(1) ओवरहेड लाइन (Overhead Line)
(2) अंडरग्राउंड केबल (Under Ground Cable)
इस लेख में हम लोग अंडरग्राउंड केबल के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
Underground Cable in hindi |
केबल— "अलग-अलग तार जिनमे सब पर अपना अलग-अलग इंसुलेशन (Insulation) हो तथा इन सब का एक संयुक्त इंसुलेशन लगा दिया जाता है उसे केबल कहते है।"
एक अंडरग्राउंड केबल की मुख्य विशेषता यह होती है की यह प्रेशर को सहन कर सकती है इसलिए इसे आसानी से भूमि में बिछा सकते है।
एक अंडरग्राउंड केबल के अन्दर जितनी तार होती है, उतना ही उसमे कोर (Core) कहलाता है। केबल सिंगल कोर (Single core), थ्री कोर (Three core) या मल्टीकोर (Multi core) हो सकती है।
सामान्यतः केबल में दो या उससे अधिक चालक (Conductor) रखे जाते है, प्रत्येक चालक के लिए अलग इंसुलेशन होता है।
अंडरग्राउंड केबल के लाभ (Advantage of UG Cable)— 1. अंडरग्राउंड केबल का अनुरक्षण लागत (Maintenance cost) ओवरहेड लाइन की तुलना में कम होता है।
2. अंडरग्राउंड केबल तड़ित और आंधी/तूफान से सुरक्षित रहता है।
3. अंडरग्राउंड केबल में दोष की संभावना कम होती है तथा मानव निर्मित हानियां नही होती है।
4. अंडरग्राउंड केबल में लाइन लॉस (Line loss) कम होता है अतः वोल्टेज नियंत्रण (Voltage control) आसानी से होता है। क्योंकि उनमें कम इंडक्टिव हानि होती है।
5. ओवरहेड लाइन की तुलना में स्थान का देखने में अधिक अच्छा लगता है।
अंडरग्राउंड केबल की हानियां (Disadvantage of UG Cable)— 1. अंडरग्राउंड केबल का प्रारम्भिक लागत बहुत अधिक होता है।
2. अंडरग्राउंड केबल में दोष (Fault) को ढूंढना आसान नहीं होता है तथा दोष मिल जाने पर दोष को सुधारना भी मुश्किल होता है।
3. अंडरग्राउंड केबल में जोड़ (Joints) लगाने की कीमत अधिक होती है।
5. ओवरहेड लाइन की तुलना में अंडरग्राउंड केबल में अधिक इंसुलेशन की आवश्यकता होती है।
अंडरग्राउंड केबल का कब उपयोग किया जाता है— 1. अंडरग्राउंड केबल का उपयोग उस स्थान पर ज्यादा करना चाहिए जहा घनी आबादी क्षेत्र या संकरा क्षेत्र होता है।
2. अंडरग्राउंड केबल का उपयोग जेनरेशन स्टेशन (Generating Station) में किया जाता है।
3. अंडरग्राउंड केबल का उपयोग सब-स्टेशन (Sub Station) में किया जाता है।
4. जहां रखरखाव की स्थितियां ओवरहेड कंस्ट्रक्शन (OH Construction) की अनुमति नहीं देती है।
अंडरग्राउंड केबल की सामान्य संरचना (General construction of UG cable)— अंडरग्राउंड केबल में अनिवार्य रूप में एक या एक से अधिक चालक (Conductor) होते है जो उपयुक्त इंसुलेशन से ढके होते है और सुरक्षा कवचो से घिरे होते है।
केबल के लिए आवश्यक शर्ते (Necessity requirements of cables)— 1. अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त चालक उच्च चालकता (High conductance) तथा उच्च फ्लिसिबिलिटी (High flexibility) का होना चाहिए।
2. सामान्यतः अंडरग्राउंड केबल में टिन्ड तांबा (Tinned Copper) या एल्यूमिनियम (Alluminium) चालक का प्रयोग किया जाता है।
3. अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त इंसुलेशन उचित मोटाई का होना चाहिए इंसुलेशन की मोटाई ऑपरेटिंग वोल्टेज (Operating voltage) के आधार पर चयन की जाती है।
4. अंडरग्राउंड केबल में उच्च यांत्रिक सामर्थ्य (High mechanical strength) होना चाहिए तथा केबल में प्रयुक्त पदार्थ रसायनिक क्रिया से मुक्त होना चाहिए क्योंकि मिट्टी में अनेक पदार्थ मौजूद होते है जो केबल के साथ रसायनिक क्रिया कर सकते है।
अंडरग्राउंड केबल की संरचना या भाग (Construction of UG cables or part)— एक अंडरग्राउंड केबल में निम्न भाग होते है–
1. कोर या चालक (Core or Conductor)— केबल का वह भाग जो धारा चालन करता है कोर या चालक कहलाता है।
A. कोर या चालक टिन्न्ड तांबे (Tinned copper) या एल्यूमिनियम (Alluminium) का बना होता है।
B. केबल में एक या एक से अधिक चालक हो सकते है यह इस बात पर निर्भर करता है की केबल किस सर्विस (Services) के लिए उपयोग किया जा रहा है जैसे– 3 कोर = फेज सर्विस या 5,7,12 कोर = कंट्रोल केबल
2. इंसुलेशन (Insulation)— इंसुलेशन कोर पर प्रयुक्त अचालक परत होती है।
प्रत्येक कोर अथवा कंडक्टर में इंसुलेशन की उपयुक्त मोटाई होती है तहो की मोटाई वोल्टेज की धारकता पर निर्भर रहती है। इंसुलेशन के लिए इम्प्रेगनेट पेपर, वार्निश केमब्रिक की तहो पर पेट्रोलियम जैली लगाई जाती है।
3. धातु क्वच (Metallic sheath)— धातु क्वच कोर को नमी से सुरक्षा देता है।
केबल को भूमि तथा वातावरण में आद्रता, गैस और अन्य हानिकारक द्रव जैसे लेड अथवा आल्कायाइक से बचाने के लिए लेड अथवा एल्यूमिनियम से बना धातु क्वच इंसुलेशन पर लगाया जाता है।
धातु क्वच प्रायः लेड अथवा लेड मिश्रण से बना होता है।
4. कागज का पट्टा (Paper Belt)— समूहगत इंसुलेटेड कोर पर इम्प्रेगनेट कागज की तहो को लपेटा जाता है कोर के बीच के खाली स्थान को फिबुअस इंसुलेटिंग पदार्थ (तार आदि) से भरा जाता है।
5. बेडिंग (Bedding)— बेडिंग धातु क्वच के ऊपर लगाया जाता है। जिसमे जूट अथवा हेसियन टेप जैसे फिब्रुअस पदार्थ (Materials) होते है। बेडिंग लगाने का उद्देश्य धातु क्वच को जंग से बचाना और आर्मरिंग से होने वाली मैकेनिज्म क्षति से बचाना होता है।
6. आर्मरिंग (Armouring)— बेडिंग के ऊपर आर्मरिंग लगाया जाता है। आर्मरिंग का कार्य केबल को यांत्रिक चोट से सुरक्षा प्रदान करना होता है आर्मरिंग सामान्यतः गैलवनाइज्ड स्टील या गैलवनाइज्ड आयरन की होती है। आर्मरिंग सिंगल या डबल हो सकती है कुछ केबलो में आर्मरिंग नही होती है। याद रखे फ्लैक्सिबल केबल में आर्मरिंग नही की जाती है।
7. सर्विंग (Serving)— सर्विंग केबल का सबसे अंतिम आवरण होता है।
यह केबल को वायुमंडलीय स्थितिया (धूल, कचरा) से बचाव के लिए होता है। यह सामान्यतः जूट का बना होता है।
याद रखे– बेडिंग, आर्मरिंग और सर्विंग केबल पर कंडक्टर इंसुलेशन को बचाने के लिए ही लगाया जाता है और धातु क्वच को मैकेनिक क्षति से बचाने के लिए लगाया जाता है।
अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त इंसुलेशन के गुण (Insulation property of UG cable)— केबलो का संतोषजनक प्रचालन अधिकतर प्रयुक्त इंसुलेशन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। इसलिए इंसुलेशन के लिए उचित पदार्थो का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
UG केबल में प्रयुक्त इंसुलेशन सामग्री में निम्न गुण होने चाहिए–
1. उच्च इंसुलेशन प्रतिरोध- इंसुलेशन प्रतिरोध उच्च (High Insulation resistance) होना चाहिए जिससे लीकेज करेंट कम से कम हो।
2. उच्च परावैधुत सामर्थ्य- परावैधुत सामर्थ्य उच्च (High dielectric strength) होना चाहिए ताकि केबल का ब्रेकडाउन न हो।
3. उच्च मैकेनिकल स्ट्रेंथ- यांत्रिक सामर्थ्य उच्च (High mechanical strength) होना चाहिए।
4. नॉन हाइग्रोस्कोप- नॉन हाइग्रोस्कोप (Non Hygroscope) होना चाहिए अर्थात नमी रोधी होना चाहिए इंसुलेशन पदार्थ नमी को सोखने वाला नही होना चाहिए।
5. अज्वलनशील होना चाहिए और रसायनिक क्रिया से मुक्त होना चाहिए।
अंडरग्राउंड केबल में प्रयुक्त सामग्री— एक अंडरग्राउंड केबल में इंसुलेशन सामग्री के रूप में निम्न पदार्थ प्रयुक्त होते है–
1. रबर (Rubber)— रबर ट्रोपिक पेड़ से निकली सैप से प्राप्त किया जाता है अथवा यह तेल के उत्पादों से बनाया जाता है। इसकी डाइलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ 30KV/mm होती है तथा इसकी इंसुलेशन की प्रतिरोधकता 10^17 होती है।
सामान्यतः इसका प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि इसमें कुछ कमी है जैसे की यह नमी को सोख लेता है तथा केबल केवल 30°C तापमान ही सहन कर सकती है। यह नरम होता है जिससे सख्त हैंडलिक से क्षति की संभावना होती है और जब प्रकाश के सानिध्यक में आता है तो एज होती है अतः शुद्ध रबर को इंसुलेशन पदार्थ के रूप में प्रयुक्त नही किया जाता है।
2. वल्केनाइज्ड इंडियन रबर (Vulcanised Indian Rubber or V.I.R)— यह शुद्ध रबर को जिंक ऑक्साइड, रेड लैड आदि मिनरल पदार्थों में मिलाकर बनाया जाता है और उसमे 3% से 5% सल्फर की मात्रा मिलाई जाती है। इस प्रकार जो मिश्रण तैयार होता है उसको बेलकर पतली चादर और पर्टियों में काटा जाता है इस रबर मिश्रण को फिर कंडक्टर पर लगाया जाता है और लगभग 150°C तक गर्म किया जाता है इस पूरी प्रक्रिया को वालों को वल्कनाइजेशन कहा जाता है और जो उत्पाद तैयार होता है उसे वल्केनाइज इंडियन रबर कहा जाता है। यह इंसुलेशन 150°C तक तापमान सह सकता है।
वल्केनाइज इंडियन रबर की मैकेनिकल स्ट्रेंथ, टिकाऊपन और प्रतिरोधकता शुद्ध रबर से अधिक होती है। परन्तु इसका सबसे बड़ी समस्या यह है की सल्फर तांबे से तुरंत क्रिया करने लगता है इसलिए जिन केबलो में इस इंसुलेशन का प्रयोग किया जाता है उसमे कंडक्टर को (Tinned copper) टिन्नड तांबा का बनाया जाता है। इस प्रकार का इंसुलेशन सामान्यतः निम्न और मध्यम वोल्टेज केबलो के लिए प्रयुक्त होता है।
3. इम्प्रेग्नेटेड कागज (Impregnated paper)— यह यह रासायनिक क्रियाओं वाला कागज होता है जिसको लकड़ी के छिलके या कागज से बनाया जाता है और फिर इसको पैराफिन अथवा नेप्थीनिक जैसे पदार्थ द्वारा भरा जाता है। तेल भरने से इसमें एयर डक्ट (Air duct) समाप्त हो जाता है और ऑक्सीजन न होने से आग लगने का खतरा कम हो जाता है।
इम्प्रेग्नेटेड कागज के लाभ—1. कम लागत (Low cost)
2. निम्न कैपेसिटेंस (Low capacitance)
3. उच्च डाइलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ (High dielectric strength)
4. उच्च इंसुलेशन प्रतिरोध (High insulation resistance)
इम्प्रेग्नेटेड कागज के नुकसान— 1. कागज को यदि इंप्रेग्नेट किया जाए तो भी वह हाइग्रोस्कोपिक ही रहेगा।
2. यह नमी को सोखता है और इस प्रकार केबल की प्रतिरोधकता को कम करता है।
किसी का कारण पेपर से इंसुलेट किए हुए केबल पर हमेशा संरक्षण कवच लगाया जाता है और इनको कभी भी बिना सील के नहीं रखा जाता है यदि यह साइट पर बिना प्रयोग के रखा जाता है तो उसके सिरे अस्थाई तौर पर मोम या तार से सोल किए जाते हैं।
4. वार्निश केमब्रीक (Varnished cambric)— यह कॉटन क्लॉथ इम्प्रेग्नेटेड होता है जिसे वार्निश के साथ कोट किया जाता है इस तरह के इंसुलेशन को एंपायर टाइप भी कहते हैं। कैंब्रिक कंडक्टर के ऊपर टेप के साथ में लपेटा जाता है केबल के मुड़ने से एक टर्न दूसरे टर्न पर आसानी से फिसल सके इसलिए इसकी सतह को पेट्रोलियम जेली के मिश्रण के साथ कोट किया जाता है जैसा कि वार्निश कैंब्रिक हाइग्रोस्कोपिक होता है इस तरह केबल मैटेलिक शीट के साथ मिलते हैं जिसकी डाइलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ लगभग 4KV/mm और परमिट्टीविटी 2.5 से 3.8 होती है।
5. पालीविनाइल क्लोराइड (Polyvinyl chloride or PVC)— यह इंसुलेशन पदार्थ सिंथेटिक योगिक होता है यह एसिटिलीन पॉलीमराइजेशन से प्राप्त होता है और यह सफेद पाउडर के रूप में होता है इस पदार्थ को केबल इंसुलेशन के लिए बनाया जाता है यह प्लास्टि साइजर जो द्रव के रूप में उच्च वायलिग पॉइंट का होता है के साथ यौगिक बनाता है प्लास्टि साइजर जेल के रूप में या प्लास्टिक के रूप में आवश्यक तापमान की रेंज में उपलब्ध होता है सबसे ज्यादा इसी प्रकार के इंसुलेशन का प्रयोग किया जाता है।
पीवीसी इंसुलेशन के लाभ— 1. इंसुलेशन उच्च होता है।
2. डाइलेक्ट्रिक स्ट्रैंथ अच्छा होता है।
3. विभिन्न तापक्रम पर मेकेनिकल टफनेस होती है।
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ReplyDeleteVery informative article thx
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