अर्थिंग या भूसम्पर्कन तंत्र
किसी वायरिंग प्रणाली या मशीन उपकरण के धात्विक चालक बॉडी/भाग को कम प्रतिरोध वाले चालक द्वारा पृथ्वी संयोजन करना अर्थिंग या भूसम्पर्कन तंत्र (earthing system) कहलाता है।
अर्थिग की परिभाषा (Defination of earthing)— "निम्न प्रतिरोधी पथ के माध्यम से विद्युत ऊर्जा को तत्काल सीधे जमीन को ओर डिस्चार्ज करने की प्रक्रिया अर्थिंग कहलाती है।"
या
" किसी उपकरण के गैर धारावाही भाग (non current carring part) को अर्थ से जोड़ना अर्थिंग कहलाता है।"
गैर धारावाही भाग को उस समय अर्थ से जोड़ा जाना चाहिए जब वह धात्विक भाग हो।
या
"सिस्टम के न्यूट्रल को अर्थ (ground) के साथ जोड़ना अर्थिंग (earthing system) कहलाता है।"
- अर्थिंग किससे की जाती है— सामान्यतः अर्थिंग GI से की जाती है। [लोहे पर जस्ते की परत चढ़ाना गैल्वेनाइज्ड आयरन (Galvanized Iron or GI) कहलाता है]
- अर्थिंग करने के लिए GI के अलावा क्रमशः तांबा, एल्यूमिनियम और लोहा का उपयोग किया जा सकता है।
अर्थिंग का काम (Work of earthing)— अर्थिंग लीकेज करेंट (leakage current) से सुरक्षा प्रदान करती है। तथा अर्थिंग लीकेज धारा को सरलतम मार्ग (simplest path) प्रदान करता है। जब दोष उत्पन्न होता है तो अर्थिंग के माध्यम से लीकेज धारा जमीन में चली जाती है तथा उपकरण और सिस्टम को क्षतिग्रस्त होने से बचाती है। पृथ्वी का विभवान्तर (विभव) और प्रतिरोध माना जाता है इसलिए पृथ्वी की ओर अनन्त धारा का प्रवाह होता है।
पृथ्वी का विभव या विभवान्तर— 0 (शून्य)
पृथ्वी का प्रतिरोध— 0 (शून्य)
पृथ्वी की ओर धारा का प्रवाह— ∞ (अनन्त)
अर्थिंग का उद्देश्य या आवश्यकता (Need of earthing in hindi)— अर्थिंग करने के पीछे निम्न उद्देश्य होता है—
1. अर्थिंग कार्मिक की सुरक्षा करता है।
2. अर्थिंग उच्च वोल्टेज सर्ज (high voltage surge) से बचाव करता है।
3. अर्थिंग तड़ित से बचाव करता है। (तड़ित डिस्चार्ज करना)।
4. अर्थिंग लाइन की वोल्टेज को बैलेंस (balance) करता है।
5. 1 फेज सप्लाई हेतु टेपिंग करना।
6. अर्थिंग की सहायता से लाइन की टेपिंग आसानी से की जा सकती है।
7. अर्थिंग इन्सुलेशन फेल (insulation fail) हो जाने पर दोषित धारा को (fault current) को सरलतम मार्ग उपलब्ध करवाता है।
अर्थिंग का प्रतीक (Symbol of earthing)— अर्थिंग का प्रतीक नीचे चित्र के माध्यम से बताया गया है।
विद्युत स्थापना के अर्थिंग को 2 वर्गो में विभाजित किया जा सकता है।
1. सिस्टम अर्थिंग
2. उपकरण अर्थिंग
सिस्टम अर्थिंग और उपकरण अर्थिंग क्या होता है नीचे इनके बारे में एक–एक करके विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है।
1. सिस्टम अर्थिंग (System earthing)— सिस्टम अर्थिंग में सिस्टम के न्यूट्रल को सीधे अर्थ के साथ जोड़ा जाता है। यह सामान्यतः सिस्टम में उपलब्ध करवाई जाती है।
जैसे—
- 3 फेज जनरेटर (जनरेटिंग स्टेशन में)
- 3 फेज ट्रांसफॉर्मर (डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर में)
- 3 फेज मोटर में
याद रखे— पावर स्टेशन और सब स्टेशन में सिस्टम अर्थिंग किया जाता है।
- सिस्टम अर्थिंग के उद्देश्य— पृथ्वी का विभव शून्य रखा जाता है ताकि प्रत्येक चालक तार पर वोल्टेज की सीमा को शून्य विभव के सापेक्ष वोल्टेज के संगत उचित स्तर का इन्सुलेशन किया जाए।
- सिस्टम अर्थिंग जिसकी सुरक्षा के लिए तैयार किया जाता है उस सिस्टम में दोष उत्पन्न होने पर उसकी सुरक्षा करता है तथा सुरक्षात्मक गियर बनाकर किसी प्लांट के प्रचालन में दोष पूर्ण हिस्से को हानि रहित बनाता है।
2. उपकरण अर्थिंग (Equipment earthing)— उपकरण अर्थिंग में उपकरण के धात्विक भाग जो गैर धारावाही (non current carring) होते है, उनको अर्थ से जोड़ा जाता है।
उपकरण अर्थिंग के उद्देश्य— मानव जीवन और पशुओं की रक्षा के लिए कार्यशील धात्विक भाग एवम् चालक जिसमे धारा प्रवाह नही हो रहा है उनको अर्थ से जोड़ा जाना आवश्यक होता है।
अर्थिंग के प्रकार (Types of earthing)— अर्थिंग सामान्यतः निम्न प्रकार से की जाती है।
1. पाइप अर्थिंग
2. प्लेट अर्थिंग
3. रॉड अर्थिंग
4. स्ट्रिप अर्थिंग
5. वॉटरमैन अर्थिंग
इन अर्थिंग की सभी विधियों के बारे में नीचे एक–एक करके विस्तार से जानकारी दी गई है।
1. पाइप अर्थिंग (Pipe earthing)— पाइप अर्थिंग, अर्थिंग की सर्वोत्तम विधि है और यह सबसे अधिक दक्ष विधि है। इस विधि में पाइप को लम्बवत (खड़ा) जमीन में लगाया जाता है। जिसकी लंबाई 2.5 मीटर होती है। अगर पाइप कास्ट आयरन का हो तो इसका आंतरिक व्यास 100mm से कम तथा यदि पाइप जीआई (GI) का है तो इसका आंतरिक व्यास 38mm से कम नहीं होना चाहिए। पाइप अर्थिंग में अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में पाइप लिया जाता है और यह पाइप सदैव वर्टिकली (vertically) लगाया जाता है। पाइप कास्ट आयरन (cost iron) या जीआई (GI) का हो सकता है।
Pipe Earthing=
Cost Iron— 100mm आन्तरिक व्यास
GI— 38mm आन्तरिक व्यास
2. प्लेट अर्थिंग (Plate earthing)— किस विधि का उपयोग सबसे ज्यादा उत्पादन केंद्र (generating station) तथा सब स्टेशन (sub station) में करते हैं। इस विधि में अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में प्लेट को जमीन के अंदर 3 मीटर तक वर्टिकली (vertically) लगाते हैं। प्लेट का टॉप (top) जमीन से डेढ़ मीटर (1.5 meter) गहरा रखते हैं। प्लेट जीआई (GI) या कॉपर (copper) हो सकता है यदि— प्लेट जीआई का है तो इसका साइज 60cm (लम्बाई) × 60cm (चौड़ाई) × 6.3mm या 6.35mm (मोटाई) तथा यदि प्लेट कॉपर का हो तो इसका साइज 60cm (लम्बाई) × 60cm (चौड़ाई) × 3.15mm या 3.18mm (मोटाई) रखते है।
Plate Earthing=
GI— 60cm × 60cm × 6.3mm या 6.35mm
Copper— 60cm × 60cm × 3.15mm या 3.18mm
3. रॉड अर्थिंग (Rod earthing)— रॉड जीआई या स्टील और कॉपर का हो सकता है यदि रॉड जीआई/स्टील का है तो इसका साइज 16mm व्यास तथा यदि कॉपर का है तो इसका साइज 12.5mm व्यास का रखते है।
Rod Earthing=
GI/Steel— 16mm व्यास
Copper— 12.5mm व्यास
4. स्ट्रिप अर्थिंग (Strip earthing)— स्ट्रिप अर्थिंग उपयोग केवल ट्रांसमिशन लाइन (transmission line) में किया जाता है इसे होरिजेंटल (horizontal) क्षैतिज ट्रेंच में लगाने पर ऊंचाई 0.5 मीटर होनी चाहिए। जब जीआई (GI) की स्ट्रिप हो तो इसका क्रॉस सेक्शन एरिया 25mm × 4mm तथा जब कॉपर का स्ट्रिप हो तो क्रॉस सेक्शन एरिया 25mm × 1.6mm रखते है।
Strip Earthing=
GI — 25mm × 4mm (cross section area)
Copper— 25mm × 1.6mm (cross section area)
5. वाटरमैन अर्थिंग (Waterman earthing)— वाटरमैन अर्थिंग कभी नही करनी चाहिए क्योंकि पानी की सप्लाई के लिए जो पाइपलाइन होती है वह अक्सर जीआई पाइप होती है क्योंकि इसपर जंग नही लगती है। इस विधि में इस जीआई पाइप को ही प्रारम्भ बिन्दु से अर्थ कर दिया जाता है अलग–अलग घरों में नही इसलिए अगर पाइप में कही अर्थ कनेक्शन टूट गया तो सभी घरों में करेंट आ सकता है इस वजह से इस अर्थिंग का उपयोग नहीं करना चाहिए हालाकि अर्थिंग की इस विधि का उपयोग नहीं किया जाता है।
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