डीसी मोटर में गति नियंत्रण की वार्ड लियोनार्ड विधि
वार्ड लियोनार्ड विधि (Ward Leonard vidhi kya hai)— वार्ड लियोनार्ड विधि में मोटर की गति कंट्रोल करने के लिए मोटर के आर्मेचर पर अप्लाइड वोल्टेज (applied voltage) को कंट्रोल करते हैं। इसलिए वार्ड लियोनार्ड विधि को आर्मेचर वोल्टेज कंट्रोल विधि भी कहते है।
Ward Leonard Method In Hindi
वार्ड लियोनार्ड विधि की संरचना (Construction of Ward Leonard method)—
एक थ्री फेज की एसी मोटर को प्राइम मूवर के रूप में डीसी जनरेटर के साथ यांत्रिक रूप से जोड़ते हैं और डीसी जनरेटर के आर्मेचर द्वारा बनाया गया वोल्टेज सीधे डीसी मोटर के आर्मेचर को दे देते हैं। इस विधि में हम आर्मेचर वोल्टेज कंट्रोल विधि का प्रयोग करते हैं। डीसी जनरेटर के द्वारा बनाए गए वोल्टेज को कंट्रोल करके इससे डीसी मोटर की गति में परिवर्तन करते हैं। इसमें डीसी मोटर व डीसी जनरेटर की फील्ड को पृथक उत्तेजित किया जाता है। थ्री फेज की एसी सप्लाई (3 phase, ac supply) को ब्रिज रेक्टिफायर द्वारा रेक्टिफाई (rectify) करके प्राप्त डीसी को डीसी मोटर व डीसी जनरेटर की फील्ड को दे देते है तथा डीसी जनरेटर के फील्ड के सीरीज में रिहोस्टेट (rehostate), चेंज ओवर (change over) स्विच लगा देते है।
वार्ड लियोनार्ड विधि की कार्यप्रणाली (Working Principle)—
इस विधि में मोटर की गति परिवर्तित करने के लिए आर्मेचर में मिलने वाली वोल्टेज को परिवर्तित किया जाता है। डीसी जनरेटर के फील्ड सप्लाई के सीरीज में रिहोस्टेट (rehostate) लगाने का उद्देश्य फील्ड फ्लक्स को नियंत्रित करना है। मोटर की फील्ड में रियोस्टेट नहीं लगाया जाता है क्योंकि मोटर के फ्लक्स को स्थिर रखना है। गति परिवर्तन डीसी जनरेटर के आर्मेचर से होगा तथा दिशा परिवर्तन जनरेटर के फील्ड टर्मिनल बदल कर होगा।
मोटर की घूमने की दिशा (direction of rotation) परिवर्तित करने के लिए दो विधि होती है।
- फील्ड फ्लक्स की दिशा बदलकर
- आर्मेचर धारा की दिशा बदल कर
परन्तु इसमें फील्ड फ्लक्स तो स्थिर है अतः आर्मेचर धारा की दिशा बदलकर करेगे लेकिन मोटर में आर्मेचर धारा डीसी जनरेटर से आ रही है। अतः डीसी जनरेटर में प्रेरित ईएमएफ की दिशा बदलने से मोटर के आर्मेचर में धारा की दिशा बदल जाएगी जिससे मोटर के घूमने की दिशा बदल जाएगी।
डीसी जनरेटर के प्रेरित ईएमएफ की दिशा बदलने के लिए दो विधि होती है।
- फील्ड फ्लक्स की दिशा बदल कर
- जनरेटर के घूमने की दिशा परिवर्तित करके
लेकिन जनरेटर को ऐसी सप्लाई (ac supply) के साथ यांत्रिक रूप से जोड़ा गया है अतः जनरेटर के घूमने की दिशा नहीं परिवर्तित करेंगे। हम जनरेटर की फील्ड फ्लक्स की दिशा चेंज ओवर (change over) के साथ बदल कर जनरेटर के प्रेरित ईएमएफ की दिशा बदल देते हैं और जैसे ही मोटर के आर्मेचर धारा की दिशा बदल जाएगी वैसे ही मोटर के घूमने की दिशा भी परिवर्तित हो जाएगी।
वार्ड लियोनार्ड विधि की विशेषताएं—
डीसी मोटर के स्पीड कंट्रोल की वार्ड लियोनार्ड विधि की निम्नलिखित विशेषताएं होती है—
1. वार्ड लियोनार्ड विधि आर्मेचर वोल्टेज नियंत्रण विधि है।
2. इस विधि के द्वारा सूक्ष्म गति में परिवर्तन संभव है।
3. गति परास (speed range) बहुत अधिक (शून्य से लेकर अधिकतम) गति तक परिवर्तन संभव है।
4. दोनो दिशाओं में गति परिवर्तन संभव है।
वार्ड लियोनार्ड विधि की हानियां—
डीसी मोटर के स्पीड कंट्रोल की वार्ड लियोनार्ड विधि की निम्न हानियां है—
1. इस विधि में तीन मशीन कार्य में लिया जाता है तथा तीनों मशीनों में 3 हानियां होती है इसलिए इस मशीन की दक्षता बहुत कम होती है इसलिए सामान्यतः इस विधि का प्रयोग नहीं करते हैं।
वार्ड लियोनार्ड विधि का उपयोग— वार्ड लियोनार्ड विधि से डीसी मोटर की गति नियंत्रण खदान में तथा ऐसे स्थान पर की जाती है जहा कटिंग व खुदाई का कार्य करना हो।
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