Difference between synchronous motor and induction motor in hindi |
1. रोटर गति (Rotar Speed)— सिंक्रोनस मोटर में रोटर गति सिंक्रोनस गति के बराबर (Nr=Ns) होती है। जबकि इंडक्शन मोटर में रोटर गति सदैव सिंक्रोनस गति से कम (Nr<Ns) होती है।
2. गति परिवर्तन (Variable Speed)— सिंक्रोनस मोटर में गति परिवर्तन अर्थात गति को कम या अधिक नहीं किया जा सकता है, जबकि इंडक्शन मोटर में गति परिवर्तन सरलता से किया जा सकता है।
3. स्लिप (Slip)— सिंक्रोनस मोटर में स्लिप नहीं होती है। परन्तु इंडक्शन मोटर में फुल लोड पर 2%–5% तक स्लिप होता है।
4. सेल्फ स्टार्ट (Self Start)— सिंक्रोनस मोटर स्वतः चालू (self start) नहीं होती है। सिंक्रोनस मोटर को किसी प्राइम मूवर के द्वारा या बाह्य बल के द्वारा चालू किया जाता है लेकिन इंडक्शन मोटर स्वतः चालू (self start) होती है। ये भी सिंक्रोनस मोटर और इंडक्शन मोटर में एक बड़ा अन्तर है।
5. सप्लाई या डीसी एक्साइटेशन (Supply or DC Excitation)— सिंक्रोनस मोटर के रोटर को एक्साइट (excite) करना पड़ता है लेकिन इंडक्शन मोटर के रोटर को एक्साइटेशन की कोई आवश्यकता नहीं होती है। सिंक्रोनस मोटर डबल एक्साइटेशन (double excitation) होती है तथा इंडक्शन मोटर सिंगल एक्साइटेशन (single excitation) होती है। सिंक्रोनस मोटर में स्टेटर और रोटर दोनों को एक्साइट (excite) करते हैं लेकिन इंडक्शन मोटर में केवल रोटर को एक्साइटेशन (excitation) की जरूरत होती है।
6. पॉवर फैक्टर (Power Factor)— सिंक्रोनस मोटर में पावर फैक्टर यूनिटी (unity), लैगिंग (lagging) और लीडिंग (leading) तीनो हो सकता है। लेकिन इंडक्शन मोटर में पावर फैक्टर सदैव लैगिंग (lagging) होता है।
7. पॉवर फैक्टर परिवर्तन या निर्भर (Power Factor Depend)— सिंक्रोनस मोटर में पावर फैक्टर रोटर की एक्साइटेशन (excitation) पर निर्भर करता है जबकि इंडक्शन मोटर में पावर फैक्टर भार पर निर्भर करता है।
8. उपयोग (Uses)— सिंक्रोनस मोटर की सहायता से यांत्रिक ऊर्जा से ले सकते हैं और पावर फैक्टर को भी सुधार सकते हैं। लेकिन इंडक्शन मोटर का उपयोग केवल यांत्रिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।
9. दोष (Fault)— सिंक्रोनस मोटर में हंटिंग दोष उत्पन्न होता है, लेकिन इंडक्शन मोटर में कोई दोष नहीं होता है हालांकि सिंक्रोनस मोटर के हंटिंग दोष को दूर किया जा सकता है। इसके लिए डैंपर वाइंडिंग (damper winding) उपयोग की जाती है।
10. संरचना (Construction)— सिंक्रोनस मोटर की संरचना जटिल होती है, लेकिन इंडक्शन मोटर की संरचना सरल होती है। ये भी सिंक्रोनस मोटर और इंडक्शन मोटर में एक बड़ा अन्तर होता है।
11. अनुरक्षण (Maintenance)— सिंक्रोनस मोटर को अधिक अनुरक्षण की आवश्यकता होती है तथा इंडक्शन मोटर को भी अधिक अनुरक्षण की आवश्यकता होती है लेकिन सिंक्रोनस मोटर और केज टाइप इंडक्शन मोटर (cage type induction motor) की तुलना करने पर केज टाइप इंडक्शन मोटर को कम अनुरक्षण की आवश्यकता होती है।
12. मूल्य (Cost)— सिंक्रोनस मोटर और इंडक्शन मोटर दोनों ही मोटर की कीमत अधिक होती है। लेकिन सिंक्रोनस मोटर की तुलना यदि केज टाइप इंडक्शन मोटर से की जाए तो केज टाइप इंडक्शन मोटर सस्ती होती है।
13. स्टार्टिंग टॉर्क (Starting Torque)— सिंक्रोनस मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क शून्य (0) अर्थात कम होता है। जबकि इंडक्शन मोटर का स्टार्टिंग टॉर्क उच्च होता है।
14. ओवरलोड (Overload)— सिंक्रोनस मोटर ओवरलोड सहन नहीं कर सकती है यह मोटर 5% से 10% तक ओवरलोड सहन कर सकती है। जबकि इंडक्शन मोटर ओवरलोड सहन कर सकती है तथा यह सिंक्रोनस मोटर से अधिक लोड सह सकती है केवल रोटर गति कम हो जाएगी जैसे-जैसे भार बढ़ेगा स्लिप बढ़ता जाएगा तथा रोटर गति कम हो जाएगी।
15. रोटर (Rotar)— सिंक्रोनस मोटर का रोटर सेलियेंट पोल (salient pole) प्रकार का होता है, जबकि इंडक्शन मोटर का रोटर केज टाइप (cage type) और वाउंड टाइप का (wound type) होता है।
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सिंक्रोनस मोटर और इंडक्शन मोटर में क्या अन्तर है?— इस आर्टिकल मे आप ने सिंक्रोनस मोटर और इंडक्शन मोटर में अन्तर के बारे में जानकारी प्राप्त किया यदि इस आर्टिकल से सम्बन्धित कोई सुझाव या शिकायत है तो आप हमे कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके बता सकते है या आप अपना सुझाव हमे @electrictopic फेसबुक पेज पर भी दे सकते है। यदि आप को ये आर्टिकल पसन्द आया हो तो आप इसे जरूर शेयर करे आप का शेयर करना हमे इस तरह के और आर्टिकल लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
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