अपशिष्ट क्या है (waste kya hota hai)— अवांछित या अनुपयोगी पदार्थ को अपशिष्ट कहते हैं, अपशिष्ट कोई भी चीज हो सकती है जिसका प्रारंभिक उपयोग कर लेने के बाद यह खराब अनुपयोगी और बेकार हो जाता है।
अपशिष्ट सजीवो द्वारा उपयोग किए जाने वाले पदार्थ उद्योगों एवं कृषि कार्य आदि के द्वारा प्राप्त होने वाले उत्पाद होते हैं। प्रायः अपशिष्ट को शहर के बाहरी क्षेत्र में फेंका जाता है। खुले में अपशिष्ट का निदान करने से उपयोगी भूमि, अनुपयोग भूमि में परिवर्तित हो जाती है या कह सकते है की उपयोगी भूमि बंजर बन जाती है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है।
"अपशिष्ट (waste) का शाब्दिक अर्थ आवंछित, अनुपयोगी, वर्ज्य, या कचरा होता है।" किसी भी पदार्थ का प्राथमिक उपयोग करने या होने के बाद जो शेष बचता है, उसे अपशिष्ट या अवांछित पदार्थ कहा जाता है। उदाहरण के लिए नगरपालिका (घरेलु कचरा), जल अपशिष्ट (सिवेज- शारीरिक मल-मूत्र), रेडियोधर्मी अपशिष्ट इत्यादि। वैसे तो कोई भी वस्तु बेकार नहीं होती है उसे सही जगह पर उपयोग करने या सही प्रक्रिया से गुजारने पर वह भी किसी न किसी उपयोग में आ जाती है। अर्थात जो चीज एक जगह कचरा या वर्ज्य है वही वस्तु दूसरी जगह उपयोगी हो सकती है।
अपशिष्ट को निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
1. ग्रामीण अपशिष्ट (rural waste/रूरल वेस्ट)
2. शहरी अपशिष्ट (urban waste/अर्बन वेस्ट)
- (A) ठोस अपशिष्ट (solid waste/सॉलिड वेस्ट)
- (B) द्रव अपशिष्ट (liquid waste/लिक्विड वेस्ट)
इन सभी अपशिष्ट पदार्थ के बारे में एक-एक करके विस्तृत जानकारी नीचे दिया गया है–
1. ग्रामीण अपशिष्ट (rural waste in hindi)— कृषि और पशुपालन कार्य से प्राप्त अपशिष्ट ग्रामीण अपशिष्ट कहलाता है। उनका पुनः उपयोग कृषि से प्राप्त अपशिष्ट को जलाकर या खाद बनाकर किया जा सकता है। मानव एवं पशुओं के द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट का उपयोग बायोगैस ईंधन के उत्पादन संयंत्र में किया जाता है। पशुओं के गोबर का उपयोग प्रायः खाद के रूप में किया जाता है।
2. शहरी अपशिष्ट (urban waste in hindi)— शहरी अपशिष्ट घरेलू वस्तुओ या नगर सीमा में औद्योगिक संस्थानों से प्राप्त अपशिष्ट होता है। शहरी अपशिष्ट को दो भागों में विभाजित किया जाता है–
(A) ठोस अपशिष्ट (solid waste in hindi)— ठोस अपशिष्ट में ठोस पदार्थ जैसे कि समाचार पत्र, टूटा हुआ कांच, डिब्बा और बोतल, प्लास्टिक की चीजें एवं पॉलीथिन जैसे पदार्थ आते है।
(B) द्रव अपशिष्ट (liquid waste in hindi)— जल पर आधारित अपशिष्ट है जो मुख्य अवशिष्ट संक्रियण स्रोत से प्राप्त होता है।
अपशिष्ट के स्रोत (sources of waste in hindi)— अपशिष्ट पदार्थ के निम्न स्रोत होते है–
1. औद्योगिक अपशिष्ट (industrial waste in hindi/इंडस्ट्रियल वेस्ट)— औद्योगिक अपशिष्ट में ठोस और द्रव प्रकार के अपशिष्ट होते है तथा इसमें हानिकारक रसायनिक और धात्विक अपशिष्ट होते है।
2. घरेलू अपशिष्ट (domestic waste in hindi/डोमेस्टिक वेस्ट)— घरेलू अपशिष्ट में सभी प्रकार का कचरा, धूल और मल आदि अपशिष्ट आता हैं। इसमें कुछ जलने और कुछ न जलने वाले पदार्थ भी होते है जब इस अपशिष्ट का खुले में निदान किया जाता है तो इसका बहुत हानिकारक प्रभाव होता है।
3. कृषि अपशिष्ट (agricultural waste/एग्रीकल्चरल वेस्ट)— कृषि अपशिष्ट में घरेलू पशुओं द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट आता है। इस अपशिष्ट का खुले में निदान करने से मनुष्य और पशुओं में स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएं होती है।
4. पावर प्लांट अपशिष्ट (power plant waste in hindi/पॉवर प्लांट वेस्ट)— पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश भी अपशिष्ट के अंतर्गत आता है। यह मानव जीवन के लिए बहुत ही हानिकारक होता है तथा यह आस–पास की भूमि को भी बंजर बना देता है।
5. चिकित्सालय अपशिष्ट (hospital waste in hindi/हॉस्पिटल वेस्ट)— चिकित्सालय अपशिष्ट सबसे ज्यादा हानिकारक होता है जिसमे सूक्ष्म जीव होते है जो संक्रामक और असंक्रामक रोगों का कारण बनते है इसलिए इनका निदान करना बहुत जरूरी होता है।
अपशिष्ट निदान या प्रबंधन की विधियां (methods of disposal of waste in hindi)— अपशिष्ट प्रबंधन की विधियां निम्न है–
निदान प्रक्रिया (disposal process in hindi)— यह अपशिष्ट प्रबंधन का अंतिम चरण है इस निदान बिंदु या स्थल पर पदार्थों को निम्न क्रियाओं के लिए चुना जाता है–
- पुनर्चक्रण
- खाद बनाना
- जमीन के गर्त को भरना
- दहन
- अपशिष्ट मिश्रण
- पुनः उपयोगी बनाना
- पशुओ के भोजन के रूप में
- जलाने योग्य लकड़ी
1. पुनर्चक्रण (recycling)— पुनर्चक्रण अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्रचलित और सस्ती विधि है। इस विधि को किसी भी व्यक्ति के द्वारा बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। इस विधि से ऊर्जा की बचत होती है और प्रदूषण भी उत्पन्न नहीं होता है।
2. खाद बनाना (composing)— यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो हानिकारक उत्पादों से पूर्णतः मुक्त होता है इस प्रक्रिया में पदार्थ उसके कार्बनिक अवयवों में विभक्त होकर खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
3. जमीन के गर्त को भरना (landfill)— जिस अपशिष्ट का पुनः उपयोग या पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है उन्हें शहर के निचले क्षेत्र में पतली पर्त के रूप में बिछाया जाता है अपशिष्ट के प्रत्येक पर्त के ऊपर मिट्टी की एक पर्त बिछाई जाती है एक बार जब यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो इस क्षेत्र को गृह निर्माण के अनुपयोगी घोषित कर दिया जाता है और इसे क्षेत्र को पार्क या खेल के मैदान के रूप में प्रयोग किया जाता है।
4. दहन (incineration)— यह कूड़ा कचरा को जलाने की प्रक्रिया है जिससे यह अदहनशील राख, धुआं और ऊष्मा के रूप में परिवर्तित हो जाता है यह ऊष्मा आदि को पर्यावरण में मुक्ता करता है तथा अपशिष्ट का आयतन 90% कम कर देता है कभी-कभी इसका उपयोग विद्युत पावर उत्पन्न करने में भी किया जाता है।
5. अपशिष्ट मिश्रण (waste composion)— इस विधि में अपशिष्ट पदार्थ जैसे डिब्बा, प्लास्टिक की बोतल आदि को गला कर पुनः उपयोगी बनाया जाता है इस प्रक्रिया में स्थान की अधिक आवश्यकता होती है अतः इसे बनाना, परिवहन और रख रखाव में समस्या आती है।
6. पुनः उपयोगी बनाना (resuse)— इस विधि के द्वारा अपशिष्ट पदार्थ की मात्रा को सही तरीके से अपनाकर कम किया जा सकता है। जैसे– यदि कोई वस्तु पुनः उपयोग के लायक है तो उस पदार्थ को फेंकने से पहले उसे साफ करके उसे दोबारा उपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए, आइसक्रीम और मक्खन की छोटे प्लास्टिक के टब का उपयोग नट, वोल्ट, इलेक्ट्रिशियन और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान को रखने के लिए किया जा सकता है।
7. पशुओ के भोजन के रूप में (animal feed)— सब्जियों का छिल्का और जूठा भोजन का उपयोग जानवरों के भोजन के लिए किया जा सकता है। जैसे– मांस के टुकड़े और हड्डियों का उपयोग कुत्तों को खिलाने के लिए किया जा सकता हैं।
8. ज्वलनशील लकड़ी (fire wood)— लकड़ी के बहुत कम भाग का निदान पुनः उपयोग के लिए उपयोग किया जाता है। लकड़ी के फर्नीचर आदि बनाया जाता है फर्नीचर बनाने से पहले लकड़ी को कई टुकड़ों में काटा जाता है इस प्रक्रिया के दौरान छोटे टुकड़े का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
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