Transformer working principle |
परिणामित्र या ट्रांसफॉर्मर का कार्य सिद्धान्त (working principle of transformer in hindi)— ट्रांसफार्मर इंडक्शन (induction) पर आधारित एक स्टैटिक (static) मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में स्थानांतरित करती है। स्टैटिक का अर्थ होता है की इसमें कोई घूमने वाला भाग नही होता है। ट्रांसफार्मर फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन/electromagnetic induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है। ट्रांसफार्मर के कार्य करने का सिद्धांत पारस्परिक प्रेरण (म्यूच्यूअल इंडक्शन/mutual induction) सह प्रेरण/अन्योन्य प्रेरण है। इसमें कोई घूमने वाला भाग नहीं होता है अतः इसमें घूर्णन हानिया नहीं होती है। सामान्यता इसमें दो क्वायल (चालक) स्थिर होती है तथा उनमें प्रेरण द्वारा ईएमएफ (emf) उत्पन्न होता है प्रेरित ईएमएफ स्थैतिक प्रेरित ईएमएफ कहा जाता है। इसकी दक्षता अन्य मशीनों की तुलना में उच्च होती है (92%—98%) तक दक्षता उच्च होने का कारण यह है कि इसमें केवल दो हानियां आयरन हानि (iron losses) और कापर हानिया (copper losses) होती है। इसमें अन्य मशीनों की तरह मेकेनिकल या घूर्णन हानि नहीं होती है।
किसी ट्रांसफार्मर के घटक— किसी ट्रांसफार्मर में निम्न घटक होते हैं–
(1) वोल्टेज (voltage)
(2) विद्युत धारा (current)
(3) पावर (power)
(4) आवृत्ति (frequency)
(5) फ्लक्स (flux)
(6) प्रतिरोध (resistance)
(7) पावर फैक्टर (power factor)
(8) वोल्ट प्रति टर्न या टर्न प्रति वोल्ट (volt per turn or turn per volt)
(9) एमएमएफ (mmf)
1. वोल्टेज (voltage)— ट्रांसफॉर्मर का उपयोग वोल्टेज के मान को बदलने के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर द्वारा वोल्टेज का स्टेप अप, स्टेप डाउन या समान मान पर परिवर्तन किया जाता है अर्थात ट्रांसफॉर्मर इनपुट का इनपुट से कम, इनपुट से अधिक अथवा इनपुट के समान मान पर वोल्टेज का परिवर्तन कर सकता है। समान्यत: ट्रांसफार्मर का उपयोग वोल्टेज को स्टेप अप (step up) या स्टेप डाउन (step down) करने के लिए करते है।
2. विद्युत धारा (current)— जब ट्रांसफार्मर वोल्टेज को परिवर्तित करता है तो उसकी विद्युत धारा अथवा करंट स्वत: (ऑटोमेटिक/automatic) परिवर्तित हो जाती है अर्थात ट्रांसफार्मर वोल्टेज को तो परिवर्तित करता है जबकि धारा ऑटोमेटिक परिवर्तित हो जाती है (यदि ट्रांसफार्मर में प्राइमरी की अपेक्षा सेकेंडरी में वोल्टेज अधिक है तो प्राइमरी की अपेक्षा सेकेंडरी में धारा कम होगी)
3. शक्ति (power)— ट्रांसफार्मर के प्राइमरी व सेकेंडरी में शक्ति (V-A) एक समान होती है। ट्रांसफार्मर में एसी (ac) में कभी भी वास्तविक शक्ति को नहीं लेंगे क्योंकि वास्तविक शक्ति पावर फैक्टर पर निर्भर करती है और पावर फैक्टर उपभोक्ता के भार पर निर्भर करता है पावर ट्रांसफार्मर की एसी (ac) सर्किट में आभासी शक्ति लेते हैं आभासी शक्ति की रेटिंग वोल्ट-एम्पीयर (VA) में होती है जहां बड़ी इकाई हो तो KVA और इससे भी बड़ी इकाई हो तो MVA में होती है। V1×I1=V2×I2
4. आवृत्ति (frequency)— ट्रांसफार्मर के प्राइमरी व सेकेंडरी में आवृत्ति (फ्रिक्वेंसी) एक समान होती है।
5. फ्लक्स (flux)— ट्रांसफार्मर के प्राइमरी व सेकेंडरी का एक उभयनिष्ठ (common) फ्लक्स होता है, और इस फ्लक्स को प्रत्यावर्ती चुम्बकीय फ्लक्स (अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फ्लक्स/alternating magnatic flux) कहा जाता है।
6. प्रतिरोध (resistance)— ट्रांसफार्मर के प्राइमरी व सेकेंडरी के बीच अनंत प्रतिरोध होता है। ट्रांसफार्मर की प्राइमरी और सेकेंडरी आपस में विद्युत चुंबकीय (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक/rlectromagnetic) रूप से जुड़ी रहती है उनके बीच कोई विद्युतीय संबंध, यांत्रिक संबंध नहीं होता अर्थात प्राइमरी से सेकेंडरी में करंट का डायरेक्ट फ्लो (direct flow) नहीं होगा प्राइमरी में जो धारा चल रही है जरूरी नहीं कि सेकेंडरी में भी जाए परंतु सेकेंडरी से प्राइमरी में प्रभाव जरूर आएगा।
7. पावर फैक्टर (power factor)— ट्रांसफार्मर में पावर फेक्टर दो बातों पर निर्भर करता है—
(।) नो लोड पर (no load)
(।।) लोड पर (load)
नो लोड पर— नो लोड पर ट्रांसफार्मर चुंबकीय (मैग्नेटिक/magnetic) प्रकार का होता है और उसका पावर फेक्टर 0.1–0.2 लेगिंग (lagging) होता है।
लोड पर— लोड पर ट्रांसफार्मर का पावर फैक्टर लोड की प्रकृति पर निर्भर करता है।
8. वोल्ट प्रति टर्न या टर्न प्रति वोल्ट— ट्रांसफार्मर में प्राइमरी व सेकेंडरी का वोल्ट प्रति टर्न या टर्न प्रति वोल्ट सदैव एक समान होता है। V1/N1=V2/N2
9. एमएमएफ (mmf)— ट्रांसफार्मर के प्राइमरी व सेकेंडरी का mmf भी एक समान होता है। N1×I1=N2×I2
1. सामान्यत: एक ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग, प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग होती है।
2. प्राइमरी वाइंडिंग लो वोल्टेज या उच्च वोल्टेज की हो सकती है। ट्रांसफॉर्मर के जिस वाइंडिंग को इनपुट दिया जाता है उसे प्राइमरी वाइंडिंग कहा जाता है।
3. सेकेंडरी वाइंडिंग लो वोल्टेज या उच्च वोल्टेज की हो सकती है। ट्रांसफार्मर के जिस वाइंडिंग से आउटपुट लिया जाता है या जिससे लोड संयोजित होता है उसे सेकेंडरी वाइंडिंग कहा जाता है।
4. प्राइमरी और सेकेंडरी सदैव किसी लौह कोर (आयरन कोर/iron core) पर होती है।
5. समान्यत: ट्रांसफॉर्मर (हाई पावर/high power) के होते हैं और हाई पावर ट्रांसफॉर्मर की कोर सिलिकॉन स्टील की बनी होती है।
ट्रांसफार्मर के लाभ (advantage of transformer in hindi)— एक ट्रांसफॉर्मर के निम्नलिखित अन्य मशीनों की तुलना में निम्न लाभ होते है–
1. ट्रांसफॉर्मर में कोई घूमने वाला भाग नहीं होता है अतः इसकी विशेष देखभाल/अनुरक्षण की आवश्यकता नही होती है।
2. ट्रांसफॉर्मर एक स्थैतिक प्रकार का उपकरण है जिससे की इसकी दक्षता 92%—98% तक होती है। जबकि अन्य वैद्युतिक मशीनों की दक्षता इससे काफी कम होती है।
3. ट्रांसफॉर्मर अति उच्च वोल्टता पर सामान्य रूप से कार्य कर सकता है जबकि अन्य वैद्युतिक मशीन अति उच्च वोल्टेज (400kV) पर संतोषजनक रूप में कार्य नही कर पाती है।
4. ट्रांसफॉर्मर द्वारा वोल्टता घटाने का कार्य अत्यंत अल्प वैद्युत शक्ति खपत पर सरलता से संपन्न किया जा सकता है जबकि डीसी पर वोल्टता घटाने लिए प्रतिरोधक प्रयोग किए जाते है जो पर्याप्त मात्रा में विद्युत शक्ति की खपत करते है।
5. ट्रांसफॉर्मर के उपयोग से विद्युत शक्ति के पारेषण और वितरण (transmission and distribution) की कुल लागत डीसी प्रणाली की विद्युत शक्ति के पारेषण एवम् वितरण की लागत की अपेक्षा काफी कम होती है।
6. विद्युत शक्ति के पारेषण में होने वाले वोल्टता ह्रास (voltage drop) को ट्रांसफॉर्मर द्वारा आसानी से पूरा किया जा सकता है जबकि डीसी प्रणाली में इस कार्य के लिए वर्धक (बूस्टर/booster) मोटर जनित्र सेट प्रयोग करना पड़ता है जोकि महगा पड़ता है।
7. अन्य मशीनों को तुलना में इसमें मैकेनिकल या घूर्णन हानिया नही होती है अतः ट्रांसफॉर्मर की दक्षता उच्च (92%—98%) तक होती है ऐसा माना जाता है की एक आदर्श ट्रांसफॉर्मर (ideal transformer) की दक्षता 100% तक होती है।
ट्रांसफार्मर का उपयोग (transformer use in hindi)— ट्रांसफार्मर का उपयोग विद्युत धारा को उच्च वोल्टता से निम्न वोल्टता या निम्न वोल्टता से उच्च वोल्टता में करने के लिए किया जाता है।
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