जैसे– प्रेरक, प्रतिरोध, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर, इत्यादि।
इलेक्ट्रॉनिक घटकों को उनके कार्य के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जाता है।
1. सक्रिय घटक (Active components)
2. निष्क्रिय घटक (Passive components)
1. सक्रिय घटक— सक्रिय घटक उन्हे कहा जाता हैं जो परिपथ में सिग्नल का वोल्टेज (Voltage) अथवा शक्ति प्रवर्धन (Power amplification) कर सकते हैं तथा सिग्नल की प्रोसेसिंग (Processing) कर सकते हैं।
जैसे– डायोड, ट्रांजिस्टर, एलईडी (LED), BJT, UJT, FET, अन्य अर्धचालक युक्तियां सक्रिय घटक होती है।
निष्क्रिय घटक— ऐसे घटक जो स्वयं विद्युत का प्रवर्धन (Amplification) नहीं कर सकते, निष्क्रिय घटक कहलाते हैं। किन्तु निष्क्रिय घटक महत्वपूर्ण इसलिए होते हैं क्योंकि सक्रिय घटक इनकी सहायता के बिना सिग्नल का प्रवर्धन (Amplification) नहीं कर सकते हैं।
जैसे– प्रतिरोध, प्रेरक, संधारित्र, पेपर संधारित्र, प्रीसैट, पोटेंशियोमीटर, रेडियो आवृत्ति चोक, परिणामित्र
इलेक्ट्रॉनिक युक्तियां (Electronic Devices)— इलेक्ट्रॉनिक घटकों का प्रयोग करके ही विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक युक्तियां बनाई जाती है। नीचे कुछ इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के उदाहरण दिए गए है।
1. दिष्टकारी (Rectifier)— रेक्टिफायर एक ऐसी युक्ति होती है जो ए.सी. (अल्टरनेटिंग करेंट/Alternating Current) को डी.सी. (डायरेक्ट करेंट/Direct Current) में परिवर्तित करती है, इसलिए रेक्टिफायर का प्रयोग ए.सी. को डी.सी. में बदलने के लिए प्रयोग किया जाता है।
2. प्रवर्धक (Amplifier)— किसी सिग्नल का स्तर (Level) अर्थात वोल्टेज या शक्ति स्तर बढ़ाने वाली युक्ति को प्रवर्धक कहते हैं।
3. माड्यूलेटर तथा डेमाड्यूलेटर (Modulator & Demodulator)— संचार प्रणाली में यदि सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है तो सिग्नल को भेजने से पहले उसे माड्यूलेटर द्वारा माड्यूलेट तथा सिग्नल को रिसीव करने के पश्चात उसका डिमाडुलेशन किया जाता है।
4. दोलित्र (Oscillator/ऑसिलेटर)— दोलित्र के द्वारा वांछित आवृत्ति (Desired Frequencies) की विद्युत तरंग उत्पन्न की जाती है।
इंटीग्रेटिड परिपथ क्या होता है? (Integrated Circuit or IC)— एक इंटीग्रेटेड सर्किट (I.C) वह सम्पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक परिपथ है जिसमें सक्रिय और निष्क्रिय घटकों को एक बहुत पतली सिलिकॉन परत (Silicon Wafer) पर बनाया जाता है। याद रखे की I.C में प्रेरक को नही बनाया जा सकता है।
इंटीग्रेटिड परिपथ का लाभ— इंटीग्रेटिड परिपथ का निम्न लाभ होता है–
1. इंटीग्रेटिड परिपथ का अत्यधिक सूक्ष्म आकार होता है।
2. इंटीग्रेटिड परिपथ का भार बहुत कम होता है।
3. इंटीग्रेटिड परिपथ की कीमत कम होती है अर्थात यह सस्ता होता है।
4. इंटीग्रेटिड परिपथ विश्वसनीयता उच्च होती है।
5. इंटीग्रेटिड परिपथ कम पावर व्यय करता है तथा अच्छी प्रकार से कार्य करता है।
6. एक छोटी सी चिप पर हजारों घटक बनाए जा सकते हैं आई.सी. के छोटे होने के कारण ही वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बहुत छोटे आकार के हो गए हैं। जैसे– रेडियो, मोबाइल फोन, पर्सनल कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर, प्रिंटर, कंट्रोल मशीन, सिलाई मशीन, म्यूजिकल उपकरण, एफएम रेडियो, वीडियो गेम इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक ताले इत्यादि।
आई सी के अभिकल्पन तथा निर्माण को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (Microelectronics) कहा जाता है।
याद रखे की अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है की आई.सी. (I.C) में प्रयुक्त चिप किसकी बनी होती है?
इस प्रश्न का उत्तर याद कर ले की आई.सी. में प्रयुक्त चिप सिलिकॉन की बनी होती है।
इलेक्ट्रिक टॉपिक– दोस्तो इलेक्ट्रिक टॉपिक का ये लेख आप लोगो को कैसा लगा इसके बारे में हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं और इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिशियन के नोट्स और पेपर के लिए हमारे ब्लॉग electrictopic.blogspot.com को जरूर फॉलो करे।
Nice post
ReplyDeletevery informative article thanks
ReplyDelete