथवा प्रोट्रानो की संख्या
सामान्यतः एक पदार्थ में प्रोट्रान और इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है। इसलिए पॉजिटिव और नेगेटिव आवेश मिलकर एक दूसरे को समाप्त कर देते हैं इसीलिए सामान्य अवस्था में प्रत्येक पदार्थ विद्युतीय रूप से आवेश रहित होता है जिससे हमें करंट नहीं लगती है।
मुक्त इलेक्ट्रॉन (Free Electrons)— मुक्त इलेक्ट्रॉन अंतिम कक्षा के इलेक्ट्रॉन होते हैं लेकिन ये एक दूसरे से जुड़े नहीं होते है। ये अपनी कक्षा में स्वतंत्र रूप से रहते हैं इनको थोड़े से बाह्य बल के द्वारा विस्थापित किया जा सकता है।
धारा चालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉन है जिम्मेदार होता है। नाभिक के प्रति इनका अंतरा आणविक बल सबसे कम (न्यूनतम) होता है इनको थोड़े से बाह्य बल के द्वारा ही आकर्षित या प्रतिकर्षित करा सकते है।
संयोजि इलेक्ट्रॉन (Valance Electrons)— संयोजी इलेक्ट्रॉन वह इलेक्ट्रॉन होते हैं जो तत्व के परमाणु की अंतिम कक्षा में उपस्थित होते है।
अंतिम कक्षा के इलेक्ट्रॉन दूसरे परमाणुओ के साथ संयोजी बंध स्थापित करते है। और इन्ही के कारण तत्वों की आपसी रासायनिक क्रिया से यौगिक बनते है। प्रत्येक परमाणु का यह स्वाभाविक प्रयास रहता है कि वह अपने अंतिम इलेक्ट्रॉन कक्षा को पूर्ण अर्थात 8 इलेक्ट्रॉन कर ले।
इसे भी पढ़े—
Please do not enter any spam link in the comment box. All the comments are Reviewed by Admin.