विद्युत धारा क्या है? (Electric Current In Hindi) "इलेक्ट्रॉन प्रवाह की दर या आवेश प्रवाह की दर को धारा कहते है।"
Electric Current and It's Unit |
विद्युत धारा का मात्रक (Unit of Electric Current)
विद्युत धारा का प्रतिक I होता है और विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर होता है जिसे (A) से प्रदर्शित किया जाता है। विद्युत धारा का मात्रक कूलाम प्रति सेकेंड भी होता है।
विद्युत धारा = आवेश/समय या I =Q/t या Q =I×t
एक एम्पियर (One Ampere):- यदि एक कूलाम का आवेश एक सेकेंड में गुजरता है तो इसका मान एक एम्पियर होता है।
या
यदि किसी बिंदु से एक सेकेंड समय में 6.25×10^18 इलेक्ट्रॉन प्रवाहित हो जाए तो विद्युत धारा का मान एक एम्पियर होता है।
विद्युत धारा की चाल (Speed of Electric Current):- विद्युत धारा की चाल, प्रकाश की चाल के बराबर अर्थात 3×10^8 (m/s) मीटर प्रति सेकेंड होती है।
विद्युत धारा के प्रकार (Types of Electric Current):- विद्युत धारा दो प्रकार की होती है—
1. दिष्ट धारा (Direct Current or DC)
2. प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current or AC)
1. दिष्ट धारा (Direct Current):- जिस विद्युत धारा का मान और दिशा दोनो नियत होता है उसे दिष्ट धारा या डायरेक्ट करेंट कहा जाता है। दिष्ट धारा को सेल, बैटरी, जनित्र आदि से प्राप्त किया जा सकता है। दिष्ट धारा का प्रयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग, आर्क वैल्डिंग, बैटरी चार्जिंग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में किया जाता है।
2. प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current):- जिस विद्युत धारा का मान और दिशा दोनो एक नियत दर पर परिवर्तित होता रहता है उसे प्रत्यावर्ती धारा या एसी कहा जाता है। प्रत्यावर्ती धारा को अल्टरनेटर (ए. सी. जनित्र) से प्राप्त किया जा सकता है। प्रत्यावर्ती धारा का प्रयोग घरेलू उपकरण, औद्योगिक क्षेत्रों में प्रकाश, ऊष्मा, ठण्डक, यांत्रिक ऊर्जा आदि प्रदान करने वाले उपकरणों को प्रचालित करने के लिए किया जाता है।
विद्युत धारा के प्रभाव (Effect of Electric Current): विद्युत धारा के प्रभाव का वर्णन नीचे विस्तार पूर्व किया गया है—
1. उष्मीय प्रभाव (Heating Effect): प्रत्येक चालक स्वयं में से होने वाले विद्युत धारा प्रवाह का कम या अधिक विरोध करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्म हो जाता है जिसे विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहा जाता है। विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव का उपयोग इलेक्ट्रिक प्रेस, इलेक्ट्रिक आयरन, हीटर, बल्ब आदि में किया जाता है। याद रखे की बल्ब ऊष्मा के साथ साथ प्रकाश भी उत्पन्न करता है।
2. चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic Effect): विद्युत धारावाही चालक के चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है यह विद्युत का चुम्बकीय प्रभाव कहलाता है। विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव का उपयोग विद्युत घंटी, विद्युत चुम्बक, जनित्र, मोटर, पंखा इत्यादि में किया जाता है।
3. रसायनिक प्रभाव (Chemical Effect): अम्लीय विलयनो में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विलयन में घुले पदार्थ अपने अवयवो में विभाजित हो जाते है यह विद्युत धारा का रसायनिक प्रभाव कहलाता है। विद्युत धारा के रसायनिक प्रभाव का उपयोग सेल, विद्युतलेपन, धातु निष्कर्षण आदि कार्यों में किया जाता है।
4. किरण प्रभाव (Ray Effect): जब अधिक वोल्टता एवम् अधिक आवृत्ति वाली विद्युत धारा वायु शून्य नली में से गुजरती है तो एक विशेष प्रकार की किरणे Xray उत्पन्न होती है जिसे विद्युत धारा का किरण प्रभाव कहा जाता है। विद्युत धारा के किरण प्रभाव का उपयोग ज्यादातर चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है।
5. गैस आयनीकरण प्रभाव (Gas Ionisation Effect): किसी विसर्जन नलिका में भरी मरकरी वेपर गैस, सोडियम वेपर गैस आदि में से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर गैस का आयनिकरण हो जाता है। यह विद्युत धारा का आयनिकरण प्रभाव कहलाता है। विद्युत धारा के इस प्रभाव का उपयोग उच्च प्रकाश तीव्रता वाले बल्बो में किया जाता है।
बेसिक विद्युत से संबंधित कुछ परिभाषाए (Some Definition of Basic Electricity)
1. विभवान्तर (Potential Difference): जब किसी चालक या प्रतिरोध में से विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसके सिरो के विभव में कुछ अन्तर उत्पन्न हो जाता है जिसे विभवान्तर कहते है। विभवान्तर का प्रतिक V और मात्रक वोल्ट होता है जिसे V से प्रदर्शित करते है।
2. विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force or EMF): किसी चालक पदार्थ में से विद्युत धारा को एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित करने वाला बल, विद्युत वाहक बल कहलाता है। विद्युत वाहक बल सैल, बैटरी, जनरेटर आदि से प्राप्त किया जाता है। विद्युत वाहक बल का मात्रक वोल्ट होता है जिसका प्रतिक V होता है विद्युत वाहक बल को E से प्रदर्शित करते है।
3. एक वोल्ट (One Volt): विद्युत वाहक बल का वह मान जो एक ओह्म प्रतिरोध वाले चालक में से एक एम्पियर मान की विद्युत धारा प्रवाहित कर सके एक वोल्ट कहलाता है।
4. चालकता (Conductance): कंडक्टेंस पदार्थ का वह स्वाभाविक गुण होता है जो विद्युत धारा के प्रवाह में सुगमता प्रदान करता है चालकता कहलाता है। चालकता का प्रतिक G और मात्रक साइमन (Simen) होता है जिसे S से प्रदर्शित करते है।
5. विभव (Potential): इकाई आवेश को अनंतता (Infinity) से किसी बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस बिन्दु का विभव कहलाता है। विभव धनात्मक अथवा ऋणात्मक होता है।
(A) धनात्मक विभव (Positive Potential): जब विद्युत धारा पृथ्वी की ओर प्रवाहित होती है तो वस्तु का विभव धनात्मक होता है।
(B) ऋणात्मक विभव (Negative Potential): जब विद्युत धारा पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित होती है तो वस्तु का विभव ऋणात्मक होता है।
FAQs:
प्रश्न: इलेक्ट्रॉन प्रवाह की दर या आवेश प्रवाह की दर को क्या कहते है?
उत्तर: धारा (current)
प्रश्न: विद्युत धारा की चाल कितनी होती है?
उत्तर: 3×10^8 (m/s) मीटर प्रति सेकेंड (प्रकाश की चाल के बराबर)
प्रश्न: विद्युत धारा कितने प्रकार की होती है?
उत्तर: दो प्रकार की
प्रश्न: किसी बिंदु से एक सेकेंड समय में 6.25×10^18 इलेक्ट्रॉन प्रवाहित विद्युत धारा के मान को क्या कहा जाता है?
उत्तर: एक एम्पियर
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Nice Sir Thanks
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