सोल्डरिंग एक विधि है जो दो या दो से अधिक भागो को आपस में जोड़ने के लिए की जाती है। इस विधि में जोड़ने के लिए प्रयोग होने वाले माध्यम को सोल्डर कहा जाता है। सोल्डरिंग में गलनाक को बढ़ाने के लिए एंटीमनी (antimony) तथा गलनाक को घटाने के लिए बिस्मथ (bismuth) धातु मिलाई जाती है।
उष्मीय प्रक्रिया से ज्वाइंट 3 तरह के लगते है।
1. सोल्डरिंग
2. ब्रेजिंग
3. वेल्डिंग
Soldering Iron In Hindi |
सोल्डर के प्रकार (Solder Ke Prakar)— सोल्डर 2 प्रकार के (Type of solder) होते है।
1. हार्ड सोल्डर (Hard Solder)— यह तांबे (copper) तथा जिंक (zinc) का एलॉय होता है, इसमें कभी–कभी चांदी भी मिलाया जाता है। सॉफ्ट सोल्डर की अपेक्षा हार्ड सोल्डर कठोर होता है।
हार्ड सोल्डर का गलनाक 300°C से अधिक होता है तथा यह दो प्रकार का होता है।
(A) स्पेल्टर (Spelter)— स्पेल्टर का गलनाक सर्वाधिक होता है, यह तांबा+जस्ता/जिंक का बना होता है।
यह तांबा और जस्ता या तांबा, जस्ता व टिन अथवा तांबा, जस्ता और कैडमियम मिलाकर बनाया जाता है। अधिकतर तांबा और जस्ता बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर बनाया जाता हैं। 2/3 भाग तांबा और 1/3 भाग जस्ता मिलाकर तैयार किया गया स्पेल्टर बहुत मजबूत जोड़ तैयार करता है। 1/2 भाग तांबा, 3/8 भाग जस्ता और 1/8 भाग टिन मिलाने से बहुत अच्छा स्पेल्टर तैयार होता है। यह दानेदार या तार की शक्ल में मिलता है।
(B) सिल्वर सोल्डर (Silver Solder)— इसका गलनाक स्पेल्टर से कम होता है। यह CU+Ag से बनकर बना होता है।
यह तांबा और चांदी या तांबा, चादी और जस्ता मिलाकर बनाया जाता है। यह अधिकतर 5 भाग ताबा, 3 भाग जस्ता और 2 भाग चांदी मिलाकर बनाया जाता है। इसका गलनांक नरम सोल्डर से अधिक लेकिन स्पेल्टर से बहुत कम होता है।
2. सॉफ्ट सोल्डर (Soft Solder)— इसका प्रयोग पतली शीटो व छोटे–छोटे पुर्जों तथा तारो को जोड़ने के लिए किया जाता है। यह लेड तथा टीन को मिलाकर तैयार किया जाता है। सॉफ्ट सोल्डर का प्रयोग करके जब धातु के दो या अधिक पार्ट्स को जोड़ा जाता है तो इसे सॉफ्ट सोल्डरिंग कहा जाता है।
इसका गलनाक 300°C से कम होता है। जैसे– टीन+लेड (Pb+Sn)
सोल्डरिंग का महत्व— तारो के जोड़ पर सोल्डरिंग करने का निम्न उद्देश्य होता है।
(A) सोल्डरिंग का उद्देश्य यांत्रिक सामर्थ्य को बढ़ाना होता है।
(B) सोल्डरिंग का उद्देश्य उत्तम चालकता प्रदान करना होता है।
(C) कुछ सर्किट ऐसे होते है जिनमे ज्वाइंट केवल सोल्डरिंग से ही सम्भव होता है, जैसे— प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) (Printed circuit board or PCB) और आर्मेचर क्वायल (armature coil)
सोल्डर क्या होता है? (Solder Kya Hota Hai)— दो तारो को जोड़ने के लिए जिस मिश्रधातु (Alloy) का प्रयोग किया जाता है, उसे सोल्डर कहते है। इसे फिलर मेटल (Filler Metal) भी कहा जाता है।
सोल्डर के बारे में याद रखने योग्य बातें— सोल्डर के बारे में निम्न बाते याद रखनी चाहिए—
1. सोल्डर का गलनाक जोड़ी जाने वाली धातु से कम होता है।
2. सोल्डर सामान्यतः टीन और लेड का बना होता है।
सोल्डरिंग करते समय ध्यान देने योग्य मुख्य बाते (Important points while soldering process)— सोल्डरिंग करते समय निम्न बातों का ध्यान देना चाहिए।
1. सोल्डर का गलनांक जोड़ी जाने वाली धातु के गलनांक से कम होना चाहिए।
2. सोल्डर आसानी से फैल जाना चाहिए।
3. सोल्डर मजबूत होना चाहिए।
4. जोड़ी जाने वाली धातु एक दूसरे से भली भांति जुड़ जानी चाहिए।
सोल्डरिंग करने के लिए आवश्यक सामग्री (Important material for soldering)—
A. टांका (solder), कच्चा या पक्का कार्य के अनुसार जैसा उपयुक्त हो।
B. फ्लक्स
C. ब्लो लैंप (धातु को गर्म करने के लिए)
D. रेती (file), सैंड पेपर (sand paper), सोल्डरिंग की गए स्थान को साफ करने के लिए।
E. पानी की बोतल
F. सोल्डरिंग आयरन
सोल्डरिंग में प्रयुक्त होने वाले सोल्डर और उनका उपयोग— सोल्डरिंग में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न सोल्डर और उनके उपयोग के बारे में नीचे तालिका में दिया गया है—
Solder and It's Used |
याद रखे—
- एल्यूमिनियम पर सोल्डरिंग करने के लिए सामान्य सोल्डर और सामान्य फ्लक्स काम में नही लिया जाता है।
- एल्यूमिनियम के लिए एक विशेष प्रकार के सोल्डर का उपयोग करते है, जिसे केरेलाईट तथा अल्का पी (ALCA–P) कहते हैं।
सोल्डरिंग के लाभ (Advantage of soldering)—
1. इसे कम ताप पर शीघ्र जोड़ा जा सकता है।
2. सोल्डरिंग में विशेष अनुभव या दक्षता की जरूरत नहीं होती है।
3. इसके द्वारा पतली शीटो, तारो और छोटे पार्ट्स को अस्थाई रूप से जोड़ा जा सकता है।
4. इस जोड़ का लागत मूल्य कम होता है।
सोल्डरिंग की हानियां (Disadvantage of soldering)—
1. यह कच्चा जोड़ होता है।
2. यह थोड़ा बहुत भी गर्म हो जाता है तो खुल जाता है।
3. इसे मोटी मेटल के पार्ट पर नही लगाया जा सकता है।
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