डीसी जनरेटर में उत्पन्न होने वाली हानियां
Losses in dc generator— किसी भी मशीन का आउटपुट, इनपुट के बराबर नहीं होता है हमेशा आउटपुट, इनपुट से कम होता है। इसका कारण होता है उसकी हानियां यही कारण है कि किसी भी मशीन की दक्षता 100% नहीं होती है। डीसी जनरेटर या डीसी मोटर में तीन तरह की हानियां होती है।
डीसी जनरेटर में उत्पन्न होने वाली हानियो के प्रकार (type of loss in dc generator in hindi)— एक डीसी जनरेटर में उत्पन्न होने वाली हानियां 3 प्रकार की होती है जिनके बारे में नीचे विस्तार पूर्वक बताया गया है।
1. ताम्र हानि या कॉपर हानि (copper loss in dc generator)— ताम्र हानि वाइंडिंग का प्रतिरोध तथा उसमें प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न होता है। यह ऊष्मा के रूप में उत्पन्न होता है इसलिए इसे 'उष्मीय हानि' भी कहते हैं। ताम्र हानि जितना ज्यादा होगी मशीन उतना ही ज्यादा गर्म होगी। ताम्र हानि उत्पन्न होने के दो कारण होते है जिस कॉपर तार से वाइंडिंग बनाया जाता है उस वाइंडिंग का प्रतिरोध और उसमे से धारा प्रवाह के कारण उत्पन्न होता है।
ट्रांसफार्मर और इंडक्शन मोटर में कॉपर लॉस ज्ञात करने का सूत्र–
P= I².R
डीसी मशीन में कॉपर की वाइंडिंग 2 जगह होती है एक आर्मेचर वाइंडिंग और फील्ड वाइंडिंग तथा फील्ड वाइंडिंग क्रमशः दो प्रकार की होती है सीरीज फील्ड और शंट फील्ड इस प्रकार एक डीसी मशीन में ताम्र हानि 3 प्रकार की होती है–
- आर्मेचर कॉपर हानि
- सीरीज फील्ड कॉपर हानि
- शंट फील्ड कॉपर हानि
1. आर्मेचर कॉपर हानि— आर्मेचर धारा लोड करंट के समानुपाती होती है और लोड करंट भार के अनुसार बदलता रहता है। अतः आर्मेचर कॉपर लॉस परिवर्तित हानि की श्रेणी में आता है। 35% लॉस आर्मेचर कॉपर लॉस होता है जो सर्वाधिक कॉपर लॉस है। चाहे कोई भी जनरेटर हो आर्मेचर धारा कभी स्थिर नहीं होती है आर्मेचर धारा लोड के आधार पर बदलती है जैसे ही भार बदलता है लोड धारा बदल जाती है।
- सीरीज जनरेटर मे आर्मेचर करंट– IA= IL
- शंट जनरेटर, लॉन्ग शंट जनरेटर और शॉर्ट शंट जनरेटर में आर्मेचर करंट– IA= Ish + IL
- आर्मेचर करंट लोड से संबंध रखता है तथा लोड कभी स्थिर नहीं होता है। परिवर्तनशील होने के कारण आर्मेचर कॉपर लॉस को परिवर्तित हानि माना जाता है।
2. सीरीज फील्ड कॉपर हानि— सीरीज करंट लोड करंट के अनुसार होती है। अतः सीरीज फील्ड करंट अस्थिर रहेगा जिससे सीरीज फील्ड कॉपर लॉस का मान भी परिवर्तित हानियो की श्रेणी में आता है। सीरीज में भी धारा हमेशा लोड के आधार पर बदलती है इसलिए सीरीज फील्ड कॉपर लॉस को भी परिवर्तित हानि माना गया है।
3. शंट फील्ड कॉपर हानि— किसी भी प्रकार का जनरेटर हो (शंट जनरेटर, लॉन्ग शंट जनरेटर या शॉर्ट शंट जनरेटर) शंट फील्ड करंट हमेशा स्थिर होती है। शंट फील्ड की धारा नियत मान की होती है अतः शंट फील्ड कॉपर लॉस स्थिर हानि होती है और यह लगभग 20%–35% तक होती है।
2. लौह हानियां (Iron Loss)— लौह हानियों को कोर हानियां (core losses) भी कहा जाता है क्योंकि ये हानियां कोर में उत्पन्न होती है तथा दो जगह पाई जाती है। आर्मेचर में और फील्ड में। अतः यह लॉस आर्मेचर और फील्ड कोर दोनो में होती है लौह हानियां दो प्रकार से होता है।
- हिस्टेरिसिस हानि
- एडी करंट हानि या फोकोल्ट करंट हानि
1. हिस्टेरिसिस हानि (Hysteresis Loss)— जब किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ (ferromagnetic material) को बार-बार मैग्नेटाइज (magnatise) और डिमैग्नेटाइज (demagnetise) करते हैं तो इस दौरान एक हानि उत्पन्न होती है जिसे हिस्ट्रेसिस लॉस (hysteresis loss) कहते हैं। यह ऊष्मा के रूप में होती है तथा हिस्ट्रेसिस लॉस BH कर्व लूप पर निर्भर करता है जितना बड़ा लूप होगा उतना ज्यादा कोरसिव बल (coercive force) लगेगा इसलिए उतना ज्यादा हिस्ट्रेसिस लॉस भी होगा।
हिस्ट्रेसिस हानि सदैव कोर की धातु पर निर्भर करती है इसलिए सिलिकॉन स्टील का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसका BH कर्व एक सीधी रेखा पर बनता है।
Wh = ηBm¹•⁶. f.v
जहां–
- η= हिस्ट्रेसिस नियतांक
- f= आवृत्ति
- Bm= कोर में फ्लक्स घनत्व
- V= कोर का आयतन
एडी करंट हानि या फोकोल्ट करंट हानि (Eddy Current Loss or Focolt Current)— एयर गैप में चुंबकीय बल रेखाएं N से S की ओर कोर में जा रही थी तथा S से N की ओर बॉडी के माध्यम से अपना चुम्बकीय मार्ग पूरा कर रही थी जिससे बॉडी में ही करंट उत्पन्न हो जाता है जो बॉडी में I²R के रूप में ऊर्जा हानि करवाता है।
इसलिए कोर की पतली–पतली पत्तियों को लेमिनेट करके एडी करंट हानि को कम करते है यानी जितनी कोर ठोस होगी उतनी ही एडी करंट अधिक होगी जितनी कोर पतली होगी उतनी ही एडी करंट लॉस कम होगी।
सभी कारकों को स्थिर मान ले तो आवृत्ति बढ़ने पर सर्वाधिक एडी करंट लॉस होता है। अतः आयरन लॉस स्थिर हानि के अंतर्गत आता है लेकिन फिर भी आयरन लॉस कुछ बातो पर निर्भर है या कह सकते है की प्रभावित होता है।
आयरन लॉस œ आवृत्ति/वोल्टेज
यानी वोल्टेज जितना ज्यादा होगा चुम्बकीय फ्लक्स उतना ही अधिक और मजबूत बनेगा तो लीकेज फ्लक्स की मात्रा कम बनेगी जिससे आयरन लॉस कम हो जायेगा।
We = Bm².f².t²
यांत्रिक हानि (Mechanical Loss)— यांत्रिक हानि आर्मेचर के गति के वर्ग के समानुपाती होता है। यांत्रिक हानि को नो लोड (no load) से फुल लोड (full load) तक नियत माना जाता है। यह दो प्रकार की होती है।
- वायु हानियां
- घर्षण हानियां
1. वायु हानियां (Windage Loss)— वायु हानियां फील्ड पोल और आर्मेचर के बीच एयर गैप में लीकेज फ्लक्स के कारण होता है।
2. घर्षण हानियां (Frictional or Rotational Loss)— घर्षण हानियां ब्रश और कम्यूटेटर व बियरिंग के बीच होता है।
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