जल विद्युत उत्पादन (Hydel Plant)
तापीय विद्युत प्लांट के बाद सर्वाधिक स्थापना जल विद्युत उत्पादन संयंत्र का है।
जल विद्युत संयंत्र (केंद्र) उस स्थान पर ज्यादा स्थापित किए जाते है जहा पानी की उपलब्धता अधिक होती है। इसका प्रारम्भिक लागत अधिक होता है लेकिन स्थापना के बाद इसमें कोई खर्चा नहीं होता है अर्थात इसका रनिंग कॉस्ट (running cost) न्यूनतम अथवा बहुत कम होता है।
Hydro Electric Power Plant In Hindi |
जल विद्युत संयंत्र में गिरते पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग कर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। जल विद्युत संयंत्र अधिकतर नदियों पर बाध बनाकर स्थापित किए जाते है। जल विद्युत उत्पादन के लिए नदियों पर ऊंचे बांध बनाकर पानी के बहाव को रोका जाता है तथा पानी को झील के रूप में इकट्ठा कर लिया जाता है तथा बहते पानी की गति स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।
बाँध में एकत्रित पानी को पाइपों के माध्यम से टरबाइन तक लाया जाता है जो बांध की तली में स्थापित होते हैं। क्योंकि झील में पानी को दोबारा भरा जा सकता है, इसलिए जल शक्ति उर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है। टरबाइन विद्युत जनित्र के साथ जुड़ा होता है जो गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है।
जल संयंत्र स्थापित करने हेतु आवश्यक चयन कारक— जल विद्युत संयंत्र स्थापित करते समय निम्न बातों का ध्यान देना चाहिए—
(A) पानी की उपलब्धता होनी चाहिए अर्थात आसानी से अधिक मात्रा में पानी उपलब्ध होनी चाहिए।
(B) स्टोरेज ऑफ वाटर (storage of water) अर्थात पानी को स्टोर करने के लिए उचित साधन जैसे– डैम, जलाशय या तालाब (reservior or dam) होना चाहिए।
(C) कॉस्ट ऑफ लैंड (cost of land) अर्थात जमीन की कीमत क्या है इसका भी ध्यान रखना चाहिए और ऐसी जमीन होनी चाहिए की यदि भविष्य में पावर प्लांट को बढ़ाने की जरूरत पड़े तब पर्याप्त जमीन उपलब्ध हो तथा जमीन सस्ती हो तथा सरलता से मिल जाए।
(D) जमीन की भौगोलिक स्थिति पथरीली होनी चाहिए अर्थात पथरीली जमीन को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि पथरीली जमीन होने से पानी कम सोखेगा। लोड सेन्टर (load center) से दूरी कम होनी चाहिए (परन्तु यह ज्यादा मायने नहीं रखता है)।
(E) प्रदूषण थोड़ा कम होना चाहिए जिससे ब्लेड जल्दी क्षतिग्रस्त न हो।
(F) जल विद्युत उत्पादन केंद्र के लिए परिवहन का साधन ज्यादा मायने नहीं रखता है।
जल विद्युत उत्पादन केंद्र के भाग (Part of hydel power plant)— जल विद्युत उत्पादन केंद्र के भाग और उनका कार्य नीचे विस्तार से बताया गया है एक जल विद्युत उत्पादन केंद्र के निम्नलिखित भाग होते है।
1. बांध (Dam/डैम)— बाध जल विद्युत संयंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है तथा यह सबसे महगा भाग होता है। बाध का उपयोग वाटर बैकअप (water backup) के रूप में करते है बाध 2 प्रकार का होता है।
(A)— रेनफोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट या आरसीसी (Reinforced cement concrete or rcc)
(B) मिट्टी का
आरसीसी और मिट्टी का बाध इस बात पर निर्भर करता है कि नदी से जो इनपुट पानी आ रहा था वह नदी किस प्रकार की थी।
(A)— रेनफोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट या आरसीसी (Reinforced cement concrete or rcc)— आरसीसी का बाध उस समय बनाते है जब नदी संकरी (narrow/नैरो) हो क्योंकि संकरी नदी के पानी का प्रेशर ज्यादा होता है इस लिए ऐसे स्थान पर बाध मजबूत बनाया जाता है।
(B) मिट्टी का— जब नदी का मुहाना चौड़ा (wide) हो तो मिट्टी का बाध बनाते है।
2. जलाशय (Storage reservoir)— जलाशय बाध से पहले होता है और पानी को स्टोर (एकत्रित) करता है।
3. प्रेशर टनल (Pressure tunnel)— प्रेशर टनल आरसीसी टनल होती है जोकि बाध से पानी लेकर जाती है।
4. सर्ज टैंक (Surge tank)— सर्ज टैंक का कार्य पेन स्टोक (penstock) को वाटर हैमरिंग (water hammering) से सुरक्षा करना होता है।
जब अचानक पानी की कमी या पानी की अधिकता होती है तो पेनस्टॉक में हैमरिंग होती है उस हैमरिंग से बचाव का कार्य सर्ज टैंक करता है। जब अचानक स्लाइस गेट (sluice gate) बन्द होता है तो (गेट gorvenor गवर्नर के द्वारा बंद होता है) सारा पानी पेनस्टॉक में आता है सर्ज टैंक इस पानी को बैकअप के रूप में अपने अन्दर ले लेता है और जब अचानक पानी की जरूरत पड़ती है तो उस समय पानी सर्ज टैंक देता है।
जब कभी अचानक पानी की कमी होती है तो पेनस्टोक में अचानक वैक्यूम (vaccum) आ जाता है इस वैक्यूम की वजह से पेन स्टोक सिकुड़ जायेगा या अन्दर की ओर मुड़ जायेगा और यदि पानी की अचानक अधिकता हो जाती है तो पेनस्टोक के फटने का डर होता है ऐसी स्थिति में सर्ज टैंक पेनस्टोक का बचाव करता है।
5. वाल्व घर (Valve house)— वाल्व हाउस स्लाइस गेट और आइसोलेटिंग वाल्व (isolating value) प्रकार के होते है जो पानी की आवश्यकता अनुसार खोले या बंद किए जाते है।
6. पेनस्टोक (Penstock)— पेनस्टोक बाध तथा टरबाइन के बीच लगाया जाता है। या सर्ज टैंक तथा टरबाइन के बीच यह आरसीसी या स्टील का बना होता है।
पेनस्टोक बाध से टरबाइन तक पानी ले जाने का कार्य करता है।
7. नियंत्रक (Governer)— यह लोड की आवश्यकतानुसार टरबाइन की गति को नियंत्रित करता है यह वाल्व को ऑटोमैटिक क्लोज/ओपन (close/open) करता रहता है जिसकी वजह से हैमरिग (hammering) होती है।
8. उत्पलावक मार्ग (Spill way)— उत्पलावक मार्ग का कार्य बाध से अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का होता है। यह बाध में तैरने वाले पदार्थ जैसे कचरा, लकड़ी को बाहर निकालने का कार्य करता है तथा बाध को ओवरफ्लो (overflow) से भी बचाता है।
9. फोरबे (Forbay)— फोरबे टरबाइन के स्टार्टिंग (starting) हेतु अधिक जल प्रदान करता है।
जब अचानक हमें ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है तो पेनस्टोक एक सीमित मात्रा में ही पानी उपलब्ध करवाता है उस समय फोरबे के पानी का उपयोग किया जाता है।
10. हेड रेस (Head race)— टरबाइन से पहले का भाग जिसमें पानी हो हेड रेस कहलाता है। जैसे– डैम (dam), रिजर्वियर (reservior)
11. टेल रेस (Tail race)— टरबाइन के बाद एग्जिट वाटर (Exit water) को टेलरेस कहा जाता है अर्थात टरबाइन में यूज (use) होने के बाद जो पानी बाहर की ओर जाता है टेल रेस कहा जाता है।
12. ड्राफ्ट ट्यूब (Draft tube)— टरबाइन में पानी के उपयोग के बाद टेलरेस की तरफ लगी ट्यूब ड्राफ्ट ट्यूब कहलाती है। इसका कार्य टेलरेस की तरफ ऐसा ड्राफ्ट बनाना होता है जिससे कि पानी बाहर की ओर निकल आए।
जल विद्युत उत्पादन केंद्र का ब्लॉक डायग्राम (Block diagram of hydel electric power plant)—
जल विद्युत उत्पादन केंद्र का ब्लॉक डायग्राम नीचे दिखाया गया है, आप इसके सभी घटकों के बारे में पढ़ कर इसकी कार्यप्रणाली को अच्छे से समझ सकते है।
Block diagram of hydel electric power plant |
जल विद्युत संयंत्र के प्रकार (Type of hydro electric plant)—
जल विद्युत संयंत्र (हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट इन हिन्दी) निम्नलिखित प्रकार के होते है।
1. स्टोरेज के आधार पर (Basis of storage)
(A) रिवर ऑफ़ विदाउट पोंडेज (River off without pondage)
(B) रिवर ऑफ विद पोंडेज (River off with pondage)
(C) रिजर्वॉयर प्लांट (Reservoir plant)
2. लोड के आधार पर (Basis of load)
(A) बेस लोड (Base load)
(B) पीक लोड (Peak load)
3. हेड के आधार पर (Basis of head)
(A) लो हेड (Low head)
(B) मीडियम हेड (Medium head)
(C) हाई हेड (High head)
1. स्टोरेज के आधार पर (Basis of storage)— स्टोरेज के आधार पर जल विद्युत संयंत्र निम्नलिखित प्रकार के होते है।
(A) River off without pondage— इस तरह के प्लांट केवल बेस लोड ही प्रदान करते है। यह एक कांस्टेंट्स सप्लाई (Constant supply) देते है। अचानक यदि इनसे अधिक मात्रा में विद्युत का उत्पादन कराया जाए तो यह नहीं कर सकते हैं इनका प्रचालन पूरी तरह से नदी पर निर्भर करता है इस प्रकार के प्लांट में यदि नदी में पानी होता है तो ये सप्लाई देते हैं अन्यथा नहीं। इसमें नदी के पानी का उपयोग किया जाता है और नदी आगे निकल जाती है हालांकि ऐसे प्लांट उस स्थान पर बनाए जाते हैं जहा नदिया लगातार चलती है। इस प्रकार के प्लांट में पानी के स्टोरेज हेतु कोई व्यवस्था नहीं होती है इसमें पानी की मात्रा कम या अधिक नहीं कर सकते यदि वर्षा के समय अधिक मात्रा में पानी आता है तो हम उस पानी का उपयोग कम ही कर पाते है क्योंकि वह लोड के अनुसार होता है इसलिए इसका अधिकतर पानी व्यर्थ चला जाता है। वर्षा के दौरान सबसे अधिक मात्रा में पानी व्यर्थ इसी प्लांट से होता है।
वर्षा के समय में बहुत अधिक मात्रा में पानी हो जाता है लेकिन प्लेट का गवर्नर लोड के अनुसार पानी को कंट्रोल करता है। चुकी इस प्रकार के प्लांट कम क्षमता वाले होते हैं इसलिए उन्हें ज्यादा लोड नहीं दे सकते इस प्लांट का गवर्नर पानी को कंट्रोल करता है ऑटो स्लाइड गेट (auto sluice gate) उतना ही खुलता है जितने पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार अतिरिक्त पानी head race से tail race की ओर सीधा बाईपास (bypass) हो जाता है।
(B) River off with pondage — इस प्रकार के प्लांट में एक छोटा पौंड (pond) बनाकर वर्षा के अतिरिक्त जल को सेव (save) कर लिया जाता है। आवश्यकता अनुसार जल की मात्रा उपयोग करके विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
इस प्रकार के प्लांट सामान्यतः पिक लोड की श्रेणी में आते है। इस प्रकार के प्लांट में पानी को स्टोर करने के लिए एक अस्थायी स्टोरेज बैकअप (temporary storage backup) बनाया जाता है तथा उस स्टोरेज पानी को तब तक प्रयोग करते हैं जब तक इसका बैकअप पानी खत्म नहीं हो जाता है। इसमें पौंड की क्षमता से अधिक मात्रा में पानी स्टोर नहीं किया जा सकता है इसलिए स्टोरेज पानी को पहले प्रयोग कर लिया जाता है चाहे जितना दिन तक उपयोग हो जैसे ही पानी का बैकअप खत्म होता है यह बंद हो जाते हैं समय पर वर्षा हो गई तो फिर से इनसे विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है अन्यथा यह बंद पड़े रहते हैं।
(C) Reservoir— जलाशय बाध से पहले बनाया जाता है। सर्वाधिक जल एकत्र करने की क्षमता Reservoir में ही होती है इसे एज ए बेस लोड (as a base load) के रूप में प्रयोग करते हैं।
2. लोड के आधार पर (Basis of load)— लोड के आधार पर जल विद्युत संयंत्र निम्नलिखित प्रकार के होते है।
(A) बेस लोड प्लांट— स्थिर व निरन्तर भार प्रदान करने वाले प्लांट base load plant कहलाते है। जैसे– reservoir, river off without pondage
इस प्रकार के प्लांट सिस्टम को मूल लोड संयंत्र कहा जाता है। ये उच्च लोड गुणक (high load factor) पर प्रचालित होते है। इससे प्राप्त सप्लाई लगभग नियत होती है किसी भी संयंत्र को मूल लोड संयंत्र के रूप में प्रयोग करने के लिए उससे उत्पादित ऊर्जा की प्रति इकाई लागत (unit cost) निम्न होनी चाहिए।
(B) पीक लोड प्लांट— ये उच्च भार क्षमता वाले प्लांट होते है। इस प्लांट की क्षमता base load plant से अधिक होती है। परन्तु यह अनिश्चित समय तक होते है। जैसे– river off with pondage
इसके द्वारा सप्लाई को शिखर लोड (till pick load) प्रदान किया जाता है। पोखर सहित रन ऑफ संयंत्र कम प्रवाह अवधि में पिक लोड संयंत्र के रूप में प्रयोग किए जा सकते है ये संयंत्र मौसम के अनुसार बड़ी मात्रा में भंडारण करने में सक्षम होते है। ये स्रोत निम्न लोड गुणक (low load factor) पर कार्यरत होते है। ये ऑफ पीक अवधि में पानी भंडारित करके उसका प्रयोग पीक लोड अवधि में करते है।
3. हेड के आधार पर (On the basis of head)— हेड के आधार पर जल विद्युत संयंत्र निम्नलिखित प्रकार के होते है।
(A) लो हेड प्लांट— यदि 60 मीटर या इससे कम ऊंचाई से जल को गिराया जाता है तो ऐसे प्लांट निम्न शीर्ष संयंत्र (low head plant) कि श्रेणी में आते है।
इस तरह के प्लांट में जल के अधिक डिस्चार्ज की आवश्यकता होती है अतः पेनस्टोक का व्यास अधिक तथा लंबाई कम रखी जाती है (पानी पहुंचाने का कार्य पेनस्टोक करता है)।
इस प्रकार के प्लांट में सर्ज टैंक की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि प्लांट डैम के बहुत नजदीक होता है और पेनस्टोक इतना चौड़ा होता है कि पेनस्टोक के फटने का डर नहीं होता है। जैसे ही अचानक पानी की अधिक मात्रा वापस आती है, तो गवर्नर ऑटो स्लाइस गेट को बंद कर देता है जिससे सारा पानी बैकअप के रूप में डैम में आसानी से चला जाता है। इस प्रकार के प्लांट में प्लांट डैम (बाध) के बहुत समीप होता है अतः पेनस्टोक (vertical) वर्टिकल (बिल्कुल खड़ा) होता है। लो हेड प्लांट के लिए फ्रांसिस टरबाइन, प्रोपेलर टरबाइन, काप्लान टरबाइन को प्रयोग किया जाता है।
(B) मीडियम हेड प्लांट— मीडियम हेड प्लांट की ऊंचाई 60 मीटर से 120 मीटर तक माना जाता है।
इसमें मीडियम ऊंचाई तथा मीडियम डिस्चार्ज कि आवश्यकता होती है। इसका पूरा प्रचालन फोरबे (forebey) पर पर निर्भर करता है। इसमें सर्ज टैंक का कार्य फोरबे करता है इस प्लांट में बांध से फोरबे में पानी आता है। पानी की कमी या अधिकता होने पर पेनस्टोक फोरबे से सप्लाई करता है। यदि अचानक पानी की अधिकता हो जाती है तो पेनस्टोक सारा पानी फोरबे में भेज देता है और यदि अचानक अधिक पानी की आवश्यकता होती है तो पेनस्टोक में वैक्यूम (vaccum) ना बने इसके लिए फोरबे वाले पानी को सप्लाई कर दिया जाता है।
(C) हाई हेड प्लांट— 120 मीटर से अधिक जिस शीर्ष की ऊंचाई होती है उसे हाई हेड प्लांट कहते है।
इस प्रकार के पावर प्लांट में अधिक ऊंचाई होती है अतः कम डिस्चार्ज की आवश्यकता होती है अर्थात पानी की कम मात्रा होने पर भी प्लांट काम करते है।
इस तरह के प्लांट में पेनस्टोंक की लंबाई अधिक तथा व्यास कम रखा जाता है। इस तरह के प्लांट में पेल्टन व्हील (pelton wheel) टरबाइन काम में लिया जाता है। फ्रांसिस टरबाइन का प्रयोग लो हेड प्लांट और हाई हेड प्लांट दोनों में कर सकते है।
जल विद्युत उत्पादन स्टेशन की विशेषता— जल विद्युत उत्पादन स्टेशन की निम्नलिखित विशेषता होती है।
1. इसकी दक्षता थर्मल पॉवर प्लांट से लगभग दोगुनी होती है।
2. इस विधि से प्रदूषण रहित विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
3. जल विद्युत संयंत्र का स्टैंड बाई लॉस (stand by loss) शून्य (nill) होता है, स्टैंड बाई लॉस का अर्थ होता है की यदि प्लांट बन्द भी पड़ा है तो इसमें कोई auxiliary consumption नही होगा।
4. इसका प्रारम्भिक लागत अधिक होता है लेकिन स्थापना के बाद इसमें कोई खर्चा नहीं होता है अर्थात रनिंग कॉस्ट न्यूनतम अथवा बहुत कम होता है।
जल विद्युत से विद्युत का उत्पादन कैसे किया जाता है?— जल विद्युत स्टेशन से विद्युत का उत्पादन कैसे किया जाता है, इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप को अच्छे से समझ आ जायेगा यदि आप लोगो को ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तो और स्टडी ग्रुप में जरूर शेयर करे तथा इसी तरह के आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी ब्लॉग वेबसाइट को जरूर फॉलो करे धन्यवाद।।
Nice Article
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