Armature Reaction In Hindi |
डीसी जनरेटर में आर्मेचर रिएक्शन की प्रतिक्रिया कैसी होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि फील्ड पोलो की संतृप्ता कितनी है जबकि अल्टरनेटर में आर्मेचर रिएक्शन भार के पावर फैक्टर पर निर्भर करता है तथा अल्टरनेटर में आर्मेचर रिएक्शन तीन प्रकार का होता है जबकि डीसी जनरेटर में आर्मेचर रिएक्शन केवल दो तरह का होता है क्योंकि यहां पावर फैक्टर सदैव इकाई होता है।
फिल्ड पोल संतृप्त होने से पूर्व— आर्मेचर रिएक्शन की प्रकृति क्रॉस मैग्नेट (cross magnet) प्रति चुम्बकन कहलाती है तथा यह कम लोड पर होता है। मैग्नेटिक न्यूट्रल एक्सिस (magnetic neutral axis or MNA), ज्योमेट्रिकल न्यूट्रल एक्सिस (geometrical neutral axis or GNA) से θ° आगे खिसक जाता है अतः जनरेटर की डायरेक्शन ऑफ रोटेशन (direction of rotation or d.o.r) में GNA को रोकर भुजा के आगे खिसकाया जाता है और MNA तक लाया जाता है तथा ऐसी अवस्था प्राप्त की जाती है जहा ईएमएफ अधिकतम तथा स्पार्किंग न्यूनतम हो।
फिल्ड पोल संतृप्त होने के बाद— आर्मेचर रिएक्शन की प्रकृति विचुंबकन या अचुम्बकन (de–magnet) कहलाती है। यह फुल लोड (full load) पर होता है। ऐसी स्थिति में मुख्य फील्ड फ्लक्स घटने लगता है। छोटी मशीनों में इसके निवारण हेतु फील्ड वाइंडिंग में एंपियर टर्न बढ़ा देते हैं जिससे आर्मेचर रिएक्शन न्यूट्रल हो जाएगा लेकिन बड़ी मशीनों में कम्पनसेटिंग वाइंडिंग का प्रयोग किया जाता है।
कम्पनसेटिंग वाइंडिंग— कम्पनसेटिंग वाइंडिंग के सिरे C1 व C2 से दर्शाये जाते है। कम्पनसेटिंग वाइंडिंग का संयोजन आर्मेचर के सीरीज में किया जाता है। इसमें धारा का मान, आर्मेचर धारा के समान होता है परन्तु धारा की दिशा आर्मेचर धारा की दिशा के विपरीत दिशा में होता है। यह मोटे तार कम टर्न की होती है क्योंकि प्रतिरोध का मान कम रखा जाना होता है।
कम्पनसेटिंग वाइंडिंग के फ्लक्स का मान आर्मेचर फ्लक्स के समान होता है परन्तु विपरीत दिशा में होता है जिससे आर्मचर फ्लक्स न्यूट्रल हो जाता है और मुख्य फील्ड फ्लक्स अप्रभावित रहता है तथा पूर्ण रूप से ईएमएफ उत्पन्न करता रहता है तथा विचुंबकन प्रभाव उत्पन्न नहीं होता है।
कम्यूटेशन (commutation)— कम्यूटेटर में क्वायल के शॉर्ट होने से पूर्व तथा शॉर्ट होने के बाद निष्क्रिय क्वायल में धारा की दिशा परिवर्तित हो जाती है जिससे निष्क्रिय क्वायल में एक ईएमएफ उत्पन्न हो जाता है जो निष्क्रिय क्वायल में धारा का विरोध करता है जिसके कारण कम्यूटेटर पर स्पार्किंग होती है इस स्पार्किंग को कम्यूटेशन कहते हैं। कम्यूटेशन दो प्रकार का होता है।
1. स्मूथ कम्यूटेशन (smooth commutation)
2. रफ कम्यूटेशन (rough commutation)
यदि स्पार्किंग धीरे-धीरे हो तो उसे स्मूथ कंप्यूटेशन (smooth commutation) तथा यदि बहुत तेजी से स्पार्किंग हो तो उसे रफ कंप्यूटेशन (rough commutation) कहा जाता है। रफ कंप्यूटेशन को नहीं होने देना चाहिए क्योंकि रफ कंप्यूटेशन से कम्यूटेशन सेगमेंट और कार्बन ब्रुश बहुत अधिक गर्म हो जाता है तथा कम्यूटेटर के सेगमेंट नष्ट हो जाते हैं। इसलिए रफ कम्यूटेशन को रोकना आवश्यक होता है। स्मूथ कम्यूटेशन को नही रोका जा सकता है।
रफ कंप्यूटेशन को स्मूथ कंप्यूटेशन में कैसे परिवर्तित कर सकते हैं या स्पार्किंग को कैसे कम किया जा सकता है। इसकी तीन विधियां है।
1. हाई रेजिस्टिव वायर (high resistive wire) का प्रयोग करके
2. हाई रेजिस्टिव ब्रुश (high resistive brush) का प्रयोग करके
3. इन्टर पोल वाइंडिंग (interpole winding) का प्रयोग करके
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निष्कर्ष— इस आर्टिकल में हमने जाना की आर्मेचर रिएक्शन क्या होता है (armature reaction kya hota hai) तथा कम्यूटेशन क्या होता है (commutation kya hota hai) और स्पार्किंग को रोकने की विधियां कौन–कौन सी है। इसी तरह के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी ब्लॉग वेबसाइट को जरूर फॉलो करे।
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