डीसी मोटर (DC Motor)
"वह मशीन जो डीसी विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है। डीसी मोटर कहलाती है।"
DC Motor In Hindi |
डीसी मोटर में गति, भार व टॉर्क विशेषता उच्च होने के कारण आज भी डीसी मोटर का उपयोग अधिकांश फैक्टरियों में किया जाता है। डीसी मोटर वास्तव में जनरेटर का ही परिवर्तित रूप है। एक जनरेटर में 3 चीजों का परिवर्तन करके उसे डीसी मोटर की तरह चला सकते है।
1. जनरेटर की तुलना में मोटर का आकार कम होता है। क्योंकि जनरेटर में लोड करंट के आधार पर कॉपर हानि (copper loss/ताम्र लॉस) बढ़ती है तो ज्यादा कॉपर लॉस होता है। जैसे शंट जनरेटर में आर्मेचर करंट, लोड करंट और शंट फील्ड करंट का योग होती है जबकि मोटर में लोड करंट और शंट फील्ड का अन्तर के बराबर होता है इसलिए जनरेटर में अधिक लॉस होता है अतः जनरेटर का आकार (size) बड़ा जबकि मोटर का आकार छोटा रखते है।
2. कम्यूटेटर (commutator) के काम करने के तरीके पर– मोटर में कम्यूटेटर का कार्य दिष्ट धारा को प्रत्यावर्तित धारा (DC to AC) में बदलना होता है।
3. आर्मेचर और फील्ड पोल के बीच मोटर में वायु अन्तराल (air gap/एयर गैप) कम और जनरेटर में अधिक होता है। मोटर में वायु अन्तराल कम रखने का कारण मजबूत चुम्बकीय फ्लक्स (magnetic flux/मैग्नेटिक फ्लक्स) प्रदान करना होता है। एयर गैप जितना कम होगा लीकेज फ्लक्स (lekage flux) उतना ही कम होगा। डीसी मोटर की अपेक्षा एसी मोटरो में एयर गैप और भी कम होता है जिसका उद्देश्य उच्च पावर फैक्टर (better power factor) प्रदान करना होता है।
डीसी मोटर का कार्यकारी सिद्धान्त क्या होता है? (DC Motor Working Principle In Hindi)— "डीसी मोटर विद्युत चुम्बकीय खीचाव (electromagnetic drag/इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ड्रैग) के सिद्धांत पर कार्य करता है।"
जब किसी समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक (current carring conductor/करंट कैरिंग कंडक्टर) रखा जाता है तो चालक पर एक ऐंठन बल या टॉर्क (twisted force/ट्विस्टेड फोर्स) उत्पन्न होता है जो उसे चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत घुमा देता है इस बल को लारेंज बल कहते है।
F= B.L.I.Sinθ
- जहां– B= फ्लक्स घनत्व (टेस्ला में)
- L= चालक की लम्बाई (मीटर में)
- I= चालक में प्रवाहित धारा
- Sinθ= चालक और चुम्बकीय बल रेखाओं के बीच कोण
DC Motor Working Principle |
फ्लेमिंग के बाएं हाथ का नियम क्या है? (Flaming Left Hand Rule In Hindi)— फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम के अनुसार– बाएं हाथ की प्रथम दो अगुलियों और अंगूठा को परस्पर समकोण बनाते हुए इस प्रकार फैलाए की पहली अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, बीच की अंगुली आर्मेचर धारा की दिशा को संकेत करे तो अंगूठा चालक की गति की दिशा या मोटर के घूमने की दिशा को प्रदर्शित करेगा।
डीसी मोटर का उपयोग (Use Of DC Motor In Hindi)— डीसी मोटर का उपयोग (dc motar ka use) निम्न स्थानों पर करते है।
1. डीसी मोटर का उपयोग कर्षण कार्य (खीचाव अथवा traction/ट्रेक्शन), मशीन टूल, उद्योग, लिफ्ट इत्यादि में किया जाता है।
डीसी मोटर की हानियां (Disadvantage of DC Motor In Hindi)— एक डीसी मोटर की निम्न हानियां (dc motar ki haniya) होती है।
1. डीसी मोटर की ज्यादा देखभाल व मरम्मत की आवश्यकता होती है। डीसी मोटरो में बियरिंग, कम्यूटेटर व कार्बन ब्रुश होने के कारण इनकी सर्वाधिक मरम्मत की आवश्यकता होती है। बियरिंग की समय–समय पर ग्रीसिंग व लुब्रिकेटिंग की आवश्यकता होती है।
2. डीसी मोटरो की संरचना जटिल होती है जिसके कारण इनकी कीमत अधिक होती है।
3. एसी मोटर की तुलना में डीसी मोटर का आकार (size/साइज) बहुत बड़ा होता है। क्योंकि आर्मेचर के अन्दर भी कॉपर लॉस होता है इसलिए उचित वेंटिलेशन (proper ventilation) के लिए आर्मेचर में वायु अन्तराल (air duct/एयर डक्ट) बनाए जाते है इसलिए ऊष्मा विकिरण हेतु इनका आकार बड़ा रखते है।
डीसी मोटर का लाभ (Advantage of DC Motor In Hindi)— डीसी मोटर की गति में चौड़ा परिवर्तन (अन्य मोटरो की तुलना में सबसे अधिक) होता है।
डीसी मोटर से सम्बन्धित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न और उनका उत्तर।
प्रश्न— डीसी मोटरो की घूमने की दिशा (direction of rotation) किन दो कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर— डीसी मोटरो के घूमने की दिशा (direction of rotation or D.O.R) निम्न दो कारकों पर निर्भर करती है–
1. चुम्बकीय फ्लक्स की दिशा या फील्ड फ्लक्स की दिशा (main field flux direction or field current direction)
2. आर्मेचर धारा की दिशा (armature flux or armature current direction)
प्रश्न— एक डीसी मोटर के घूमने की दिशा को कैसे बदला जा सकता है?
उत्तर— डीसी मोटर के घूमने की दिशा को निम्न प्रकार से बदला जा सकता है–
1. आर्मेचर करंट की दिशा बदलकर या तो फील्ड करंट की दिशा बदलकर
2. यदि आर्मेचर करंट की दिशा और फील्ड करंट की दिशा दोनो को एक साथ बदल दिया जाए तो डीसी मोटर के घूमने की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं आयेगा क्योंकि सप्लाई के टर्मिनल (supply terminal) बदलने से डीसी मोटर के घूमने की दिशा कभी नही बदलती है क्योंकि जैसे ही सप्लाई के टर्मिनल बदलते है आर्मेचर और फील्ड दोनो में धारा की दिशा एक साथ परिवर्तित हो जाती है।
प्रश्न— डीसी मोटर के आर्मेचर में उत्पन्न बल को किस नाम से जानते है?
उत्तर— डीसी मोटर के आर्मेचर में उत्पन्न बल को "लारेंटज बल" के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न— सामान्यतः डीसी मोटर के आर्मेचर और फील्ड फ्लक्स के बीच कोण कितना माना जाता है?
उत्तर— सामान्यतः डीसी मोटर के आर्मेचर और फील्ड फ्लक्स के बीच 90° का कोण माना जाता है।
प्रश्न— डीसी मोटर के फ्लक्स की आकृति कैसी होती है?
उत्तर— डीसी मोटर के फ्लक्स की आकृति ट्रेपोजियम (trapozium) आकार की होती है।
प्रश्न— आर्मेचर और चुम्बकीय क्षेत्र फ्लक्स की संयुक्त (combined) आकृति कैसी होती है?
उत्तर— आर्मेचर और चुम्बकीय क्षेत्र फ्लक्स की संयुक्त (combined) आकृति त्रिभुज के जैसी (trangular wave) होती है?
प्रश्न— डीसी मोटर में उत्पन्न लारेंज बल का सूत्र क्या होता है?
उत्तर— डीसी मोटर में उत्पन्न लारेंज बल का सूत्र F= B.L.I.Sinθ होता है।
डीसी मोटर की कार्यप्रणाली, डीसी मोटर का उपयोग, लाभ और हानियां तथा सिद्धांत— दोस्तो डीसी मोटर के बारे में ये आर्टिकल आप लोगो को कैसा लगा इसके बारे में हमे कमेंट करके जरूर बताएं और इसी तरह आईटीआई इलेक्ट्रिशियन आधारित थ्योरी नोट्स और बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर के लिए electrictopic.blogspot.com को जरूर फॉलो करे। आप अपना सुझाव हमे ईमेल के माध्यम से या @electrictopic फेसबुक पेज पर भेज सकते है।
DC generator ke baren me bataye sir
ReplyDeleteVery Helpful Sir 🙂
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