जनरेटर क्या होता है (Generator In Hindi)
"जनरेटर एक ऐसी मशीन है, जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है।"
डीसी जनरेटर कैसे काम करता है (DC Generator In Hindi)
जब हम डीसी मशीन को किसी प्राइम मूवर के द्वारा घुमाते है तो वह मशीन मैकेनिकल ऊर्जा (mechanical energy) को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा (electricial energy) में परिवर्तित करता है। इस प्रकार की व्यवस्था को जनरेटर (generator in hindi) कहते हैं।
principle of dc generator in hindi |
डीसी जनरेटर फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के प्रथम सिद्धान्त पर कार्य करता है जिसके तहत जनरेटर में उत्पन्न ईएमएफ (emf) गतिज प्रकार का होता है। गतिज प्रेरित ईएमएफ को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- आर्मेचर (चालक)— गतिमान
- चुम्बकीय क्षेत्र (फिल्ड पोल)— स्थिर
- सापेक्ष गति— या तो चालक घूमे या चुम्बकीय क्षेत्र
जनरेटर में दो प्रकार के सर्किट होते है—
1. इलेक्ट्रिकल परिपथ (electricial circuit)
2. मैग्नेटिक परिपथ (magnetic curcuit)
इलेक्ट्रिकल सर्किट— इलेक्ट्रिकल सर्किट के अन्तर्गत निम्न भाग आते है— आर्मेचर कंडक्टर (armature conductor), फिल्ड क्वायल (field coil), कम्यूटेटर (commutator), कार्बन ब्रुश (carbon brush) इत्यादि।
मैग्नेटिक सर्किट— मैग्नेटिक सर्किट के अन्तर्गत निम्न भाग आते है— योक (yoke), पोल कोर (pole core), आर्मेचर कोर (armature core), एयर गैप (air gap) इत्यादि।
डीसी जनरेटर के भाग (Parts of dc generator in hindi)—
एक डीसी जनरेटर के निम्नलिखित भाग होते है।
1. योक (Yoke)— डीसी जनरेटर का यह सबसे बाहरी भाग होता है, योक को बॉडी (body), फ्रेम (frame) भी कहा जाता है।
dc generator body |
योक जनरेटर के भागो (parts) को आधार प्रदान करता है, तथा चुम्बकीय परिपथ को पूर्ण करता है। छोटी मशीनों में योक कॉस्ट आयरन (cost iron) का बना होता है तथा बड़ी मशीनों में योक कॉस्ट स्टील (cost steel) या कॉस्ट आयरन (cost iron) का बना होता है।
छोटी मशीनों में मूल्य रेट (cost rate) main deciding factor होता है, जबकि बड़ी मशीनों में stability main deciding factor होता है।
बड़ी मशीनों में जो कॉस्ट स्टील या कॉस्ट आयरन होता है उन बॉडी की उच्च यांत्रिक दृढ़ता और उच्च चुम्बकशीलता होती है।
2. पोल कोर (Pole Core)— पोल कोर फील्ड क्वायल की स्थापना हेतु बॉडी पर लगाए जाते है। पोल कोर ठोस या लेमिनेटेड होती है तथा कॉस्ट आयरन (cost iron) की बनती है।
3. पोल शू (Pole Shoe)— पोल शू सैदव लेमिनेटेड होती है, तथा कॉस्ट आयरन का होता है। पोल शू के लेमिनेशन की मोटाई 0.2mm—1.0mm होती है।
पोल शू पोल फेस (pole face) पर काउंटर शैंक स्क्रू (counter shank screw) द्वारा या जल दाब पर रिवेट (rivet) करके लगाया जाता है।
पोल शू के कार्य— पोल शू के निम्न कार्य होता है।
(A) फ्लक्स का एक समान वितरण
(B) पोल शू का बड़ा क्रॉस सेक्शन एरिया वायु पथ का रिलक्टेंस (reluctance) को कम करता है।
(C) पोल शू फील्ड क्वायल को आधार प्रदान करता है अर्थात फील्ड क्वायल को पोल कोर में टिकाए रखता है।
4. फिल्ड क्वायल (Field Coil)— ये एनेमल्ड तांबे (enameled copper) के तार की बनी क्वायल होती है। जिनको पोल कोर पर स्थापित किया जाता है यह एक प्रकार का विद्युत चुम्बक होता है।
इसे डीसी देकर जब उत्तेजित किया जाता है तो यह एक चुंबकीय क्षेत्र की स्थापना करता है। आर्मेचर चालको के द्वारा इसी चुम्बकीय क्षेत्र का छेदन करने पर एसी वोल्टेज बनती है।
फिल्ड क्वायल दो प्रकार की होती है।
(A) मोटे तार कम टर्न की— सीरीज
(B) पतले तार अधिक टर्न की— शंट
5. आर्मेचर कोर (Armature Core)— आर्मेचर कोर पतली–पतली लेमिनेटेड सिलिकॉन स्टील की पत्तियों से मिलकर बना होता है जिसकी मोटाई 0.35mm से 0.5mm होती है।
आर्मेचर कोर छोटे जेनरेटर में वृत्ताकार हो सकता है अन्यथा इसे छोटे डिस्क के रूप में काटा जाता है, परन्तु ज्यादातर वृत्ताकार ही होता है।
सबसे ज्यादा कॉपर हानि (copper loss) आर्मेचर में ही होता है। अतः आर्मेचर को ठंडा रखने के लिए लेमिनेटेड पत्तियों में ही छेद बने होते है जिनसे हवा पास होती रहे और आर्मेचर कोर ठंडा रहे।
आर्मेचर में की होल (key hole) बना होता है। जिसमे शाफ्ट फिट किया जाता है।
आर्मेचर कोर में आर्मेचर चालक लेप या वेव वाइंडिंग (lap or wave winding) के रूप में स्थापित किया जाता है।
6. कम्यूटेटर (Commutator)— कम्यूटेटर का कार्य एसी टू डीसी (ac to dc) करना है या एसी वोल्टेज टू डीसी वोल्टेज
कम्यूटेटर आर्मेचर चालको में उत्पन्न हुए एसी वोल्टेज को डीसी वोल्टेज में परिवर्तित करता है अतः कम्यूटेटर को मैकेनिकल रेक्टिफायर भी कहते है जो 2 डायोड वाले फुल वेव रेक्टिफायर (full wave rectifier) की भांति कार्य करता है।
कम्यूटेटर कठोर खींचा हुआ तांबा (hard drawn copper) का बना होता है तथा इसकी साफ सफाई के लिए कार्बन टेट्रा क्लोराइड या सीटीसी (carbon tetra chloride or ctc) का प्रयोग किया जाता है।
dc generator commutator |
कम्यूटेटर में सैगमेंट (segment) कटे होते है तथा सैगमेंट की संख्या आर्मेचर क्वायल की संख्या के बराबर होती है।
कम्यूटेटर के सेगमेंट आपस में अभ्रक (mica/माइका) से अलग (isolate/आइसोलेट) होते है तथा कम्यूटेटर सैगमेंट के साथ आर्मेचर चालक राइजर (riser) पर जुड़ा होता है।
राइजर पर कॉपर के लग के माध्यम से आर्मेचर क्वायल को कम्यूटेटर सैगमेंट पर जोड़ा जाता है।
7. ब्रुश (Brush)— कम्यूटेटर से सप्लाई लेने के लिए ब्रुश का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी स्थापना रोकर आर्म (rocker arm) के पीतल से बने होल्डर में की जाती है।
कार्बन ब्रश से जुड़ी हुई फ्लेक्सिबल कॉपर लीड (flexible copper lead) होती है, जो स्प्रिंग के अन्दर से होती हुई बाहर निकलती है और इसी के द्वारा बाहर सप्लाई आती है, इसे पिग टेल (pig tail) कहते है।
ब्रुशो को 2/3 या (66%–70%) तक घिस जाने पर बदल देना चाहिए।
ब्रुशो का घर्षण गुणांक—
लघु घर्षण गुणांक= 0.22
उच्च घर्षण गुणांक= 0.4
carbon brush of dc generator |
डीसी जनरेटर में ब्रुश का कार्य— कम्यूटेटर से टर्मिनल बॉक्स तक सप्लाई (supply) पहुंचना है।
ब्रुशो के प्रकार— नीचे ब्रशो के प्रकार और उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है।
सबसे ज्यादा धारा घनत्व कॉपर ब्रुश का (15–16 A/cm²) तथा सबसे ज्यादा वोल्टेज ड्रॉप कार्बन ब्रुश (2V) का होता है।
8. स्लिप रिंग (Slip Ring)— फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम से चालक AB के ईएमएफ की दिशा बदल जाती है, क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बदल गई है अतः स्थिति 1st व 2nd से कुल निष्कर्ष साइन वेव (sine wave) उपरोक्त ग्राफ पर प्रतीत हो रहा है।
स्लिप रिंग में एक और एसी देने पर दूसरी ओर एसी ही प्राप्त होगा और एक ओर डीसी देने पर दूसरी ओर डीसी प्राप्त होगा।
स्लिप रिंग कॉपर (copper), पीतल (brass) या कांसा (phospher bronze) की बनी होती है।
9. स्प्लिट रिंग (Split Ring)— सिंगल लूप से प्राप्त वोल्टेज मान में बहुत कम होता है और प्रकृति में पल्सेटिंग होता है इसलिए ज्यादा वोल्टेज के लिए अनेक टर्न लूप की वाइंडिंग कर देते है और पल्सेशन की संख्या में वृद्धि कर देगे तो औसत शिखर मान स्टेडी डीसी (steedy dc) प्राप्त हो जाएगा। पल्सेशन की संख्या में वृद्धि दो तरह से करते है फील्ड पोल में वृद्धि करके और ढेर सारे स्प्लिट रिंग को एक साथ माइका से इन्सुलेट करके जोड़ देगे। पर स्प्लिट रिंग की संख्या में वृद्धि करने से एक समस्या यह पैदा हो जायेगी की हमे लूप यानी वाइंडिंग ज्यादा लगानी पड़ेगी क्योंकि जितनी वाइंडिंग की संख्या होती है उतनी ही स्प्लिट रिंग होती है अतः फिर क्वायल को समानांतर में जोड़ देगे जिससे वोल्टेज जितना हमे चाहिए उतना ही प्राप्त होगा परन्तु डीसी स्टेडी मिलने लगेगी।
अनेक स्प्लिट रिंग का दूसरा नाम ही कम्यूटेटर कहलाता हैं। अतः स्प्लिट रिंग से एक सिरे पर एसी देने पर दूसरे सिरे पर डीसी प्राप्त होगा तथा एक सिरे पर डीसी देने पर दूसरे सिरे पर एसी प्राप्त होगा।
डीसी जनरेटर की कार्यप्रणाली (Working Principle Of DC Generator In Hindi)
डीसी जनरेटर फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम (flemings right hand rule) के अनुसार कार्य करता है—
फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम के अनुसार– यदि दाएं हाथ की तर्जनी, मध्य अंगुली और अंगूठे को इस प्रकार फैलाए की ये तीनो अंगुलिया एक दूसरे के लंबवत हो तो तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की ओर हो तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करे तो मध्य की अंगुली प्रेरित विद्युत धारा (चुंबकीय फ्लक्स की दिशा) को प्रदर्शित करेगी।
अंगूठा— motion of the conductor
प्रथम अंगुली— direction of the magnetic flux
द्वितीय अंगुली— direction of current
गतिज प्रेरित ईएमएफ की दिशा— डीसी जनरेटर में गतिज प्रेरित ईएमएफ की दिशा फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम (fleming right hand rule) से ज्ञात की जाती है। जिसमे परस्पर तीन अंगुलियों के बीच 90° का कोण होता है।
अंगूठा— चालक की घूर्णन दिशा को बताता है। (प्राइम मूवर द्वारा चालक के घूमने की दिशा)
प्रथम अंगुली— चुम्बकीय फ्लक्स की दिशा को बताता है।
द्वितीय अंगुली— प्रेरित ईएमएफ की दिशा को बताता है। (डीसी जनरेटर द्वारा प्रेरित ईएमएफ की दिशा)
डीसी जनरेटर में प्रेरित ईएमएफ की ध्रुवता अंगूठा और प्रथम अंगुली पर निर्भर करती है। डीसी जनरेटर में प्रेरित ईएमएफ की दिशा बदलने के लिए चालक के घूमने की दिशा या चुम्बकीय फ्लक्स की दिशा में से किसी एक को बदलकर कर सकते है।
अगर दोनो को एक साथ बदलेंगे तो ईएमएफ की दिशा नही बदलेगी और पुरानी स्थिति में ही रहेंगी।
गतिज प्रेरित ईएमएफ का सूत्र—
(A)
E= B.L.V Sinθ
- जहां— B= फ्लक्स घनत्व, वेबर/मीटर² या टेस्ला में
- L= चालक की लम्बाई, मीटर में
- V= चालक की गति
- Sinθ= चालक और चुम्बकीय बल रेखाओं के बीच छेदन का कोण
जब एक चालक चुम्बकीय बल रेखाओं का समकोण पर छेदन करता है तो उस समय maximum emf प्राप्त होता है। चुकी (Sinθ 90°= 1)
minimum emf= 0°,180°, और 360° पर
(B)
E= Φ.Z.N.P/60.A
- जहां Φ= फ्लक्स प्रति पोल, वेबर में
- Z= कुल चालको की संख्या
- N= स्पीड (rpm में)
- P= पोल
- A= समानांतर रास्तों की संख्या
समानांतर रास्तों की संख्या इस बात पर निर्भर करेगा की lap wound है या फिर wave wound.
(C)
E= V + Ia.Ra
- जहां— V= टर्मिनल पर प्राप्त वोल्टेज
- Ia= आर्मेचर करंट
- Ra= आर्मेचर का प्रतिरोध
आर्मेचर की धारा इस बात पर निर्भर करेगा की जेनरेटर कैसा है यदि—
(A) सीरीज जेनरेटर (series generator) है तो लोड करेंट (load current) के बराबर होगा।
(B) शंट जेनरेटर (shunt generator) है तो लोड करेंट और शंट फील्ड करेंट के योग के बराबर होगा।
प्रश्न और उत्तर—
प्रश्न— डीसी जनरेटर में प्रेरित ईएमएफ की ध्रुवता किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर— चालक की घूर्णन दिशा और चुम्बकीय फ्लक्स की दिशा
प्रश्न— डीसी जनरेटर में प्रेरित ईएमएफ की ध्रुवता को कैसे बदल सकते है?
उत्तर— चालक के घूर्णन की दिशा बदलकर या चुम्बकीय फ्लक्स की दिशा दोनो में से किसी एक को बदल कर।
प्रश्न— जेनरेटर फ्लेमिंग के किस नियम पर कार्य करता है?
उत्तर— फ्लेमिंग के दाएं हाथ के नियम के अनुसार
इसे भी पढ़े महत्वपूर्ण टॉपिक—
Thanks so much
ReplyDeleteNice
ReplyDelete